इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने आईएमएफ की शर्तों को मानने के लिए पेट्रोल की कीमतों में हाल ही में बढ़ोतरी की थी। लेकिन अब शहबाज शरीफ अपने ही घर में घिर गए हैं। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पार्टी ने शहबाज शरीफ सरकार को वॉर्निंग दी है। TLP ने सरकार को 72 घंटे का समय दिया है कि वह तेल की कीमतों को बढ़ाने का फैसला वापस लें। अगर ऐसा नहीं किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। पाकिस्तानी सरकार ने बुधवार को पेट्रोल की कीमतों में 22.20 रुपए और डीजल में 17.20 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। वही हैं, जिन्होंने कुछ दिनों पहले कहा था कि पाकिस्तान को दुनिया में एक हाथ में परमाणु बम लेकर कर्ज मांगना चाहिए।इस बढ़ोतरी के बाद पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपने रेकॉर्ड लेवल पर पहुंच गईं। शुक्रवार को लाहौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान TLP प्रमुख साद हुसैन रिजवी ने कहा कि अगर सरकार कीमतों को वापस नहीं लेती तो TLP वह करेगी, जिसके लिए वह जानी जाती है। मौलाना साद विरोध प्रदर्शन का संदर्भ दे रहे थे, जो पहले भी TLP की ओर से पाकिस्तान में किया गया था। रिजवी ने अपने बयान में कहा, ‘मैं सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दे रहा हूं कि पेट्रोल की बढ़ी कीमतों को वापस लो।’सरकार मंत्रियों का खर्च कम करेमौलाना साद ने कहा कि पाकिस्तान 75 साल में 23वीं बार IMF के सामने लोन की भीख मांग रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का कर्ज एक साल में ही 23 फीसदी बढ़ गया है। मौलाना साद ने यह भी दावा किया कि IMF पाकिस्तान के परमाणु अड्डों का भी दौरा करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के गरीब लोगों को इस हद तक निचोड़ लिया गया है कि वह विरोध के बारे में सोच भी नहीं सकता। साद रिजवी ने कहा कि सरकार को अपने ‘मंत्रियों और सलाहकारों की सेना’ को कम खर्च करने की सलाह देना चाहिए। ‘अय्याशी कम करें’साद रिजवी ने मांग की है कि राजनेताओं और सरकारी अधिकारी को दिया जाना वाला पेट्रोल तुरंत बंद किया जाना चाहिए, क्योंकि हर रोज वे लाखों लीटर तेल इस्तेमाल में ले रहे हैं। मौलाना साद ने कहा, ‘ये अपनी अय्याशियां कम करने के बजाय बोझ कौम पर डाल रहे हैं। पेट्रोल की कीमत इन्होंने फिर बढ़ाई है। हम आपको 72 घंटे का अल्टीमेटम दे रहे हैं। अगर पेट्रोल की बढ़ी कीमत वापस नहीं हुई तो हम वह करने को मजबूर हो जाएंगे, जिसके लिए TLP को जाना जाता है।’ मौलाना साद का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उनकी आलोचना हो रही थी कि वह शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं।