ओपी अश्क, पटना: विपक्षी एकता पर पहली बैठक की कामयाबी से भाजपा विरोधी सभी दल उत्साहित हैं। बिहार के सीएम के खाते में विपक्षी बैठक की कामयाबी का श्रेय जाता है। बैठक में शामिल होने पहुंची बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सफल आयोजन के लिए नीतीश के प्रति आभार भी जताया। बैठक के बारे में एक लाइन का लब्बोलुआब यही रहा कि नीतीश कुमार विपक्षी दलों के समूह के संयोजक होंगे। बाकी बातें अगली बैठक में तय होंगी। अगली बैठक शिमला में अगले महीने होगी।अगली बैठक में तय होगा सीट शेयरिंग फार्मूलाबैठक में राय बनी कि अगली बैठक शिमला में होगी। सारी बातें अगली बैठक में ही तय होंगी। कामन मिनिमम प्रोग्राम बना कर विपक्षी दल जनता के बीच जाएंगे। कौन दल कितनी सीटों पर लड़ेगा, किसे कौन-सी सीट दी जाएगी, यह सब भी अगली बैठक के लिए टाल दिया गया है। सीट शेयरिंग ही एक ऐसा मुद्दा है, जहां पेंच फंस सकता है। बैठक के बाद भले ही यह बताया गया कि अगली बैठक में सीट शेयरिंग का फार्मूला फाइनल हो जाएगा, लेकिन यह काम आसान नहीं है। हालांकि सकारात्मक ढंग से सोचा जाए तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। पिछले अनुभव और हाल के दिनों में आम आदमी पार्टी और टीएमसी की ओर से आते रहे बयानों से यही लगता है कि एकता की सहमति वहीं जाकर बिखर जाएगी। राहुल गांधी ने स्वीकारा, हर दल में थोड़ा डेफरेंस ने भी कबूल किया कि सभी दलों में कुछ न कुछ मतभेद तो है, लेकिन सबका इरादा एक है- भाजपा को हराना। कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में संबोधन और साझा प्रेस कांफ्रेस में राहुल के बयान के केंद्र में भाजपा ही रही। हालांकि एयरपोर्ट पर नीतीश कुमार ने जिस तरह उनकी आगवानी की, उससे एक बात तो साफ हो गई कि विपक्षी एकता में सभी दलों पर कांग्रेस भारी पड़ रही है। ममता ने कहा- BJP को किसी हाल में हम हराएंगेममता बनर्जी ने बिहार को आंदोलन की भूमि बताया। यह सच भी है कि आजादी का आंदोलन हो या संपूर्ण क्रांति, सबका आगाज बिहार से ही हुआ है। यही सोच कर ममता ने नीतीश से मुलाकात के दौरान पटना में विपक्षी दलों की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था। ममता ने कहा कि भाजपा को भगाने के लिए खून भी बहाना पड़े तो हम सभी तैयार हैं। ममता ने कहा कि बैठक से तीन चीजें क्लीयर हो गई हैं। पहला कि हम एक हैं, दूसरा- साथ-साथ चुनाव लड़ेंगे और तीसरा कि बीजेपी के हर एजेंडे का सामूहिक तौर पर विरोध करेंगे। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार होगाइस बात पर सभी दलों में सैद्धांतिक सहमति बन गई कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार होगा। जिस दल का जो उम्मीदवार पिछली बार जीता या दूसरे नंबर पर रहा, वह सीट उसी दल को दी जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो सीट बंटवारे में कांग्रेस के खाते में 250 से अधिक सीटें नहीं आएंगी। कांग्रेस ने पहले से ही कम से कम 350 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रखी है। यूपीए का नाम बदला जाएगा, नया तय करना बाकीबैठक में यह तो तय हो गया कि अब विपक्षी गठबंधन का नाम यूपीए नहीं रहेगा, लेकिन नया नाम क्या होगा, इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका। शिमला में 10 से 12 जुलाई को होने वाली बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। ममता बनर्जी ने जब कांग्रेस को किनारे रख कर विपक्षी दलों का नया मोर्चा बनाने का प्रयास कर रही थीं, तब भी कहा था कि अब यूपीए का अस्तित्व खत्म हो गया है। अगली बैठक में तय होगा कामन मिनिमम प्रोग्रामसारे दल साथ आ गए तो काम करने के लिए कामन मिनिमम प्रोग्राम तो बनाना ही पड़ेगा। नीतीश कुमार इसे तैयार करेंगे और सारे विपक्षी दल उन्हें जरूरी सलाह देंगे। जम्मू कश्मीर से धारा 370 के खात्मे के सवाल पर आम आदमी पार्टी का स्टैंड नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को नागवार लगा था। उन्होंने अपनी पीड़ा का इजहार भी बैठक में किया। उद्धव ठाकरे हिन्दुत्व पर कैसे अपना रुख बदलेंगे। बैठक में दिल्ली सरकार को पंगु बनाने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश पर भी चर्चा हुई। इस मुद्दे पर ने सबसे समर्थन की अपील की। सभी दलों ने साझे तौर पर कांग्रेस से साथ देने का आग्रह किया। कांग्रेस ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। खरगे ने सिर्फ इतना ही कहा कि समय पर आने पर इस पर चर्चा की जाएगी। एक बात पर जरूर सहमति बन गई कि बीजेपी के किसी भी एजेंडे का साझा तौर पर मुकाबला किया जाएगा।