अमितेश सिंह, गाजीपुर: अफजाल अंसारी लोकसभा चुनाव 2024 समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लड़ेंगे। अफजाल अंसारी के समाजवादी पार्टी में वापस आने को लेकर अगर घर वापसी जैसा शब्द इस्तेमाल किया जाए तो यह हर मायने से सही होगा। अफजाल अंसारी ने 1985 में राजनीतिक सफर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से शुरू किया। अफजाल अंसारी ने कम्युनिस्ट पार्टी के बाद अगर विधानसभा और सांसद तक का सफर तय किया है तो वो समाजवादी पार्टी के सिंबल पर ही किया। हालांकि 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी, बसपा और रालोद के गठबंधन के उम्मीदवार बन वो सियासी मैदान में उतरे थे। राजनीतिक विश्लेषक अफजाल अंसारी के बसपा छोड़, समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने के राजनीतिक निहितार्थ निकाल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर शम्मी ने इस विषय लर एनबीटी ऑनलाइन से कहा कि 1985 में अफजाल अंसारी ने अपनी राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव कम्युनिस्ट नेता सरजू पांडेय के मार्गदर्शन में लड़ा। उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कई बार मोहम्मद सीट से चुनाव लड़वाया और वह एक से ज्यादा बार इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए। 1996 में कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ वह समाजवाद पार्टी में आ गए। जब अफजाल अंसारी ने कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ तब वह विधानसभा में कम्युनिस्ट पार्टी के अकेले ही विधायक रह गए थे। बीजेपी के कृष्णानंद राय को हराया1996 में समाजवादी पार्टी के सिंबल पर अफजाल अंसारी विधायक निर्वाचित हुए, उसके बाद 2002 में मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी कृष्णानंद राय से हारने के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई। वह जितने में कामयाब रहे। डॉ. शम्मी के अनुसार वोटों के समीकरण से देखें तो समाजवादी पार्टी और अफजाल अंसारी के परिवार का सहज राजनीतिक रिश्ता देखने को मिलता है।अखिलेश यादव के साथ नजदीकीमाइनॉरिटी और ओबीसी वोट का कंबीनेशन अंसारियों के लिए हमेशा से मुफीद रहा है। हालांकि समाजवादी पार्टी की ओर से उन्हें उम्मीदवार बनाए जाना है कोई अप्रत्याशित घटना नहीं है। इस बात के संकेत तभी मिल गए थे, जब अफजाल अंसारी की सबसे छोटी बेटी नूरिया अंसारी की शादी में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी के सभी बड़े चेहरों के साथ विवाह कार्यक्रम में शामिल हुए थे। अफजाल अंसारी की बात करें तो वह पिछले लंबे समय से बसपा के संघटन से जुड़े कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए थे। यहां तक की 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी के प्रचार से किनारा किए हुए थे।