राजकोट टेस्ट में भारत की ओर से और ने टेस्ट डेब्यू किया, लेकिन महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने सिर्फ सरफराज को ही थार कार गिफ्ट करने की पेशकश की। आनंद महिंद्रा इसके बाद से सवालों के घेरे में हैं। पूछा यह जा रहा है कि ये मेहरबानी सिर्फ सरफराज पर ही क्यों? जुरेल ने क्या गलती की है? है थोड़ा अजीब लेकिन फिलहाल हकीकत यही है कि सोशल मीडिया पर एक मुहिम सी चल पड़ी है जुरेल को भी थार दिलाने की, भले ही जुरेल के लिए वह कोई मतलब रखे या नहीं। सरफराज खान को थार तो ध्रुव जुरेल को क्यों नहीं?यह सही है कि दोनों ने एक ही साथ टेस्ट डेब्यू किया, लेकिन हकीकत यह है कि यह जगह पाने के लिए एक को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी वहीं दूसरे का साथ किस्मत ने दिया। जुरेल के लिए थार की मांग करने वाले खुद ही बताएं कि इस टेस्ट सीरीज से पहले कितनी बार जुरेल का नाम उन्होंने सुना था। शायद ना के बराबर या कभी नहीं। वहीं दूसरी ओर सरफराज भारतीय टीम में आने से पहले ही बहुत नाम कमा चुके थे। सरफराज ने डोमेस्टिक क्रिकेट के पिछले तीन सीजन में ताल पर ताल ठोककर ऐसी गूंज पैदा की थी जिसने सिलेक्टर्स के कान के पर्दे हिला दिए थे। सरफराज को जब पिछले साल वेस्टइंडीज टूर के लिए टीम में शामिल नहीं किया गया था तो सुनील गावसकर, वेंकटेश प्रसाद सहित कई पूर्व दिग्गज क्रिकेटरों ने खुल कर नाराजगी जताई थी। कई ने खुल कर टीम सिलेक्शन पर सवाल खड़े किए। क्या जुरेल के लिए भी ऐसा हुआ था क्या? जुरेल का ऐसे हुआ टीम इंडिया में सिलेक्शनयहां जुरेल के कौशल या उनकी काबिलियत पर सवाल नहीं किया जा रहा है। वह मेहनती खिलाड़ी हैं और उनका भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन फिलहाल सच यह है कि किस्मत ने जुरेल के लिए टीम इंडिया का दरवाजा खोला। यदि ईशान किशन टीम के साथ बने हुए होते तो शायद जुरेल को मौका भी नहीं मिलता। जुरेल को मौका मिला है क्योंकि सिलेक्टर्स के पास विकल्प नहीं था। जुरेल एक विकेटकीपर बल्लेबाज हैं और टीम को अभी एक विकेटकीपर की जरूरत थी। इसलिए जुरेल का एक विकेटकीपर के तौर पर चयन हुआ है जो बल्लेबाजी भी कर लेता है।सरफराज का लंबा है संघर्षजुरेल को जहां सिर्फ 15 फर्स्ट क्लास मैच खेलने के बाद ही टेस्ट डेब्यू का मौका मिल गया वहीं सरफराज को 45 फर्स्ट क्लास मैच का इंतजार करना पड़ा। जुरेल का फर्स्ट क्लास में औसत 46 के करीब है वहीं सरफराज ने करीब 70 की औसत से रन बनाए हैं। सरफराज के 14 शतक हैं तो जुरेल के नाम महज एक शतक। सरफराज ने फर्स्ट क्लास में 73 सिक्स मारे हैं जबकि जुरेल ने सिरफ आठ। यहां साफ है कि आंकड़ों पर दोनों के बीच तुलना हो नहीं हो सकती।अब जब आंकड़ें कमजोर हैं तो क्या किया जाए, तो ऐसे में जुरेल के लिए भी थार की मांग करने वाले जुरेल की तंगहाली, संघर्ष व उनके पिता द्वारा देश को दिए गए योगदान की कहानी को आधार बना रहे हैं। अब देखना यह है कि इन कहानियों से क्या महिंद्रा का दिल पसीजेगा?