गया: गया की डिप्टी मेयर चिंता देवी इन दिनों सब्जियां बेचकर गुजारा कर रही हैं। गया शहर के केदारनाथ मार्केट में जमीन पर बैठकर सब्जियां बेचतीं चिंता देवी को देखकर लोग हैरान हैं। चिंता देवी का कहना है कि डिप्टी मेयर की कुर्सी मिलने के बाद भी आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। उन्हें नगर निगम में होने वाले किसी भी मीटिंग की जानकारी भी नहीं दी जाती है। पहले नगर निगम में सफाई कर्मी थीं, अब डिप्टी मेयर हैं, फिर भी हालात नहीं सुधरे। उच्च पद पर पहुंचने के बाद भी उन्हें रोज़ी-रोटी के लिए सब्ज़ी बेचनी पड़ रही है। केदारनाथ मार्केट में ज़मीन पर बैठकर सब्जियां बेचती चिंता देवी को देखकर लोग दंग रह जाते हैं। कोई समझ नहीं पा रहा है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?डिप्टी मेयर बनने से कुछ नहीं होता है: चिंता देवीचिंता देवी का कहना है कि डिप्टी मेयर बनने के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। उन्होंने कहा कि ‘डिप्टी मेयर बनने से कुछ नहीं होता है। कुर्सी संभाल लूं और पैसा ही नहीं मिले, तो घर का खर्च कैसे चलेगा?’ उन्होंने बताया कि वो एक महीने से सब्जियां बेच रही हैं। अगर कमाएंगी नहीं तो परिवार का खर्चा कैसे चलेगा। निगम से एक रुपये की आमदनी नहीं है। इसलिए मजबूरन उन्हें सब्ज़ी बेचकर घर चलाना पड़ रहा है।सफाई कर्मी से डिप्टी मेयर बनी हैं चिंता देवीचिंता देवी पहले गया नगर निगम में सफाई कर्मी के तौर पर काम करती थीं। पिछले नगर निगम चुनाव में उन्होंने डिप्टी मेयर पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। सफाई कर्मी से डिप्टी मेयर बनने पर लोगों ने उन्हें खूब बधाई दी थी। चिंता देवी को भी उम्मीद थी कि उनकी ज़िंदगी बेहतर होगी। लेकिन आज उन्हें अपनी ज़िंदगी पहले से भी ज़्यादा मुश्किल लग रही है।अभी लड़कियों की शादी करनी है: डिप्टी मेयरडिप्टी मेयर चिंता देवी ने कहा कि ‘हम किसी से कर्जा नहीं ले सकते हैं। इसलिए रोज कमाते हैं और खाते हैं। हमने कभी कर्जा नहीं लिया और न लेंगे।’ वहीं पेंशन के सवाल पर उन्होंने कहा कि पेंशन मिलती है। अभी घर में दो लड़कियां है, उनकी शादी करनी है। पेंशन के पैसे तो ये सब नहीं हो सकता है। सड़क किनारे लौकी, कद्दू बेच रहीं डिप्टी मेयर चिंता देवीगया शहर की डिप्टी मेयर सड़क किनारे लौकी, कद्दू रखकर बेच रही हैं। वो ग्राहकों को बुलाने के लिए आवाज लगाती हैं। लोग आते हैं और उनके साथ सब्जियों को लेकर मोल-भाव भी करते हैं। चिंता देवी का यह हाल देखकर लोगों को उनकी चिंता सता रही है। सवाल उठ रहा है कि आखिर एक जनप्रतिनिधि को अपनी रोज़ी-रोटी के लिए ऐसे संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है?