आग लगाने वाले आग से डर गए, टीटीपी से घबराए पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री बिलावल का आतंकवाद पर दोगलापन

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जो कि आतंकवाद पर अपने देश का बचाव अपने ही एक बेशर्म बयान के साथ कर चुके हैं, खुद इसका रोना रोने में लगे हैं। बिलावल भुट्टो उस समय बचकाना बयान देकर सुर्खियों में आए थे जब उन्‍होंने अल कायदा के सरगना और मोस्‍ट वॉन्‍टेड आतंकी ओसामा बिन लादेन की तुलना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर डाली थी। अब बिलावल खुद यह बात भी मान रहे हैं कि उनका देश तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान (TTP) के आतंकवाद से सताया हुआ है। बिलावल की मानें तो पाकिस्‍तान सीमा पार से जारी टीटीपी के आतंकवाद को बर्दाश्‍त नहीं करेगा। पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (PoK) में भारत की तरफ से होने वाली कार्रवाई का विरोध करने वाले बिलावल अब अफगानिस्‍तान ‘सर्जिकल स्‍ट्राइक’ की धमकी दे रहे हैं।

टीटीपी ने बरसाई गोलियां बिलावल का यह बयान हाल ही में हुई घटना के बाद आया है। गुरुवार को को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के चमन-स्पिन बोल्डक इलाके में अफगान तालिबान बलों की ओर से की गई गोलीबारी में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 11 अन्य लोग घायल हो गए।बिलावल ने न्‍यूयॉर्क स्थित संयुक्‍त राष्‍ट्रसंघ (UN) के हेडक्‍वार्ट्स पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। यह कार्यक्रम 16 दिसंबर 2014 को पेशावर स्थित आर्मी पब्लिक स्‍कूल पर हुए आतंकी हमलकी आंठवीं बरसी पर आयोजित किया गया था।

विदेश मंत्री की मानें तो पाकिस्‍तान के पास इस बात का पूरा अधिकार है कि वह उन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करे जिन्‍हें दुश्‍मनों का संरक्षण मिला हुआ है। उनके शब्‍दों में, ‘पाकिस्‍तान इस तरह से टीटीपी या फिर दूसरे आतंकी संगठन जैसे बलूचिस्‍तान लिब्रेशन आर्मी (BLA) की तरफ से सीमा पार से जारी आतंकी हरकतों को हरगिज बर्दाश्‍त नहीं करेगा।’ इस कार्यक्रम को यूएन के काउंटर टेररिज्‍म कैंपेन के तहत आयोजित किया गया था। पेशावर में हुए हमले में 132 बच्‍चे और आठ टीचर मारे गए थे।

आतंकवाद विरोधी अभियान
बिलावल ने दावा किया कि पाकिस्‍तान के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन काफी सफल रहे हैं। उनके देश की सरजमीं से आतंकियों को साफ कर दिया गया था। पाकिस्‍तान ने इसके लिए भारी कीमत चुकाई है। पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री की मानें तो 80 हजार से ज्‍यसदा नागरिक और सैनिक आतंकी घटनाओं में या तो मारे गए हैं या फिर घायल हुए हैं। साथ ही देश की अर्थव्‍यवस्‍था को भी 120 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। बिलावल की मानें तो टीटीपी और दूसरे आतंकी संगठनों को सुरक्षित पनाह हासिल है। वो लगातार पाकिस्‍तान की सेना और नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।

बिलावल यह बताना नहीं भूले कि कैसे टीटीपी अफगानिस्‍तान में स्थित इस्‍लामिक स्‍टेट खोरसान (ISIL-K) के साथ मिलकर आतंकी साजिशों को अंजाम दे रहा है। इस दौरान उन्‍होंने पर्याप्‍त सुबूत होने का भी दावा किया। उनका कहना था कि ऐसा लगता है कि टीटीपी ने पाकिस्‍तान के खिलाफ एक तरह का युद्ध छेड़ दिया है क्‍योंकि अब संगठन की तरफ से होने वाले आतंकी हमलों में तेजी आ गई है।

अफगानिस्‍तान के साथ बढ़ा तनाव
पाकिस्तान ने शुक्रवार को ही अफगानिस्तान के प्रभारी राजदूत को तलब करके चमन इलाके के निकट अफगान सैनिकों की ओर से ‘बिना उकसावे’ की गई गोलीबारी की हालिया घटनाओं की निंदा की। गोलीबारी की इन घटनाओं के कारण पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के बीच तनाव बढ़ गया है। हाल के महीनों में ऐसी कई हिंसक घटनाएं और हमले हुए हैं, जिनके चलते पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। गुरुवार को हुई हिंसा एक सप्ताह से भी कम समय में हुई इस तरह की दूसरी घटना है। इससे पहले 10 दिसंबर को हुए इसी तरह के एक हमले में सात नागरिकों की मौत हो गई थी।

टीटीपी ने खत्‍म किया युद्धविराम
हाल ही में टीटीपी ने पाकिस्‍तान की सरकार के साथ हुए युद्धविराम को खत्‍म करने का ऐलान कर दिया है। यह युद्धविराम समझौता इस साल जून में हुआ था। 28 नवंबर को टीटीपी ने अनिश्चितकाल के लिए युद्धविराम को खत्‍म कर दिया। साथ ही उसने आतंकियों के देशभर में हमले करने का फरमान जारी कर दिया। संगठन की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि मुजाहिद्दीनों के खिलाफ पूरे देश में सैन्‍य अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में उसके आतंकियों के लिए यह जरूर हो गया है कि जहां कहीं भी वह हमले कर सकते हैं, करते रहें।

पाकिस्‍तान बन रहा निशाना
टीटीपी पिछले एक दशक से भी ज्‍यादा समय से पाकिस्‍तान को निशाना बनाने में लगा हुआ है। इस संगठन की मांग है कि देश में इस्‍लामिक कानून लागू किया जाए। साथ ही वह सरकार पर अपने कई बड़े आतंकियों की रिहाई के लिए भी दबाव डाल रहा है। टीटीपी यह भी चाहता है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों के विलय के फैसले को पलट दिया जाए। 16 नवंबर को ही टीटीपी ने लक्‍की मरवात जो पेशावरी से 200 किलोमीटर दूर है, वहां पर पुलिस चौकी को निशाना बनाया है। इस हमले में पुलिस के छह जवान मारे गए थे।