योगी से पहले जिनका गोरखपुर में ‘राज’ चलता था, वही शिव प्रताप शुक्ला बनाए गए हिमाचल के राज्यपाल

लखनऊ/गोरखपुर: देश भर में रविवार को 13 राज्यों के गवर्नर बदल दिए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कुछ राज्यपालों का तबादला किया है तो वहीं कुछ नए चेहरों को दायित्व सौंपा गया है। रविवार को यह खबर आते ही गोरखपुर से लेकर लखनऊ तक राजनीतिक हलचल मच गई। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजनीति के 3 चेहरे अब से राज्यपाल की भूमिका में हैं। अभी बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे फागू चौहान को मेघालय का, एमएलसी और बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य को सिक्किम का राज्यपाल बनाया गया है। तीसरा और सबसे अहम नाम है शिवप्रताप शुक्ला का। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद को हिमाचल प्रदेश का नया राज्यपाल बनाया गया है। वह राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की जगह यह जिम्मेदारी संभालेंगे। उत्तर प्रदेश की सियासत में शिव प्रताप शुक्ला की खासी अहमियत रही है। बीते करीब 4 दशक के राजनीति में सक्रिय शुक्ला को बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर माना जाता है। एक समय पूर्वांचल की राजनीति में क्षत्रिय बनाम ब्राह्मण के वर्चस्व की लड़ाई में भी शिव प्रताप अहम रहे हैं। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए शिव प्रताप शुक्ला पहली बार 1989 में गोरखपुर शहर से विधायक बने थे। कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर उन्होंने बीजेपी का झंडा बुलंद किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1989, 1991, 1993 और 1996 के चुनाव में शुक्ला लगातार विधायकी का चुनाव जीतते रहे। वह यूपी कैबिनेट में मंत्री भी रहे। लेकिन इसी समय गोरक्ष पीठ के उत्तराधिकारी राजनीति में सक्रिय हो गए। 1998 में योगी आदित्यनाथ सांसद चुने गए। योगी गोरखपुर के सांसद थे और शिव प्रताप शुक्ला विधायक। दोनों नेताओं के बीच अप्रत्यक्ष तौर पर सियासी टकराव शुरू हो गया। योगी ने सियासी वर्चस्व कायम रखने के लिए शुक्ला को हराने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया। सन 2002 के चुनाव में योगी ने शिव प्रताप के खिलाफ के प्रत्याशी डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल को चुनाव लड़वाया और जितवा भी दिया। बस यहीं से दोनों नेताओं में अदावत शुरू हो गई। गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक परचम बुलंद रहा। और धीरे-धीरे शिव प्रताप शुक्ला नेपथ्य में चल गए। हालांकि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ वफादारी से लगे रहे। इसका लाभ उन्हें 2014 के समय में मिला, जब नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके अच्छे दिन आने शुरू हुए। शिव प्रताप शुक्ला केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के सांसद भी बने। इतना ही नहीं पिछले साल 2022 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने उन्हें ब्राह्मण समाज को साधने की जिम्मेदारी भी दी। हालांकि योगी और शिव प्रताप कई बार सार्वजनिक तौर पर एक मंच साधा करते हुए नजर आए। रवि किशन के गोरखपुर लोकसभा से चुनाव लड़ने के वक्त भी दोनों नेता मंच पर थे। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दोनों के बीच अंदरखाने सुगबुगाहट चलती रहती है।