‘जीवन भर की कमाई एक फ्लैट खरीदने में लगा दी, अब इसे टूटते कैसे देखें’, फ्लैट बायर्स का छलका दर्द

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर वसुंधरा सेक्टर-1 में अवैध रूप से बनाए गए फ्लैटों को गिराने के आदेश के बाद से यहां रहने वाले 18 परिवारों की नींद-चैन सब उड़ गया है। लोगों को रह रहकर चिंता सता रही है कि वे इतने कम समय में अपने बच्चों और परिवार को लेकर कहां जाएंगे। बिल्डर की गलती का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है, वे तो रातोंरात सड़क पर आ गए। अपने जीवन की जमा पूंजी लगाकर मकान खरीदा था, अब उसे अपनी आंखों के सामने कैसे गिरता देखेंगे। बता दें कि आवास विकास ने बिल्डिंग पर नोटिस चस्पा कर 5 अगस्त से पहले सभी फ्लैट मालिकों को इसे खाली करने के लिए कहा है। मुनादी भी शुरू करा दी है। रविवार को यहां रहे रहे फ्लैट ओनर्स ने मीटिंग बुलाई। इसमें तय किया गया कि वे भी कोर्ट में याचिका डालकर अपना पक्ष रखेंगे। साथ की आवास विकास से भी गुहार लगाएंगे। फ्लैट में रहने वाले लोगों ने बताया कि आवास विकास से बिल्डिंग का टू बीएचए के 9 फ्लैट का नक्शा स्वीकृत था, लेकिन बिल्डर ने वन बीएचए के 23 फ्लैट बना दिए। इनमें से कुछ फ्लैट नहीं बिके हैं।कोर्ट में जाकर केस लड़ने में भी लगेंगे पैसेइलाहबाद हाई कोर्ट ने वसुंधरा सेक्टर-1 के प्लॉट नंबर 831 में हुए अवैध निर्माण वाले फ्लैटों को गिराने के आदेश दिए हैं। फ्लैट खरीदारों को चिंता सता रही है। उनका कहना है कि वह अपने छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएंगे और क्या करेंगे। निवासी बृजेश कुमार ने बताया कि अभी कुछ लोग सामने आए हैं। बाकी लोग हमारे कदम का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट की प्रक्रिया में पैसा भी खर्च होगा। अभी कुछ लोग आपस में शेयर कर इसका इंतज़ाम कर रहे हैं। बिल्डर के लोग भी अब गायब हैं। सब अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। निवासी मुकेश कुमार ने बताया कि नोटिस पढ़ने के बाद से नींद नहीं आ रही। हम सर्विस क्लास लोग हैं, एक हफ्ते के अंदर कहां चले जाएंगे। इतना आसान नहीं है। कोर्ट में गुहार लगाकर यहां की स्थिति बताएंगे। इसमें तो पूरी गलती बिल्डर की है, बायर्स को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। इन लोगों का कहना है कि लोन लेकर मकान खरीदा है। बैंक से लोन मिलने के बाद हम सभी आश्वस्त थे कि यह सही मानकों पर बनी है, तभी बैंक से लोन मिल रहा है। इसमें एक फ्लैट खरीदने के लिए लोगों ने अपने जीवनभर की कमाई लगा दी है।बिल्डिंग पर नोटिस चस्पा देखा तो पता चलायह मामला उस समय सामने आया, जब सेक्टर-1 वसुंधरा में बनी एक बिल्डिंग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद आवास विकास ने नोटिस चस्पा किया। नोटिस में हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया गया कि 5 अगस्त को बिल्डिंग में हुए अवैध निर्माण के हिस्से को गिराया जाएगा। इसलिए यहां रहे रहे सभी लोग उससे पहले अपना फ्लैट खाली कर दें। इसके बाद से यहां के निवासियों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। बताया जा रहा है कि 2012 यह बिल्डिंग बनी थी।फ्लैटों के लेनदेन का था विवाद, RTI लगाई तो सामने आया सचबताया जा रहा है कि बिल्डिंग के दो फ्लैटों को लेकर किसी महिला का बिल्डर से विवाद हुआ। इसमें पैसों के लेनदेन का विवाद था। उसके बाद उस महिला ने आरटीआई लगाकर कोर्ट में अवैध निर्माण की शिकायत कर दी, जिसके बाद कोर्ट ने इस निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश आवास विकास को दे दिए।बिल्डिंग निर्माणकर्ता ने झाड़ा पल्लाबिल्डिंग में रहने वालों ने बिल्डर के नंबर उपलब्ध कराए। उन्होंने बताया कि यह प्रॉपर्टी पार्टनरशिप में बनी थी, जिसमें बिजेंद्र चौधरी और रामप्रकाश पाठक थे। बिजेंद्र चौधरी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मामले से खुद को अलग बताया। दूसरे से संपर्क नहीं हो सका। उधर, सवाल यह है कि जब बिल्डर अवैध तरीके से निर्माण कर फ्लैट्स बेच रहा था, तब संबंधित अधिकारी और आवास विकास ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया? अब जब लोग अपने जीवन भर की पूंजी लगाकर यहां फ्लैट खरीद चुके हैं और कई साल से यहां रह रहे हैं, ऐसे में फ्लैट को गिराने के आदेश से हड़कंप मचा हुआ है। जमकर हो रहा अवैध निर्माणवसुंधरा के सेक्टरों में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण की काफी शिकायतें हैं। आवास विकास के अफसरों पर मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं। परिषद के अधिकारियों की कई मामलों में जांच चल रही है। मुख्यालय से एक जांच टीम इसकी जांच में जुटी है। हालांकि परिषद के अधिकारी यही कहते हैं कि उनकी तरफ से बायर्स को अवेयर किया जा रहा है कि वह बिल्डर फ्लोर खरीदते समय नक्शे की जांच जरूर परिषद कार्यालय से करा लें। इसके अलावा, बैंकों से भी लोन न देने के लिए आरबीआई को पत्र लिखा गया है। हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई के कदम उठाए जा रहे हैं। वसुंधरा में अवैध निर्माण की जहां तक बात है, उसे लेकर बायर्स को अवेयर किया जा रहा है कि फ्लैट खरीदने से पहले सर्कल ऑफिस से उसकी जानकारी जरूर पता करें। पूर्व में आरबीआई को भी पत्र लिखकर बैंकों से लोन अप्रूव न करने के लिए कहा जा चुका है। राकेश चंद्रा, सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर, आवास विकास