वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने थाने के बाहर किया हंगामा

अमृतसर: ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के अपने समर्थकों के साथ 23 फरवरी को अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने के बाहर खूब हंगामा काटा। ये सभी पूरी तरह हथियारों से लैस थे। इनके हाथ में लाठी, बंदूकें और तलवारें थीं। इन्होंने पुलिस के बैरिकेड्स भी तोड़ दिए गए और फिर जबरन पुलिस स्टेशन के अंदर घुस गए। ये सभी अपने एक साथी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे जिसे पुलिस ने एक किडनैपिंग केस में अरेस्ट किया था। करीब आधे घंटे तक पुलिस और भीड़ के बीच झड़प होती रही और पुलिस को धमकी भी दी गई। नतीजा यह हुआ कि पुलिस आरोपी की रिहाई पर तैयार हो गई।

कौन है अमृतपाल सिंह जिसका नाम मीडिया में अचानक छा गया। सोशल मीडिया पर भी वह दिनभर ट्रेंड करता रहा। इसने अपना लुक जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसा बना रखा है। वहीं भिंडरावाले जिसने 80 के दशक में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग कर पूरे देश में कोहराम मचा दिया था। वारिस पंजाब दे क्या है?सबसे पहले जानते हैं वारिस पंजाब दे संगठन के बारे में।

पंजाबी अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की स्थापना की थी। इसका मकसद बताया गया- युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को ‘जगाना’। इस संगठन के एक मकसद पर विवाद भी है वह है- पंजाब की ‘आजादी’ के लिए लड़ाई। दीप सिद्धू 26 जनवरी 2021 को लालकिले पर खालसा पंथ का झंडा फहराने को लेकर सुर्खियों में आए थे। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई।

दीप सिद्धू की मौत के बाद संगठन के प्रमुख का पद खाली था। सितंबर 2022 में अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख बने। यह कमान उसे खालिस्तानी विद्रोही जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे में सौंपी गई थी। कौन है अमृतपाल सिंह?अमृतपाल सिंह खुद को खालिस्तानी आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी होने का दावा करता है। हालांकि, दीप सिद्धू का परिवार यह मानता है कि अमृतपाल सिंह खालिस्तान के नाम पर सिख युवाओं को गुमराह कर रहा है।

अमृतपाल सिंह पंजाब के अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। उसने 12 वीं तक पढ़ाई की। खालिस्तान, भिंडरावाले और इससे जुड़ा तमाम ज्ञान उसने इंटरनेट की बदौलत हासिल किया। वह दुबई में रहकर ट्रांसपोर्ट का बिजनस कर रहा था। पिछले साल सितंबर में वह दुबई में कामकाज समेटकर वापस पंजाब आ गया। भिंडरावाले जैसा लुक चर्चा मेंसंगठन के मुखिया की ताजपोशी पर अमृतपाल सिंह ने कहा था, ‘भिंडरावाले मेरी प्रेरणा हैं। मैं उनके बताए रास्ते पर चलूंगा। मैं उनके जैसा बनना चाहता हूं क्योंकि ऐसा हर एक सिख चाहता है लेकिन मैं उनकी नकल नहीं उतार रहा। मैं उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हूं।’

उसने आगे कहा, ‘मैं पंथ की आजादी चाहता हूं। मेरे खून का हरेक कतरा इसके लिए समर्पित है। बीते समय में हमारी जंग इसी गांव से शुरू हुई थी। भविष्य की जंग भी इसी गांव से शुरू होगी। हम सभी अब भी गुलाम हैं। हमें अपनी आजादी के लिए लड़ना होगा। हमारा पानी लूटा जा रहा है। हमारे गुरु का अपमान किया जा रहा है। पंथ वास्ते जान देने के लिए पंजाब के हरेक युवा को तैयार रहना चाहिए।’

अमृतपाल ने दीप सिद्धू कौमी शहीद बताया था। उसने कहा था, ‘हम जानते हैं उनकी मौत कैसे हुई है। उन्हें किसने मारा है।’अमृतपाल ने भिंडरावाले की याद में बने गुरुद्वारा संत खालसा के पास ही इस सभा को संबोधित किया। इस मौके पर 15 प्रस्ताव भी पास हुए थे। इसमें यह भी कहा गया कि कोई भी व्यक्ति सिखों के धार्मिक मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

अमृतपाल कुल 6 साल के बाद सितंबर 2022 में भारत आया। न ही किसान आंदोलन के समय, न ही वारिस पंजाब दे की घोषणा के समय और न ही फरवरी 2022 में दीप सिद्धू की मौत के समय। जाहिर तौर पर अमृतपाल और दीप सिद्धू की मुलाकात नहीं हुई और दोनों ने सोशल मीडिया के जरिए ही बातचीत की थी।

अमृतपाल के समर्थकों का दावा है कि दीप सिद्धू अमृतपाल सिंह के करीबी थे और एक वैध प्रक्रिया के माध्यम से ‘वारिस पंजाब दे’ से जुड़े थे। हालांकि संगठन के उनके नेतृत्व पर दीप सिद्धू के कुछ सहयोगी और परिवार के सदस्य संतुष्ट नहीं हैं। यह भी सामने आया कि सिद्धू ने अमृतपाल को सोशल मीडिया पर ब्लॉक तक कर दिया था।

अमृतपाल सिंह के पीछे कौन?’अमृतपाल कौन है’ के सवाल के साथ इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि इसके पीछे कौन है? इसे लेकर पंजाब में अलग-अलग बातें चल रही हैं। एक कल्पना कहती है कि यह किसी शातिर खालिस्तानी ने ही अमृतपाल सिंह को ट्रेनिंग दी है। तो किसी का कहना है कि अमृतपाल सिंह के पीछे आईएसआई या किसी दूसरे सीमापार संगठन का हाथ तो नहीं। एक चर्चा यह भी है कि क्या अमृतपाल सिंह को आने वाले चुनावों में इस्तेमाल करने के लिए लाया गया है?