उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर बने चार हजार से ज्यादा घरों को तोड़ने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा कि 50 हजार लोगों को रातोंरात नहीं उजाड़ा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि रेलवे को विकास के साथ साथ इन लोगों के पुनर्वास और अधिकारों के लिए योजना तैयार की जानी चाहिए। उत्तराखंड: हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर सीमांकन को लेकर उबाल, महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग समेत हजारों लोग सड़क पर Haldwani demolition case | Supreme Court says 50,000 people can’t be uprooted overnight.— ANI (@ANI) January 5, 2023
वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कोर्ट में रखा पीड़ितों का पक्षवरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने पीड़ितों का पक्ष कोर्ट में रखते हुए कहा कि हल्द्वानी में हजारों लोग प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य का कहना है कि जिस जमीन पर विध्वंस होना है वह राज्य सरकार की है। वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि भूमि का कब्जा याचिकाकर्ताओं के पास आजादी से पहले से है और उनके पास सरकार के पट्टे हैं जो उनके पक्ष में निष्पादित किए गए थे।मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कौल ने कहा कि ध्वस्त करने के लिए पुनर्वास योजना होनी चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि परेशान करने वाली बात यह है कि आप स्थिति से कैसे निपट रहे हैं, जहां लोगों ने जमीन लीज पर लिया, 1947 के बाद से उनका कब्जा है। आप जमीन का अधिग्रहण कर सकते हैं, लेकिन अब क्या करें। लोग 60-70 साल से यहा रह रहे हैं, कुछ पुनर्वास करना होगा। जस्टिस कौल की टिप्पणी पर ASG ने कहा कि लेकिन वे कहते हैं कि यह उनकी जमीन है और उन्होंने पुनर्वास का दावा नहीं किया है। वकील विपिन नायर ने कहा कि मैं हाईकोर्ट में मूल याचिकाकर्ता था और हमने हमेशा पुनर्वास के लिए प्रार्थना की है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि इस मुद्दे की एक परिणति होनी चाहिए और जो हो रहा है हम उसे प्रोत्साहित नहीं करते हैं।Supreme Court starts hearing petitions challenging Uttarakhand High Court’s decision ordering the State authorities to remove encroachments from railway land in Haldwani’s Banbhoolpura area. pic.twitter.com/xxBEdpXoQg— ANI (@ANI) January 5, 2023
पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए: याचिकाकर्ता की वकीलवहीं याचिकाकर्ता की वकील लुबना नाज ने सुनवाई के बाद मीडिया को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस जमीन पर कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता।उधर, हल्द्वानी में अनधिकृत कॉलोनियों को हटाने के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतरकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे। आपको बता दें, रेलवे की इस जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के विरोध में 4 हजार से ज्यादा परिवार हैं। इनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। कई परिवार जो दशकों से इन घरों में रह रहे हैं, वे इस आदेश का कड़ा विरोध कर रहे हैं। The Supreme Court said there will be no construction on that land. Rehabilitation scheme to be kept in mind. There are schools, colleges and other solid structures that cannot be demolished like this: Lubna Naaz, advocate of the petitioner https://t.co/Byv8jGOnsh pic.twitter.com/K6rKcywG9u— ANI (@ANI) January 5, 2023
20 दिसंबर को हाईकोर्ट ने दिया था आदेशआरोप है कि हल्द्वानी में करीब 4400 हजार परिवार रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके रहते हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में रेलवे को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद करीब 50 हजार लोगों के आशियाने पर बुलडोजर चलने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन अब अगली सुनवाई तक इन लोगों को राहत मिल गई है।रिपोर्ट के अनुसार, यहां रहने वाले लोग 90 फीसदी मुस्लिम हैं। स्थानीय निवासियों के मुताबिक, यहां पांच वार्ड हैं और करीब 25,000 मतदाता हैं। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की संख्या 15,000 के करीब है। 20 दिसंबर के हाईकोर्ट के आदेश के बाद समाचार पत्रों में नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें लोगों को 9 जनवरी तक अपना घरेलू सामान हटाने का निर्देश दिया गया था। स्थानीय लोगों के शासन और प्रशासन पर गंभीर आरोपखबरों की मानें तो क्षेत्र से कुल 4,365 अतिक्रमण हटाए जाने हैं। रेलवे की ओर से 2।2 किलोमीटर लंबी पट्टी पर बने मकानों और अन्य ढांचों को गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। खबरों की मानें तो अतिक्रमण हटाने वाली जगह पर करीब 20 मस्जिदें, 9 मंदिर और स्कूल हैं। इस बीच स्थानीय लोगों का सवाल है कि अगर रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हुआ तो फिर सरकार हाउस टैक्स, वॉटर टैक्स, बिजली का बिल कैसे लेती रही? इतना ही नहीं लोगों ने सवाल किया है कि अगर रेलवे की जमीन है तो फिर सरकार ने खुद यहां तीन-तीन सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पताल कैसे बना दिया? सवाल ये भी है कि जब सरकार तक को नहीं पता होता कि जमीन रेलवे की है या सरकारी तो फिर सिर्फ जनता क्यों अतिक्रमणकारी है।