140 करोड़ का स्कॉलरशिप का घोटाला… बौद्ध धर्म अपनाकर लिया करोड़ों का अनुदान, फिर कर ली ‘घर वापसी’!

डॉ रामू सिंह परिहार, फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद में व जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर आसीन व्यक्ति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की। इलाहाबाद हाइकोर्ट () में याची संजय सिंह की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें धर्म परिवर्तन कर अनुदान और फिर मूल धर्म में वापसी के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष का पद हथियाने वाले अभय प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह के मामले पर हाईकोर्ट ने 23 फरवरी को सुनवाई की।पहले ली कॉलेज की मान्यता, फिर बने अल्पसंख्यकइलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में याची ने बताया कि शिक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले अभय प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने अपने कॉलेज की मान्यता 2003 में ली थी। वहीं अपना मूल धर्म छोड़कर अल्पसंख्यक 2004 में बने।राज्य सरकार सहित 7 लोगों से मांगा जवाबइलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व जिले के शिक्षा माफिया व मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह सहित सात लोगों पर लगाये गए गंभीर आरोपों पर जवाब मांगा है।शिक्षण संस्थान के नाम पर लूटआरोप है कि अभय प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह अपने मूल धर्म हिन्दू, जाति क्षत्रिय को छिपाया है। धर्म परिवर्तन कर बौध धर्म अपनाते हुए अल्पसंख्यक समुदाय का फर्जी लाभ लेकर शिक्षण संस्थाओं के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से करोड़ों की लूट की है।स्कॉलरशिप में 140 करोड़ का घोटालाहाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार समेत सात प्रतिवादियों से जवाब मांगा है। वहीं हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए धर्म परिवर्तन कर अल्पसंख्यक समुदाय से शिक्षण संस्थाओं और विश्विद्यालय की मान्यता लेकर 140 करोड़ रुपए की छात्रवृति घोटाले के आरोप को भी संज्ञान में लिया है।झूठा शपथ पत्र देकर हाईकोर्ट को भी किया गुमराहअल्पसंख्यक समुदाय (बौद्ध धर्म) का झूठा शपथ पत्र देकर शिक्षण संस्थान का संचालन कर सरकार की ओर से मिलने वाले करोड़ों के अनुदान का लाभ लेकर सरकार को गुमराह किया है। इतना ही नहीं जनपद में राजनीति की धुरी कहे जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सनातन धर्म के हिन्दू क्षत्रिय जाति का हलफनामा देकर अध्यक्ष पद हासिल करने में कामयाब रहे। साथ ही अपने विरुद्ध कोई भी आपराधिक मामला न होने का झूठा शपथ पत्र देकर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर हाइकोर्ट को भी गुमराह करने के गंभीर आरोप हैं।