CCD यानी कैफे कॉफी डे. अपने दौर का ऐसा स्टार्टअप जो अब 8 हजार करोड़ की नामी कंपनी में तब्दील हो चुका है. CCD को सिर्फ कॉफी के लिए ही नहीं, बल्कि कपल से लेकर बिजनेस तक के मीटिंग पॉइंट के तौर भी जाना गया. इस कंपनी की नींव रखी कर्नाटक के वीजी सिद्धार्थ ने. वो सिद्धार्थ जिनके पिता गंगैया हेगड़े चिकमंगलूर वेस्ट हिलस्टेशन में काफी बागान के मालिक थे. 1956 में जन्मे सिद्धार्थ के लिए CCD की शुरुआत न तो आसान रही और न ही कॅरियर के तौर पर पहली पसंद थी.
संघर्षों के कई पड़ाव को पार करते उन्होंने एक ऐसी कंपनी बनाई जिसने युवाओं को काफी का चस्का लगाया. सिद्धार्थ का मानना था कि बिजनेसमैन अंतिम समय तक कारोबार करता है. 2016 में आउटलुक को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ‘बिजनेसमैन रिटायर नहीं होते, बल्कि वो मरते हैं.’
कब और कैसे रखी CCD की नींव
कर्नाटक के वीजी सिद्धार्थ पढ़ाई के लिए मंगलुरू यूनिवर्सिटी पहुंचे. यहां से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की पढ़ाई की. पढ़ाई के बाद वो कोई नया बिजनसे शुरू करना चाहते थे, लेकिन पिता चाहते थे वो नौकरी करें. अपने पिता की बात मानते हुए वो मुंबई पहुंचे और 1983 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ी कंपनी में काम करना शुरू किया. दो साल तक यहां काम किया, लेकिन मन नहीं लगा. इसलिए कुछ अपना बिजनेस शुरू करने की चाहत उन्हें मुंबई से वापस बेंगलुरू ले आई.
बेंगलुरू में उन्होंने एक सिक्योरिटी कंपनी शुरू की, नाम रखा ‘सिवान सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड’. यह कंपनी अच्छी चली.1992 में हर्षद मेहता स्टॉक घोटाला सामने आने के बाद उन्होंने स्टॉक में लगा पूरा पैसा निकाल लिया. फिर उन्होंने विरासत में मिली कॉफी के बिजनेस को आगे बढ़ाने का फैसला लिया. सिक्योरिटी कंपनी से होने वाले मुनाफे से उन्होंने कॉफी के कई बागान खरीदे.1992 तक सिद्धार्थ 3 हजार एकड़ का कॉफी बागान खरीद चुके थे. फिर ‘कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड’ नाम की कंपनी शुरू की. 1995 से कॉफी पाउडर बेचने के लिए दुकान खोली. अपना खुद को स्पेशल आउटलेट बनाने के लिए 1996 में बेंगलुरू में पहला CCD आउटलेट खोला.
1996 में बेंगलुरू में पहला CCD आउटलेट खोला गया.
25 रूपये थी एक कप कॉफी की कीमत
इसकी शुरुआत उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपये से की, जो कॅरियर के शुरुआती दौर में उन्होंने निवेश के जरिये जुटाए थे. बेंगलुरू में जब पहले CCD आउटलेट की शुरुआत हुई तो एक कप कॉफी की कीमत 25 रुपये थी. चाय पीने के शौकीन रहे भारतीयों की जुबान पर कॉफी का चस्का लगाने का काफी हद तक श्रेय इसी कंपनी को जाता है.
वो गलतियां जो कंपनी को डाउनफाॅल की तरफ ले गईं
साल 2002 तक कंपनी मनमुताबिक प्रॉफिट देने लगी थी. इसलिए 2015 में वीजी सिद्धार्थ ने शेयर मार्केट में आने के लिए तैयारी की. कंपनी के शेयर की शुरुआती कीमत 328 रुपये थी. इसके अलावा उनहोंने रियल एस्टेट, लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में हाथ आजमाया, लेकिन उन्हें घाटा हुआ. इसका बुरा असर कंपनी पर पड़ा. लगातार एक के बाद दूसरे सेक्टर में हुए घाटे ने कंपनी को चुनौतीभरे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया.
2017 में हालात और बिगड़े जब आयकर विभाग ने 700 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया. 2019 तक कंपनी 6550 करोड़ रुपये के कर्ज के नीचे दब गई थी. वीजी सिद्धार्थ ने 20 फीसदी तक शेयर बेचकर 3200 करोड़ का कर्ज चुकाया. कर्ज के तनाव के कारण उन्होंने 2019 में नेत्रावदी नदी में कूदकर जान दे दी.
जब पत्नी ने संभाली जिम्मेदारी और कर्ज भी उतारा
पति की मौत के बाद पत्नी मालविका हेगड़े ने कंपनी को भी संभाला और चुनौतियां भी. 31 दिसंबर 2020 को वो कंपनी की सीईओ बनीं. उन्होंने काफी हद तक कर्ज उतारा और कंपनी के शेयर में 50 फीसदी का इजाफा भी किया. वर्तमान में देशभर में सीसीडी के 1700 आउटलेट हैं. भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य और मलेशिया में भी इसके आउटलेट हैं.