नई दिल्ली: महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई (RBI) ने पिछले साल मई से रेपो रेट में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इससे लोगों की लोन की किस्त काफी बढ़ गई है। लेकिन फिलहाल लोगों को इससे राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी (S&P) के मुताबिक आरबीआई अगले साल की शुरुआत में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। खुदरा महंगाई में कमी ने ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद जगाई थी लेकिन मॉनसून की अनिश्चितता और अल नीनो ने इन उम्मीदों पर फिलहाल पानी फेर दिया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि उनका प्रयास महंगाई को चार फीसदी के टारगेट तक लाने का है लेकिन इसमें अल नीनो बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।दास ने हाल में कहा था कि महंगाई के खिलाफ हमारी जंग अभी पूरी नहीं हुई है। अभी आधा ही काम हुआ है। हमें आगे इस पर नजर रखनी है और अगर इसमें तेजी आती है तो उससे निपटने के लिए तैयार रहना है। उन्होंने कहा कि ग्रेटर पॉलिसी फोकस के लिए प्राइस और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी जरूरी है। अल नीनो प्रभाव के कारण मॉनसून के प्रभावित होने की आशंका है। आरबीआई को दो फीसदी के घटबढ़ के साथ महंगाई को चार प्रतिशत रखने का टारगेट मिला है। भारत का बजता रहेगा डंकाएसएंडपी का कहना है कि 2026 तक एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाएं दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी बनी रहेंगी। इसमें भारत, वियतनाम और फिलीपींस सबसे आगे रहेंगे। 2023-26 के दौरान भारत की इकॉनमी औसतन 6.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है। इसी तरह वियतनाम की रफ्तार औसतन 6.6 परसेंट और फिलीपींस की 6.1 परसेंट रहेगी। घरेलू डिमांड के दम पर इन देशों की इकॉनमी में उछाल आएगा।