रांची: राष्ट्रीय शूटर तारा सहदेव धर्म परिवर्तन मामले में सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार को सजा सुनाई है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार मुस्ताक अहमद को 15 साल की सश्रम कारावास और रकीबुल हसन उर्फ रंजीत कोहली की मां कोशल रानी को 10 साल की कोर्ट ने सजा सुनाई है। रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन के वकील मुख्तार खान ने कहा कि इस सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे। अदालत ने तीनों को अलग-अलग धाराओं में दोषी पाया था। तीनों को 120 बी, 376(2)एन (एक ही महिला से बार बार रेप की साजिश) 298 धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना और 496 ( जबरदस्ती विवाह करवाना या कपट पूर्ण तरिके से विवाह करवाना) में दोषी पाया।सीबीआई ने कोर्ट मे पेश किए 26 गवाहकेस में रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल के साथ हाईकोर्ट के बर्खास्त पूर्व रजिस्ट्रार (विजिलेंस) मुश्ताक अहमद और कोहली की मां कौशल रानी आरोपी थीं। सीबीआई ने इस केस को 2015 में टेक ओवर किया था। सीबीआई की और से आरोप साबित करने के लिए कुल 26 गवाह पेश किए गए। वहीं बचाव पक्ष ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए 4 गवाह प्रस्तुत किए। इन्हीं गवाहों के बयान और सीबीआई की ओर से कोर्ट में दिए गए साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया। बता दें, इस मामले में रांची के हिंदपीढ़ी थाना में 2014 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। ये है तारा शाहदेव प्रताड़ना मामलाट्रायल फेस कर रहे अभियुक्तों पर सोची समझी साजिश के तहत तारा शाहदेव के साथ मारपीट करने, धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रताड़ित करने और उसके साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया। आरोपों के मुताबिक, 7 जुलाई 2014 को तारा शाहदेव और रकीबुल उर्फ़ रंजीत कोहली की शादी हिन्दू रीति-रिवाज के साथ हुई थी, लेकिन शादी के दूसरे ही दिन यानि 8 जुलाई को रकीबुल और मुश्ताक अहमद ने तारा को इस्लाम धर्म के मुताबिक निकाह करने और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव देना शुरू कर दिया। आरोप था कि तारा से शादी के कुछ दिनों बाद मुश्ताक अहमद के घर इफ्तार पार्टी में गई तो मुश्ताक अहमद ने गलत नियत से उसके साथ छेड़छाड़ की। सीबीआई ने पेश किए थे ये गवाहसीबीआई ने जो अहम गवाह कोर्ट में पेश किए, उसमें दिवंगत पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, ब्लेयर अपार्टमेंट के निवासी काजी जान मोहम्मद, झारखंड पुलिस की तत्कालीन सब इंस्पेक्टर दीपिका कुमारी (जिन्होंने तारा को रेस्क्यू किया था), केस आईओ (जांच पदाधिकारी) हरीशचंद्र सिंह और सीबीआई की केस आईओ सीमा पहूजा शामिल हैं। सीबीआई की ओर से वरीय लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह इस मामले में पक्ष रखा।