130 हाथियों जितना वजन, ऊंचाई कुतुब मीनार की आधी, चंद्रयान-3 को लॉन्च करने जा रहे रॉकेट की ऐसी है कहानी

बेंगलुरु: अंतरिक्ष की दुनिया में एक और कदम बढ़ाते हुए भारत चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग करने वाला है। शुक्रवार को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से मिशन की लॉन्चिंग होगी। इसके लिए रिवर्स काउंटिंग भी शुरू हो चुकी है। इस बीच इसरो के बाहुबली रॉकेट की चर्चा है जिससे चंद्रयान 3 को प्रक्षेपित किया जाएगा। 43.5 मीटर लंबा और 6.4 लाख किलो वजन वाला यह एलवीएम 3 रॉकेट इससे पहले 6 सफल अभियानों को अंजाम दे चुका है। आइए इसके बारे में जानते हैं-लॉन्चिंग सक्सेस रेट 100 फीसदीचंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के लिए अपग्रेडेड बाहुबली रॉकेट यानी लॉन्च वीइकल मार्क-3 (एलवीएम-3) तैयार है। इसका लॉन्चिंग सक्सेस रेट 100 फीसदी है। बीते बुधवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान 3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम 3 के साथ जोड़ा गया था। रॉकेट का वजन 642 टन है जो लगभग 130 एशियाई हाथियों के वजन के बराबर है। इसकी लंबाई/ऊंचाई 43.5 मीटर है जो कुतुब मीनार (72 मीटर) की आधी से अधिक है।भारत का सबसे भारी रॉकेटअब सवाल है कि चंद्रयान 3 को एलवीएम 3 के साथ क्यों जोड़ा गया? दरअसल रॉकेटों में पावरफुल प्रोपल्शन सिस्टम (प्रणोदन प्रणाली) होता है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल पर काबू पाकर उपग्रह जैसी भारी वस्तुओं को अंतरिक्ष की ओर ले जाने के लिए भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है। एलवीएम 3 भारत का सबसे भारी रॉकेट है। यह प्रक्षेपण यान यानी लॉन्च वीइकल 10 टन तक के पेलोड (सैटलाइट) को पृथ्वी की निचली कक्षाओं (Low Earth Orbit) तक ले जा सकता है जो पृथ्वी की सतह से लगभग 200 किमी दूर है। जबकि 4 टन तक के भार को हाई अर्थ ऑर्बिट या जियो ट्रांसफर ऑर्बिट में छोड़ने में सक्षम है।तीन स्टेज में करता है कामयह थ्री स्टेज रॉकेट है जिसमें दो सॉलिड फ्यूल बूस्टर और एक लिक्विड फ्यूल बूस्टर है। सॉलिड फ्यूल बूस्टर इनिशल थ्रस्ट उपलब्ध कराते हैं जबकि लिक्विड फ्यूल कोर स्टेज के लिए इस्तेमाल होता है।14 साल में बनकर तैयार हुआ थाइसरो को इसे बनाने में 15 साल का समय लगा था। यह इसरो की ओर से बनाया गया सबसे ताकतवर रॉकेट है। इस रॉकेट का इस्तेमाल हेवी लिफ्ट लॉन्च में किया जाता है।चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग में भी हुआ था इस्तेमालLVM-3 रॉकेट को पहले GSLV MK III नाम से जाना जाता था। इसने 2014 में पहली अंतरिक्ष यात्रा की थी और 2019 में चंद्रयान 2 को भी लेकर गया था। इसी साल मार्च में 6000 किलो वजन वाले 36 वनवेब सैटलाइट को भी निचली कक्षाओं में प्रवेश कराया था। पिछले साल अक्टूबर में एलवीएम 3 ने वनवेब इंडिया 1 मिशन को लॉन्च किया था।