उन जांबाजों को सलाम! चूहे की तरह सुरंग खोदना उतना आसान नहीं है, तरीका और खतरा समझिए

नई दिल्‍ली: सिलक्‍यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों का रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन जारी है। हर कोई इस ऑपरेशन की सफलता की कामना कर रहा है। इस ऑपरेशन में अब तक कई चुनौतियां सामने आई हैं। बीते रोज फिर कुछ ऐसा ही हुआ। अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन टूटने के बाद रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में बाधा आई। रेस्‍क्‍यू पाइप के अंदर फंसे ब्लेड को काटकर उसे टुकड़ों-टुकड़ों में निकाला जा रहा है। बचावकर्मियों ने अब रैट-होल माइनिंग का इस्‍तेमाल करके ड्रिल करने की शुरुआत की है। सोमवार को सात बजे रैट-होल ड्रिलिंग शुरू हुई। रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में मदद के लिए झांसी के परसादी लोधी पहुंचे हैं। वह रैट होल माइनर हैं। रेस्‍क्‍यू पाइपों में प्रवेश करके वह सुरंग से बाकी मलबे को हटाएंगे। इस मलबे ने ही सुरंग में एक्जिट का रास्‍ता रोक रखा है। वह हाथ से चलने वाले औजारों से इस काम को करेंगे। झांसी के ही रहने वाले विपिन राजपूत भी रैट माइनिंग के लिए पहुंचे हुए हैं। इसके चलते रैट-होल माइनिंग फोकस में है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर यह क्‍या है? इस माइनिंग को कैसे अंजाम दिया जाता है? इसमें किस तरह की चुनौतियां हैं? आइए, यहां इन सभी सवालों के बारे में जानते हैं। रैट-होल माइनिंग क्या है? रैट-होल माइनिंग मेघालय में काफी प्रचलित है। यह माइन‍िंग का एक तरीका है जिसका इस्‍तेमाल करके संकरे क्षेत्रों से कोयला निकाला जाता है। ‘रैट-होल’ टर्म जमीन में खोदे गए संकरे गड्ढों को दर्शाता है। यह गड्ढा आमतौर पर सिर्फ एक व्यक्ति के उतरने और कोयला निकालने के लिए होता है। एक बार गड्ढे खुदने के बाद माइनर या खनिक कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों या बांस की सीढ़ियों का उपयोग करते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का इस्‍तेमाल करके मैन्युअली निकाला जाता है। रैट-होल माइनिंग मुख्‍य रूप से दो तरह की होती है। एक है साइड कटिंग प्रोसीजर। दूसरी कहलाती है बॉक्‍स कटिंग। साइड कटिंग में संकरी सुरंगें बनाई जाती हैं। पहाड़ों के ढलान पर इन्‍हें बनाया जाता है। फिर इन टनल में में वर्कर जाकर कोयले की परत को तलाशते हैं। बॉक्‍स कटिंग तरीके में 10 से 100 वर्गमीटर तक की एक ओपनिंग बनाई जाती है। उसके बीच से 100 से 400 फीट गहरा एक वर्टिकल गड्ढा खोदा जाता है। एक बार कोयले की परत मिल जाने के बाद चूहे के बिल के आकार की सुरंगें हॉरिजॉन्‍टल रूप से खोदी जाती हैं। इसके जरिये श्रमिक कोयला निकालते हैं। किसी तरह की हैं चुनौतियां? रैट-होल माइनिंग से पर्यावरणीय खतरे पैदा होते हैं। इस तरीके में खदानें आमतौर पर अनियमित होती हैं। इनमें उचित वेंटिलेशन, संरचनात्मक सहायता या श्रमिकों के लिए सुरक्षा गियर जैसे सुरक्षा उपायों का अभाव होता है। इसके अतिरिक्त, खनन प्रक्रिया से भूमि क्षरण, वनों की कटाई और जल प्रदूषण हो सकता है।इसे क्‍यों किया गया था बैन? नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2014 में इस तरीके पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2015 में भी उसने प्रतिबंध बरकरार रखा था। हालांकि, यह आदेश मेघालय के संबंध में था। राज्‍य में कोयला खनन के लिए यह एक प्रचलित प्रक्रिया बनी हुई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे कई मामले हैं जहां बरसात के मौसम के दौरान रैट होल माइनिंग के कारण खनन क्षेत्रों में पानी भर गया। नतीजतन, श्रमिकों सहित कई लोगों की मौत हो गई।