तो दिल्ली में ध्रुवीकरण तय? इस चुनाव में किसे वोट करेंगे दिल्ली के मुस्लिम वोटर

नई दिल्ली : उत्तर-पूर्वी दिल्ली के श्रीराम कॉलोनी की एक दुकान में 32 वर्षीय अबरार गर्मी से राहत पाने के लिए कोल्ड ड्रिंक पी रहे हैं। धूल का गुबार उड़ रहा और उन्हें परेशानी हो रही है। इस इलाके में मुख्य रूप से मुस्लिम परिवार रहते हैं, यहां सड़कें टूटी हुई हैं, मैनहोल खुले हैं और कूड़े का ढेर लगा हुआ है। सीवर की लाइनें ओवरफ्लो हो रही हैं और उनसे दुर्गंध आ रही है। एक निजी फर्म में एग्जीक्यूटिव अबरार ने कहा, ‘हर दिन हम जाम नालियों, ओवरफ्लो हो रहे कूड़े और खराब स्ट्रीट लाइटों से जूझते हैं।’ इन परिस्थितियों के बावजूद भी अब तक उन्होंने वोटिंग को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह चुनाव की तारीख करीब आने पर अपना निर्णय लेंगे।मुस्लिम वोटर्स नहीं खोल रहे अपने पत्तेहमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने विभिन्न मोहल्लों में जाकर लोगों से बात की। इसमें पाया गया कि अबरार की तरह दूसरे मुस्लिम मतदाता भी वोटिंग को लेकर अपने पत्ते छिपा रहे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली की आबादी में इस समुदाय की हिस्सेदारी करीब 12.9 फीसदी है। ऐसे में वो राजनीतिक दल लोकसभा चुनावों में इनका समर्थन चाहते हैं। वैसे तो उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं का प्रतिशत सबसे अधिक 20.7 फीसदी है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में भी मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है।कहां कितने फीसदी मुस्लिम वोटर्सचांदनी चौक में 14 फीसदी, पूर्वी दिल्ली में 16.8 फीसदी, नई दिल्ली में 16.8 फीसदी, उत्तर पश्चिमी दिल्ली में 10.6 फीसदी, दक्षिण दिल्ली में 7 फीसदी और पश्चिमी दिल्ली में 6.8 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। हालांकि, प्रमुख राजनीतिक दलों में से केवल बहुजन समाज पार्टी ने ही एक मुस्लिम उम्मीदवार को चुनावी रण में उतारा है। बीएसपी ने चांदनी चौक में अब्दुल कलाम आजाद को टिकट दिया है।दिल्ली दंगों का चुनाव में कितना असर2020 में सांप्रदायिक दंगों से प्रभावित जौहरीपुर में एक लकड़ी के तख्त पर बैठे 66 वर्षीय मोहम्मद मुश्ताक ने कहा कि वह उत्तर पूर्वी दिल्ली में कांग्रेस कैंडिडेट कन्हैया कुमार को वोट देंगे। मुश्ताक ने कहा कि हमें गौरक्षकों के मामलों से परेशानी हुई। हालांकि, बेरोजगारी मुसलमान और हिंदू दोनों के लिए एक समस्या है। नागरिक संशोधन अधिनियम की अधिसूचना से बीजेपी को कोई फायदा नहीं होगा। हालांकि तीन तलाक को खत्म कर दिया गया है, लेकिन इससे तलाक के मामलों में नहीं आई है और लोग अपनी शादियों को खत्म करने के लिए कानूनी रास्ते अपना रहे हैं। उनके पड़ोसी, 42 वर्षीय मोहम्मद अनीश अंसारी, जो बेड से जुड़े सामान का व्यवसाय करते हैं। उनका मानना है कि मतदान से ठीक पहले वोटर्स को ध्रुवीकरण करने के लिए सीएए की अधिसूचना लागू की गई। हमें पता है कि बीजेपी नेता वोटों को बांटने के लिए मुस्लिम समुदाय के बारे में टिप्पणी कर रहे।कोरोना संकट का भी वोटिंग में दिखेगा असरमोहम्मद अनीश अंसारी ने भी कहा कि वह कन्हैया कुमार को वोट देंगे क्योंकि वह शिक्षित हैं और संभवतः क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। गोकलपुरी के टायर बाजार, जो 2020 के दंगों और फिर कोविड लॉकडाउन से तबाह हो गया था। इसके बाजार सचिव नजर मोहम्मद के अनुसार यहां अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। दंगों के दौरान, 50 फीसदी दुकानें जला दी गईं, 20 फीसदी लूट ली गई थीं। हमने जो खोया था उसे फिर से बनाने के लिए लोन लिया। उन्होंने फाइनेंस और मुद्रास्फीति को व्यवसाय के लिए प्राथमिक चुनौतियों और उनके वोट को प्रभावित करने वाले कारकों के रूप में पहचाना। व्यापार कम होने से रोजगार प्रभावित हुआ है। मोहम्मद ने खुद अपने कर्मचारियों की संख्या 10 से घटाकर सिर्फ एक कर दी है।शाहीन बाग में क्या है लोगों की सोच2020 में सीएए-एनआरसी के विरोध को लेकर वैश्विक स्तर पर स्वीकृत ग्राउंड जीरो शाहीन बाग में इस बार वोटिंग को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रहीं। सीएए का स्वागत करते हुए, 47 वर्षीय प्रॉपर्टी डीलर सैयद नाजमी हबीब ने कहा, ‘हमारा सबसे बड़ा विरोध सस्ते राजनीतिक फायदे के लिए हिंदू और मुस्लिम समुदायों को विभाजित करना है। लोग अब एक-दूसरे को शक की निगाह से देखते हैं। यहां तक कि नफरत भी करते हैं। इससे दहशत पैदा हो रही है क्योंकि इसका असर जीवन और व्यवसाय पर पड़ रहा है।किस मुद्दे पर होगी वोटिंगमुस्तफाबाद की एक हाउसवाइफ शबाना ने कहा कि वह अपने इलाके के विकास को लेकर वोट देंगी। यहां कोई सामुदायिक केंद्र नहीं है, सड़कें गड्ढों वाली हैं और ट्रैफिक जाम की समस्या है। पुरानी दिल्ली के एक दुकानदार 70 वर्षीय नवाब को यकीन है कि बीजेपी 25 मई का चुनाव जीतेगी क्योंकि उन्होंने कुछ काम किया है। पुरानी दिल्ली में टूर और ट्रैवल का कारोबार करने वाले तसलीम अहमद ने राजनीतिक व्यवस्था से मोहभंग की बात कही। उन्होंने कहा कि वो नोटा का बटन दबाएंगे। उन्होंने बताया कि चुने हुए नेता जनता के लिए काम नहीं करते। वे वादे तो करते हैं, लेकिन कभी पूरा नहीं करते। वे आम लोगों से किए गए अपने वादों को पूरा करने में लगातार विफल रहते हैं।क्या कहते हैं सियासी एक्सपर्टहिंदू कॉलेज में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि हालांकि मुसलमान अपनी वोटिंग रणनीति के बारे में मुखर नहीं हैं, लेकिन मेरा मानना है कि वे इंडी अलायंस के उम्मीदवारों को एकमुश्त वोट देंगे। यह स्पष्ट है कि वे बीजेपी के साथ सहज नहीं हैं, जिसे पार्टी अच्छी तरह से जानती है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणीय था। इस साल बीजेपी और इंडी अलायंस के बीच द्विध्रुवीय मुकाबला है। कुछ हद तक अनिर्णायक तत्व अब मौजूद नहीं है।