अंग्रेज भी लेते थे दहेज! बेटी की शादी में पुर्तगालियों ने तोहफे में गोरों को दी मुंबई, जानिए वो मजेदार किस्सा

मुंबई: हिंदुस्तान का एक शहर ऐसा जो कभी नहीं सोता, जो कभी नहीं थकता। एक शहर ऐसा जो अपनी नाइटलाइफ के लिए वर्ल्ड फेमस है। एक शहर ऐसा जो अपनी झुग्गियों के लिए भी वर्ल्ड फेमस है। एक शहर ऐसा जहां पैसा पानी की तरह बहता है। जो कमाठीपुरा की बदनाम गलियों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसे लोगों की ड्रीम सिटी भी कहा जाता है, यहां एक आशियाना बनाना हर शख्स की तमन्ना होती है। जी हां आपका अंदाजा सही है, यहां देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की बात हो रही है। मुंबई के मौजूदा सूरत-ए- हाल से तो आज की पीढ़ी बखूबी वाकिफ है। महाराष्ट्र में मुंबई कैसे शामिल हुई, कैसे यह महाराष्ट्र की राजधानी बनी? यह बात भी लोगों को ज्यादातर लोगों को मालूम है लेकिन मायानगरी मुंबई आज से सैकड़ों साल पहले दहेज में अंग्रेजों को दी गई थी। यह बात शायद आज की पीढ़ी को कम ही पता होगी। लेकिन यह बात बिल्कुल सही है आज देश में दहेज प्रथा के खिलाफ कानून है, दहेज लेने और देने के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। यह एक दिलचस्प किस्सा है कि पुर्तगालियों ने अंग्रेजों को दहेज के एक तोहफे रूप में मुंबई सौंप दी थी। आइए जानते हैं उस दिलचस्प किस्से को और उन परिस्थितियों को जिनके प्रभाव में आकर पुर्तगालियों को ऐसा करना पड़ा। मुंबई को दहेज के देने की दिलचस्प कहानीयह वो दौर था जब सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में डच व्यापारियों के साथ-साथ पुर्तगालियों की भी आवाजाही शुरू हुई थी। समुद्री किनारे से घिरे होने की वजह से मुंबई बिजनेस के लिए एक बेहतरीन जगह थी। सन 1507 के आसपास पुर्तगालियों ने इस पर कब्जा करने के मकसद से आक्रमण भी किया था लेकिन वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हुए। यह वह दौर था जब पुर्तगालियों के अलावा मुंबई शहर पर मुगल बादशाह हुमायूं की भी नजर पड़ी थी। इस समय मुंबई पर गुजरात के शासक बहादुर शाह का आधिपत्य हुआ करता था लेकिन वह पुर्तगालियों की वजह से काफी परेशान थे। हार कर उन्होंने पुर्तगालियों से संधि कर ली थी। 1534 के बाद मुंबई में पुर्तगालियों ने व्यापार व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम शुरू किया था। अब तक मुंबई पुर्तगालियों के अधीन हो चुकी थी। अंग्रेजों से परेशान थे पुर्तगाली पुर्तगालियों ने भले ही गुजरात के शासक से मुंबई हथिया ली थी लेकिन उनके लिए अंग्रेज मुश्किल का सबब बनते जा रहे थे। ब्रिटिश साम्राज्य मुंबई पर कब्जा करने की हर संभव कोशिश में जुटा हुआ था। अंग्रेजों की ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सन 1652 में सूरत परिषद के दौरान तत्कालीन बंबई को खरीदने संबंधी प्रस्ताव भी दिया था लेकिन उनका यह प्रयास असफल रहा। इस बीच पुर्तगालियों के लिए अंग्रेजों से लोहा लेना धीरे-धीरे मुश्किल होता जा रहा था। ऐसे में विवाद को खत्म करने के लिए पुर्तगाल के राजा ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने अपनी बेटी कैथरीन की शादी इंग्लैंड के राजा से करने का निर्णय लिया। सामने से आए इस प्रस्ताव को ब्रिटिश राजा ने भी हंसते-हंसते स्वीकार किया और इस तरह साल 1661 में पुर्तगाल के राजा ने अपनी बेटी कैथरीन का विवाह इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स द्वितीय से कर दिया। मजेदार बात यह है कि इस शादी के लिए पुर्तगाल ने ब्रिटिश हुकूमत को बहुत कुछ दिया। उन्होंने इंग्लैंड के राजा को दहेज के तोहफे के रुप में तत्कालीन मुंबई को दे दिया। इस तरह तब की मुंबई पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। जिसके बाद उन्होंने पूरे देश में 200 सालों तक हुकूमत की। सम्राट अशोक से लेकर अंग्रेजों के किया राजमुंबई शहर को लेकर कहा जाता है कि यह सात टापुओं से मिलकर बना है। जिनमें बंबई, कोलाबा, लिटिल कोलाबा, माहिम, मझगांव, परेल और वर्ली शामिल हैं। आसपास के ट्रॉम्बे और सैल्सेट दीपों को मिलाकर ग्रेटर मुंबई की रचना की गई थी। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की मानें तो मुंबई पाषाण युग से ही अस्तित्व में है। 250 ईसवी पूर्व के समय भी यहां एक छोटी आबादी रहती थी। उसके बाद तीसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व में मौर्य साम्राज्य के शासक सम्राट अशोक का भी कब्जा हुआ था। उन्होंने वर्षों तक यहां शासन भी किया था। 1200 ईस्वी के करीब में अब की माहिम बस्ती की स्थापना हुई थी। उस समय इस जगह का नाम महिकावती हुआ करता था।