
दिल्ली में सभी राज्यों के गृह मंत्रियों के लिए आयोजित 2 दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘पुलिस के लिए ‘एक राष्ट्र, एक यूनिफॉर्म’ सिर्फ एक विचार है। मैं यह आप सभी पर थोपने की कोशिश नहीं रहा। इसके बारे में आप सोचिए। यह 5, 50 या 100 सालों में हो सकता है। लेकिन हमें इसके बारे में विचार करना चाहिए।’ पीएम मोदी के इस विचार के बाद आपने मन में पहला सवाल यह उठा होगा कि देश के किन-किन राज्यों में पुलिस की वर्दी का रंग अलग-अलग है। आइये जानते हैं यूपी से लेकर कोलकाता तक पुलिस की यूनिफॉर्म किस तरह अलग है और इसकी क्या खासियत है।
कोलकाता की पुलिस पहनती है सफेद ड्रेस
देश में कोलकाता पुलिस अभी भी सफेद रंग की ही वर्दी पहनती है। 1845 में अंग्रेजो ने ही कोलकाता में पुलिस बल का गठन किया था। तब नियम के मुताबिक, उन्हें भी सफेद रंग की वर्दी दी गई। बाद में जब 1847 में सर हैरी लम्सडेन ने खाकी रंग की वर्दी का प्रस्ताव दिया, तब कोलकाता पुलिस ने इसे खारिज कर दिया। इसके पीछे कारण दिया गया कि कोलकाता तटीय इलाका है। ऐसे में वहां वातावरण में नमी ज्यादा है। ऐसे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सफेद रंग ज्यादा बेहतर है।
कर्नाटक पुलिस सिर पर लगाती है हैट
कर्नाटक में एक समय था जब पुलिसकर्मी निक्कर पहना करते थे। लेकिन अब इसकी जगह पैंट ने ले ली है। बाद में हेड कान्स्टेबल को कुर्ता और पुलिस कान्स्टेबल को शर्ट पहनने की अनुमति मिल गई। कर्नाटक में अभी भी रैंक के हिसाब से हैट बनने का नियम है। कुछ साल पहले तक कर्नाटक महिला पुलिस को साड़ी पहनती होती थी, लेकिन अब इसकी जगह पैंट-शर्ट ने ले ली है। इसी तरह पिछले साल राज्य सरकार ने कॉन्स्टेबल और हेड कॉन्स्टेबल के लिए नीले रंग की टी-शर्ट और ट्रैक पैंट पहनने की अनुमति दे दी।
बांह मोड़कर वर्दी पहनते हैं यूपी के पुलिसकर्मी
साल 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी में बड़ा बदलाव किया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस के गर्मियों में सूती कपड़े की यूनिफॉर्म पहनने पर रोक लगाई गई। शर्ट का कपड़ा टेरीकॉट का और पैंट के कपड़े से उसका रंग हल्का किया गया। नए प्रस्ताव में तर्क दिया गया था कि कई पुलिसकर्मी गर्मियों में कमीज की बांह मोड़ कर पहनते हैं। आधी आस्तीन की शर्ट होने पर इसे मोड़कर पहनने की जरूरत नहीं होगी।
यहां पुलिस की टोपी का रंग होता है लाल
पुदुचेरी पुलिस की वर्दी में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। यहां पुलिस की टोपी का रंग लाल होता है। दरअसल देश को आजादी मिलने के बाद यह हिस्सा फ्रांस के अधीन रहा। फ्रांस ने अलग दिखने के लिए पुलिस को लाल टोपी पहनने को कहा था। 1954 में फ्रांस से अलग होने के बाद पुदुचेरी में यह चलन जारी रहा।
1847 में पहली बार पहनी गई खाकी रंग की वर्दी
सन 1847 में सर हैरी लैंसडेन जो की एक अधिकारी के पद पर कार्यरत थे, उन्होंने सबसे पहले खाकी रंग की वर्दी पहनी थी। इसके बाद आर्मी रेजिमेंट और पुलिस विभाग ने पूरी तरह से खाकी रंग की वर्दी को आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया। तब से ही यह वर्दी भारतीय पुलिस की पहचान बन गई।
देश में पुलिस की पहचान एक जैसी होनी चाहिए
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि देश भर में पुलिस की पहचान एक जैसी हो सकती है। केंद्र सरकार इससे पहले, ‘एक राष्ट्र, एक मोबिलिटी’ कार्ड, ‘एक राष्ट्र, एक राशन’ कार्ड, ‘एक राष्ट्र, एक सांकेतिक भाषा’ और ‘एक राष्ट्र, एक ग्रिड’ जैसी योजनाएं आरंभ कर चुकी है। ‘एक राष्ट्र, एक कार्ड’ लोगों को मेट्रो सेवाओं और देश भर में टोल टैक्स सहित कई प्रकार के परिवहन शुल्क का भुगतान करने में सक्षम करता है। इसी प्रकार सरकार ने ‘एक देश, एक राशन’ कार्ड योजना की शुरुआत की थी।