रांचीः झारखंड के संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती तादाद राजनीतिक रूप से गैर भाजपा राजनीतिक दलों के लिए सुखद भले हो, लेकिन इसके खतरनाक दुष्परिणाम भी समय-समय पर सामने आते रहे हैं। घुसपैठिए भोलीभाली आदिवासी लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा कर उनसे शादी रचाते रहे हैं। नतीजतन आदिवासी बहुल संताल के डेमोग्राफी में अब आदिवासी अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं, जबकि घुसपैठियों की आबादी बेतहाशा बढ़ रही है। जनहित याचिका के जरिए इस मुद्दे को हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया गया है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि घुसपैठ की जानकारी होने के बावजूद सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं।संताल के दो जिलों में तिहाई से भी अधिक मुस्लिम संताल परगना के कुछ जिले बांग्लादेश सीमा से महज 40-50 किलोमीटर की दूरी पर हैं। इसलिए बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए झारखंड में प्रवेश करना आसान रहता है। वे आते हैं, शादी-ब्याह करते हैं और फिर यहीं अपना कुनबा फैलाते हैं। अब तो हालत यह हो गई है कि संताल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिलों में आदिवासी आबादी उतनी नहीं बढ़ रही, जितनी तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ती-बढ़ती अब तिहाई से भी अधिक हो गई है। जनसंख्या के आंकड़े देखें तो साल 2001 की जनगणना में साहेबगंज की कुल आबादी 9 लाख 27 हजार थी। इसमें मुसलमानों की आबादी 2 लाख 70 हजार थी। 2011 की जनगणना यानी 10 साल बाद साहेबगंज की कुल आबादी 11 लाख 50 हजार में मुस्लिम आबादी 3 लाख 8 हजार हो गई, जो तिहाई से मामूली कम है। इससे बुरा हाल पाकुड़ का है। 2011 में पाकुड़ जिले की कुल आबादी 9 लाख थी, जिसमें 3 लाख 23 हजार मुसलमान थे। 10 साल पहले यानी 2001 में पाकुड़ में मुस्लिम आबादी 2 लाख 32 हजार थी। बांग्लादेशी सीमा करीब होने के कारण घुसपैठिए आसानी से झारखंड की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं।रघुवर सरकार न एनआरसी का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था संताल परगना के चार जिलों में घुसपैठियों की संख्या बेहिसाब बढ़ी है। इस पर रोक का कोई प्रयास झारखंड सरकार के स्तर पर कभी नहीं हुआ। अलबत्ता पूर्ववर्ती सरकार ने घुसपैठियों की बढ़ती संख्या को लेकर एनआरसी लागू करने का प्रस्ताव जरूर केंद्र को भेजा था। 2019 में राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। बीजेपी की सरकार की जगह झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन की सरकार बन गई। नई सरकार ने कभी घुसपैठ को समस्या की नजर से नहीं देखा। हालांकि इस बीच दो ऐसी घटनाएं हुईं, जिससे आदिवासी समाज में उबाल था। दो लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा कर मुस्लिम घुसपैठियों ने शादी की। बाद में उनकी जघन्य तरीके से हत्या कर दी गई। संताल परगना के 6 जिलों में चार- साहेबगंज, गोड्डा, पाकुड़ और जामताड़ा में घुसपैठियों की भरमार है। ये आदिवासी युवतियों से शादी रचा कर अपना कुनबा तो बढ़ाते ही हैं, स्थानीय होने के कागजात भी हासिल कर लेते हैं।हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा है- क्या किया ? हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो महत्वूर्ण जानकारी मांगी है। पहला यह कि उसे बांग्लादेशी घुसपैठ की जानकारी है कि नहीं ? अगर जानकारी है तो इस पर रोक लगाने के लिए उसने कौन सा कदम उठाया है? क्या केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस बाबत पूर्ववर्ती या मौजूदा सरकार ने कोई जानकारी दी है या नहीं? हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 19 को होगी। रघुवर दास की सरकार ने केंद्र को एनआरसी लागू करने का प्रस्ताव 2018 में भेजा था। इस बीच देश भर में विपक्षी दलों ने एनआरसी का विरोध शुरू कर दिया। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में एनआरसी लागू करने की मांग ठंडे बस्ते में चली गई। घुसपैठियों को विरोधी दल के नेता पसंद आने लगे। वे उनके वोट बैंक जो बन गए हैं।पश्चिम बंगाल और बिहार में भी घुसपैठ की समस्या पश्चिम बंगाल में तो बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला पहले से उठता रहा है। ममता बनर्जी जब सांसद थीं तो उन्होंने घुसपैठ के मुद्दे पर लोकसभा में हंगामा खड़ा कर दिया था। उनका दावा था कि राज्य की तत्कालीन वामपंथी सरकार बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा देती है। घुसपैठियों को संरक्षण देकर अपना वोट बैंक बना चुकी है। हालांकि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की सरकार जब से पश्चिम बंगाल में बनी, उनका टोन भी बदल गया। अब उन्हें घुसपैठ की समस्या नहीं दिखती। वह तो एनआरसी की अब धुर विरोधी हैं। वे अब खुलेआम कहती हैं कि बंगाल में जो भी रह रहा है, वह घुसपैठिया नहीं है। इसलिए बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी। बिहार में सीमांचल के रूप में विख्यात पूर्णिया, किशनगंज, अररिया जैसे जिलों में भी झारखंड जैसी ही स्थिति है। वहां की सीमा भी बांग्लादेश से जुड़ती है। इसलिए घुसपैठिये आसानी से आ जाते हैं। सीमांचल में भी मुस्लिम आबादी बेतहाशा बढ़ रही है। नीतीश कुमार एनडीए में रह कर भी एनआरसी का विरोध करते थे। अब तो वे समान विचारधारा वाले दल राजद के साथ हैं तो घुसपैठ की समस्या से अनजान बने रहना मजबूरी है।राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक बांग्लादेशी घुसपैठिये बांग्लादेशी घुसपैठिये और रोहिंगिया मुसलमान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। जब भी देश में कोई आतंकी घटना होती है तो उसके तार बिहार और झारखंड से जुड़ जाते हैं। एनआईए के छापे अक्सर इन दो राज्यों में पड़ते हैं और कोई न कोई अरेस्ट होता है। चूंकि जिन दलों से इन घुसपैठियों को संरक्षण मिलता है, वे उनके मुखर वोटर बन जाते हैं। घुसपैठ की इस समस्या से उन इलाकों की हिन्दू आबादी भी परेशान है। झारखंड में तो हालत यह है कि जहां मुस्लिम आबादी अधिक है, वहां सरकारी स्कूलों के नाम भी उर्दू स्कूल जबरन लिखवा दिए गए हैं। इतना ही नहीं, रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश स्कूलों में रहता है। रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क