कॉफी, चॉकलेट, शुगर और ओरेंज जूस की किल्लत… अल नीनो ने बढ़ाई पूरी दुनिया की टेंशन

नई दिल्ली: अल नीनो (El Nino) ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया की टेंशन बढ़ा दी है। मॉनसून ने केरल में दस्तक दे दी है लेकिन इसके साथ ही अल नीनो भी सक्रिय हो चुका है। इससे मॉनसून प्रभावित हो सकता है। अल नीनो हर चार साल में सक्रिय होता है। अमेरिकी की मौसम एजेंसियों ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रशांस महासागर में अल नीनो की स्थिति बनने लगी है। अल नीनो के असर के कारण भारत में करीब 10 फीसदी कम बारिश होती है। लेकिन अल नीनो की संभावना से भारत ही परेशान नहीं है। इसने दुनिया के कई देशों की टेंशन बढ़ा दी है। दुनिया के कई देशों में अभी से कॉफी, चॉकलेट और ओरेंज जूस की भारी किल्लत होने लगी है। महंगाई की मार से जूझ रही दुनिया के लिए अल-नीनो और मुश्किलें पैदा कर सकता है।ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाइट सप्लाई के कारण कॉफी, चॉकलेट्स और ओरेंज जूस जैसे सॉफ्ट कमोडिटीज की कीमत में इस साल काफी तेजी आई है। अल नीनो की वापसी और इन चीजों को पैदा करने वाले देशों में गर्मी बढ़ने की आशंका से स्थिति और बदतर हो गई है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन में दुकानदार इंस्टैंट कॉफी जार को सिक्योरिटी केसेज में रख रहे हैं ताकि इन्हें चोरी से बचाया जा सके। इसी तरह जापान में एक बड़ी बेवरेज कंपनी ने शॉर्टेज के कारण ट्रॉपिकाना ओरेंज जूस की बिक्री बंद कर दी है। जर्मनी में चॉकलेट और बिस्कुट बनाने वाली कंपनियों की शिकायत है कि शुगर और कोकोआ की कीमत उनके बूते से बाहर हो गई है। कॉफी की कीमत में तेजीइस हफ्ते कॉफी की कीमत 2008 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इस साल सॉफ्ट कमोडिटीज की कीमत में 24 फीसदी तक तेजी आई है। लेकिन गेहूं और मक्के की कीमत में गिरावट देखी जा रही है। जानकारों का कहना है कि ब्रेड और पास्ता की कीमत में कमी आएगी लेकिन शुगर, कॉफी और चॉकलेट की कीमत में इजाफा होगा। ब्राजील में कॉफी बीन के उत्पादन में पांच परसेंट गिरावट आने की आशंका है। दुनिया में रॉबस्टा काफी का दूसरे सबसे बड़े निर्यातक इंडोनेशिया में उत्पादन 20 फीसदी तक गिर सकता है। साथ ही रॉबस्टा के सबसे बड़े उत्पादक देश वियतनाम का भंडार लगातार सिकुड़ रहा है।इसी तरह चॉकलेट बनाने वाली कंपनियों के लिए भी हालात और बदतर हो सकते हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा कोको (Cocoa Beans) पश्चिम अफ्रीका (West Africa) में होता है। लेकिन खराब मौसम के कारण वहां इसकी खेती में आठ फीसदी तक कमी आने की आशंका है। इस सीजन कोको की कीमत पहले ही सात साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। टॉप एक्सपोर्टर आइवरी कोस्ट (Ivory Coast) में फसल के खराब होने के कारण पहले ही सप्लाई टाइट है। कोको एक ऐसा पौधा है, जिससे चॉकलेट बनाया जाता है। कोको के बीजों को रोस्ट कर के डार्क चॉकलेट बनाई जाती है। ओरेंज जूस की बिक्री बंदइसी तरह ओरेंज जूस की कीमत में भी काफी बढ़ोतरी हो चुकी है। अमेरिका में इसका सबसे ज्यादा उत्पादन फ्लोरिडा में होता है। लेकिन वहां बीमारी और हरिकेन के कारण फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस कारण इसकी वायदा कीमत 36 साल के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। इस कारण ओरेंज जूस आम लोगों के बजट से बाहर हो गया है। बेवरेज इंडस्ट्री ने ओरेंज जूस से किनारा करना शुरू कर दिया है। जापान की कंपनी किरिन बेवरेज ने टाइट सप्लाई का हवाला देते हुए ओरेंज जूस की बिक्री बंद कर दी है।इससे पहले बारत में फाइनेंस मिनिस्ट्री ने चेतावनी दी थी कि अल नीनो से देश में सूखे जैसे हालात बन सकते हैं। इससे फसलों के उत्पादन में कमी और कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है। अल नीनो स्पेनिश भाषा का शब्द है। इसका मतलब होता है छोटा बच्चा (Little Boy)। इस साल अल नीनो प्रभाव के कारण मॉनसून (Monsoon) पर असर पड़ने की आशंका है। मौसम विभाग ने मॉनसून के सामान्य रहने का अनुमान जताया है लेकिन मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काइमेट (Skymet) ने मॉनसून के सामान्य से कम रहने की भविष्यवाणी की है। देश के एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए मॉनसून बहुत जरूरी है। देश की 60 फीसदी आबादी की आजीविका खेती पर निर्भर है और जीडीपी में इसका 18 परसेंट योगदान है। देश में करीब आधी खेती योग्य जमीन मॉनसून पर निर्भर है। क्या है अल नीनो प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल नीनो कहा जाता है। समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्र घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है। इससे समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है। इस गर्मी की वजह से समुद्र में चल रही हवाओं के रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आता है। इससे मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। अल नीनो का असर दुनिया भर में महसूस किया जाता है। इसके कारण बारिश, ठंड और गर्मी में अंतर दिखाई देता है। अब मौसम के बदल जाने के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है।