रियाद: भारत अभी तक हथियारों के आयातक के रूप में जाना जाता रहा है। लेकिन अब वह खुद को हथियारों का निर्यातक बनाने में लगा है। इसमें उसने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को सबसे ज्यादा बढ़ावा दिया है, जिसे भारत के रक्षा निर्यात का ‘पोस्टर चाइल्ड’ भी कहा जाता है। भारत ने हाल ही में सऊदी अरब की ओर से आयोजित वर्ल्ड डिफेंस शो में ब्रह्मोस को प्रमोट किया। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सऊदी अरब को ब्रह्मोस का ऑफर दिया जा रहा है। 8 फरवरी को यह डिफेंस शो खत्म हुआ।रूस की मीडिया की कुछ रिपोर्टों में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संयुक्त उद्यम के एक अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया कि क्रूज मिसाइल की संभावित बिक्री के लिए सऊदी अरब के साथ बातचीत हो रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रह्मोस एयरोस्पेस के निर्यात निदेशक प्रवीण पाठक ने कहा, ‘हम कई उच्च स्तरीय बैठकों की उम्मीद कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस क्षेत्र (खाड़ी) में हमारे संयुक्त उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा। सऊदी अरब की ओर से रुचि दिखाई गई है और हम पहले भी अन्य प्रदर्शनियों में सऊदी के प्रतिनिधिमंडल से मिल चुके हैं। हम बातचीत को लेकर आशान्वित हैं।’फिलीपीन्स को बेचा गया है मिसाइलरक्षा शो के दौरान ब्रह्मोस मंडप में केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट, सऊदी में भारत के राजदूत डॉ. सुहेल अजाज खान मौजूद थे, जो खाड़ी के साझेदारों के साथ घनिष्ठ संबंध के बीच निर्यात को बढ़ाने के संकल्प को दिखाता है। हालांकि भारत सरकार या सऊदी किंगडम की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। भारत एक प्रमुख रक्षा निर्यातक बनना चाहता है। पहले ही वह फिलीपीन्स को यह मिसाइल बेच चुका है। अब वह नए ग्राहक खोज रहा है।क्या है मिसाइल की खासियत?ब्रह्मोस 1980 के दशक के अंत में बनी सोवियत काल की एंटी शिप मिसाइल का संशोधन है। रूस और भारत ने इसे मिलकर बनाया है। भारतकी ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम से जोड़कर इसका नाम रखा गया है। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो रैमजेट इंजन से लैस है। इसमें एक ठोस प्रोपेलेंट बूस्टर है। यह जमीन, पनडुब्बी, जहाज और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। इसकी स्पीड वर्तमान में मैक 2.8 से 3.0 है। हाइपरसोनिक संस्करण मैक 5 तक पहुंच सकता है।