
उच्च शिक्षा मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम ने सभी विश्वविद्यालयों को एक फरमान जारी करते हुए कहा, ‘आप सभी को अगली सूचना तक महिलाओं की शिक्षा निलंबित करने का आदेश दिया जाता है। इसे तुरंत लागू करें।’ तालिबान के इस आदेश के बाद संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने इस कदम को परेशान करने वाला बताया। उन्होंने कहा, ‘यह साफ तौर पर दिखाता है कि तालिबान ने अपना एक और वादा तोड़ा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमने तालिबान राज आने के बाद से देखा है कि महिलाओं की सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि सार्वजनिक क्षेत्रों की भागीदारी घटी है।’
संयुक्त राष्ट्र के राजदूत ने कही ये बात
दुजारिक ने कहा, ‘यह बहुत ही परेशान करने वाला कदम है और यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि भला कोई देश महिलाओं की शिक्षा को रोक कर कैसे विकसित हो सकता है।’ न्यूयॉर्क में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान तालिबान की ओर से यह घोषणा हुई है। अमेरिका और ब्रिटिश संयुक्त राष्ट्र दूत दोनों ने परिषद की बैठक के दौरान इस कदम की निंदा की। UN के उप राजदूत रॉबर्ट वुड ने कहा, ‘तालिबान तब तक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का वैध सदस्य नहीं हो सकता जब तक कि वे सभी अफगानों के अधिकारों, विशेष रूप महिला के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करते हैं।’
तालिबान ने किया फैसले का बचाव
तालिबान ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि इस तरह के प्रतिबंध राष्ट्रीय हित और महिलाओं का सम्मान बनाए रखने के लिए किया गया है। तालिबान के कई अधिकारियों ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा प्रतिबंध अस्थायी हैं और इसके पीछे फंड की कमी है। तालिबान ने कहा कि फिर से नया पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जो इस्लामी तर्ज पर हो। तालिबान ने सत्ता में आने के बाद महिलाओं को रोजगार के अधिकांश क्षेत्रों से प्रतिबंधित कर दिया है। तालिबान ने महिलाओं को सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक कपड़ा पहनने का आदेश दिया है। उनके पार्क और जिम में जाने पर भी प्रतिबंध लगाया है।