कटक: सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र कम करने पर बहस के बीच, ओडिशा हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने 10 साल से जेल में बंद एक 45 वर्षीय शख्स को बरी कर दिया। उसके ऊपर नाबालिग से रेप का आरोप लगा था। कोर्ट में पीड़िता ने बयान दिया कि सेक्स उसकी सहमति से हुआ था। तब पीड़िता 17 साल की थी। कोर्ट ने युवती के बयान पर कहा कि आरोपी को दोषी ठहराने के लिए रेकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से रेप साबित नहीं हुआ था।न्यायमूर्ति एसके साहू ने कहा कि मामले के रेकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि लड़की उस समय 17 वर्ष की थी। वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ जंगलों में जाती थी और हर दिन उसके साथ यौन संबंध बनाती थी।शादीशुदा के साथ बनाए संबंधहाई कोर्ट ने कहा कि लड़की यह अच्छी तरह से जानती थी कि शख्स शादीशुदा है। उसके चार बच्चे भी हैं। उसने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। जब तक वह गर्भवती नहीं हुई, उसने कभी कोई आपत्ति नहीं की और न ही इस बारे में किसी को बताया।सहमति से हुआ सेक्सजस्टिस साहू ने फैसले में कहा, ‘आरोपी ने कभी उससे शादी करने का वादा नहीं किया। वह यह भी जानती थी कि आरोपी के साथ शादी संभव नहीं थी क्योंकि वह एक शादीशुदा और बच्चों वाला व्यक्ति था। इसलिए, मेरे विनम्र विचार में यह एक सहमति वाला काम था।’क्या है मामलालड़की के पिता ने शख्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पांच साल बाद 14 अगस्त, 2018 को सुंदरगढ़ की अतिरिक्त सत्र अदालत ने शांतनु कौड़ी को बलात्कार का दोषी ठहराया था। इस फैसले को कौडी ने 2019 में हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।अदालत ने कहा कि अगर पीड़िता यह कहती है कि उसकी मर्जी से शारीरिक संबंध बने, ऐसे में इसेरेप नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, अदालत ने फैसला सुनाया कि लड़की को दी गई मुआवजे की रकम उससे वसूलने की जरूरत नहीं है।