जज्बे को सलाम! पिता देश के लिए लड़े अब बेटे ने बैटिंग से टीम इंडिया के जीत की उम्मीद जगाई

रांची: को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम में जगह मिली तो कोई इसकी उम्मीद नहीं कर रहा था। जुरेल ने आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए फिनिशर की भूमिका निभाकर अपनी छाप छोड़ी थी। इसके बाद भी चयनकर्ताओं ने उनपर भरोसा जताया। दो मैच में बेंच पर बैठने के बाद जुरेल को डेब्यू का मौका मिला। दोनों मैच के दौरान कभी नहीं लगा कि जुरेल इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी पहली सीरीज खेल रहे हैं। ध्रुव जुरेल ने 18 महीने की मेहनतध्रुव जुरेल ने रोजाना नेट सत्र में चार घंटे स्पिन का सामना करने के अलावा सैकड़ों थ्रोडाउन और 14 अलग-अलग गेंदबाजों के खिलाफ खेलकर टेस्ट के लिए खुद को तैयार किया। राजकोट में डेब्यू करने वाले जुरेल ने चौथे टेस्ट की पहली पारी में 90 रन की जुझारू पारी खेलकर भारतीय टीम में अपना दावा मजबूत किया। आगरा के 23 साल के जुरेल ने 18 महीने कड़ी मेहनत करके खुद को टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार किया। ‘महेंद्र सिंह धोनी जैसी खेल की समझ’ के लिए महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी उनकी सराहना कर चुके हैं।डेब्यू से ठीक पहले टेस्ट मैच से ठीक पहले वह तलेगांव में राजस्थान रॉयल्स एचपीसी गए थे। वहां एक दिन में 140 ओवर तक बल्लेबाजी की। स्पिन की अनुकूल विभिन्न पिच पर चार घंटे से अधिक समय बिताया। यह अभ्यास सत्र जायसवाल के लंबे सत्र से मेल खाता था।पहली पारी में बचाई भारत की लाज के दूसरे दिन जब ध्रुव जुरेल बैटिंग करने उतरे तो भारत का स्कोर 5 विकेट पर 161 रन था। फिर 177 तक पहुंचने में 7 बल्लेबाज आउट हो गए। लेकिन जुरेल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्हें कुलदीप यादव का साथ मिला। दोनों के बीच 76 रनों की साझेदारी हुई और इसमें कुलदीप के 28 रन थे। कुलदीप आउट हुए तो भी जुरेल ने हार नहीं मारी। आकाश दीप के आने के बाद उन्होंने कैलकुलेटेड रिस्क लेना शुरू किया। मौका मिलने पर हाथ खोले। वह आखिरी विकेट के रूप में 90 रन बनाकर आउट हुए। उस समय भारतीय टीम 307 रनों तक पहुंच चुकी थी। बड़ी बढ़त लेने का सपना देख रही इंग्लिश टीम सिर्फ 46 रनों की लीड ले पाई। पिता लड़ चुके करगिल की लड़ाईध्रुव जुरेल का परिवार उत्तर प्रदेश के आगरा से ताल्लुक रखता है। उनके पिता आर्मी में हवलदार थे। वह 1999 का करगिल युद्ध लड़ चुके हैं। वह चाहते थे कि बेटा भी उनकी तरह सेना का हिस्सा बने। लेकिन ध्रुव ने बिना पिता को बताए क्रिकेट ट्रेनिंग में अपना नाम लिखा लिया। जब पिता को पता चला तो उन्होंने ने जुरेल को काफी डांटा था। हालांकि बाद में वही पिता उनकी ताकत बने। बेटे को बल्ला दिलाने के लिए उनके पिता ने 800 रुपए का कर्ज लिया था।