कानपुर: कानपुर () के गणेश शंकर विद्यार्थी (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज में () की मदद से तीन मरीजों की आंखों की रोशनी लौटाने में कामयाबी मिली है। कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के हेड डॉ. परवेज खान के अनुसार, देश और दुनिया में यह अपने किस्म का पहला प्रयोग था। जिन तीन मरीजों की आंखों की रोशनी लौटी है, उनमें दो को बिल्कुल ही नहीं दिखाई देता था, जबकि तीसरे मरीज को थोड़ा-बहुत दिखता था। पूरे केस की रिपोर्ट आईसीएमआर को भेजी जा रही है। वहां से इसे मेडिकल जर्नल में छापा जाएगा। अमेरिका में कुछ साल पहले आंखों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करने के बाद कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इसके बाद वहां इस तरह के इलाज पर पाबंदी लगा दी गई थी। एलएलआर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के हेड डॉ. परवेज ने बताया कि नवंबर-2021 में उन्होंने कई मरीजों की आंखों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किए थे। लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे। स्टेम सेल शरीर के कई हिस्सों से लिए गए थे, लेकिन सफलता न मिलने के बावजूद ये पता चल गया था कि स्टेम सेल थेरेपी सुरक्षित है, क्योंकि मरीजों में इसका कोई उलटा असर देखने को नहीं मिला था। करीब 5-6 महीने पहले एक नवजात बच्चे की गर्भनाल से स्टेम सेल लेकर इसे चार मरीजों का आंखों में ट्रांसप्लांट किया गया। धीरे-धीरे इसके अच्छे नतीजे आने शुरू हुए। दो मरीजों की आंखों की रोशनी में काफी सुधार दर्ज हुआ है। वे रूटीन लाइफ में लौट आए हैं। जबकि तीसरे की दृष्टि में भी बढ़ रही है। डॉ. परवेज ने बताया कि चारों मरीजों का फ्री में इलाज किया जा रहा है। लेकिन एक मरीज पर अनुमानित खर्च 50-60 हजार रुपये है। आईसीएमआर की स्वीकृति के बाद इस थेरेपी को विकसित करने में फंड की जरूरत होगी। आंखों में स्टेम सेल थेरेपी आमतौर पर उस दशा में दी जाती है, जिसमें मरीजों को कोई आनुवंशिक बीमारी हो और वह देख न सकता हो। साथ ही बीमारी लाइलाज हो।