प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 24 फरवरी को हुए बसपा विधायक राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल हत्याकांड को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं। ताजा खुलासा उमेश पाल मर्डर के आरोपियों को लेकर हुआ है। उमेश पाल की हत्या में शामिल रहे असद अहमद और मोहम्मद गुलाम को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। उमेश पाल केस में आरोपी रहे असद और गुलाम का एनकाउंटर हो चुका है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के एनकाउंटर में मारे गए 5-5 लाख रुपए के इनामी शूटर असद अहमद और गुलाम के बारे में नए तथ्य सामने आने के बाद सनसनी मच गई है। इससे पता चलता है कि उमेश पाल की हत्या के बाद आरोपित किस प्रकार खुद को बचाकर रखने की तरकीब पर काम कर रहे थे। दरअसल, दिल्ली पुलिस की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। असद और गुलाम के बारे में ताजा खुलासा यह है कि उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर की हत्या के बाद फरारी के दौरान दोनों ने फर्जी आधार कार्ड बनवा लिया था।उमेश पाल हत्याकांड के बाद फरार हुए माफिया डॉन अतीक अहमद के बेटे असद अहमद ने अपना नाम बदल कर सलमान मंसूरी रख लिया था। इसी नाम पर फर्जी आधार कार्ड बनवाया गया। वहीं, गुलाम मोहम्मद ने अपना नाम तौफीक अली रखा था। दोनों के फर्जी आधार कार्ड दिल्ली के बाटला हाउस वाले पते पर बनवाए गए थे। हथियार तस्करी के आरोप में पकड़े गए खालिद के एक दोस्त की मदद से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था। दिल्ली पुलिस के इस खुलासे ने माफिया अतीक अहमद के गैंग की उमेश पाल हत्याकांड के बाद की तैयारियों को साफ कर दिया है। हत्याकांड के करीब 48 दिन बाद 13 अप्रैल को झांसी के पास असद और गुलाम का एनकाउंटर करने में एसटीएफ सफल हो पाई।ऐसे पहुंचा था दिल्लीसूत्रों का दावा है कि उमेश पाल और दो सरकारी सिपाहियों की गोली मारकर हत्या करने के बाद माफिया अतीक का बेटा असद और शूटर गुलाम बाइक से कानपुर पहुंचा था। इसके बाद दोनों बस से नोएडा पहुंचे। नोएडा में बोटैनिकल गार्डन पार्क के पास वे दोनों बस उतरे। वहां अतीक एक खास और पुराना गुर्गा कार लेकर पहुंचा था। उमेश हत्याकांड के आरोपियों को वह साउथ दिल्ली लेकर गया। प्रयागराज पुलिस और एसटीएफ की टीम लगातार दोनों की तलाश में जुटी हुई थी। उस दौरान असद और गुलाम अपना नाम और पहचान बदलने की कवायद में जुटे थे। पुलिस की ओर से इनाम घोषित किए जाने के बाद असद और गुलाम ने अपनी पहचान छुपाने का प्रयास शुरू किया। बरेली जेल में बंद अशरफ की ओर से दिल्ली में मौजूद गुर्गों को तब एक गुप्त संदेश आया था। इसमें कहा गया था कि दिल्ली में दो मेहमान ठहरे हुए हैं। उनके लिए सुरक्षित ठिकाना चाहिए। अशरफ के संदेश के बाद जीशान, खालिद और जावेद दिल्ली के मजीदिया अस्पताल पहुंचे। वहां से असद और गुलाम को लेकर सुरक्षा स्थान पर ले गए।खालिद ने की थी मददखालिद ने इसके बाद अपने साथी की मदद से दोनों का फर्जी आधार कार्ड बनवाया था। वह नहीं चाहता था कि दोनों की पहचान उजागर हो जाए। किसी भी स्थान पर पहचान बताने के लिए उनके पास जो पहचान पत्र था, वह उन्हें पुलिस की गिरफ्त में पहुंचा सकता था। पुलिस की गिरफ्तारी से बचाने के लिए उसने यह जतन किया। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हथियार तस्करी के मामले में पकड़े गए जीशान और अन्य आरोपियों से पूछताछ की, इसमें असद और गुलाम के दिल्ली में छुपे होने का पता चला था। बाद में, फर्जी आधार कार्ड बनवाने की बात भी सामने आई। इसे अब सही पाया गया है।अतीक ने भी मांगी थी बेटे के लिए मददमाफिया अतीक अहमद के बेटे असद के लिए मदद मांगने का मामला भी सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि असद जब दिल्ली जा रहा था, तब माफिया अतीक अहमद ने शफीकउर्ररहमान नामक खास ड्राइवर से बेटे को साउथ दिल्ली तक पहुंचाने के लिए कहा था। अतीक के कहने पर ड्राइवर शूटरों को नोएडा से दिल्ली तक ले गया। दोनों को एक लाख रुपए भी दिए थे। जांच में यह जानकारी सामने आई है कि जब अतीक अहमद सांसद था, तब वह ओखला निवासी अफरोज के घर आया जाया करता था। वर्ष 2017 में अफरोज का सफीकुर्ररहमान बीमार हुआ तो उसके इलाज के लिए अतीक के पीए ने लेटर हेड पर लिखकर अस्पताल में इंतजाम कराया था। अतीक और शफीकउर्ररहमान की दोस्ती यहीं से शुरू हुई थी।पुलिस सूत्रों की मानें तो अफरोज की मौत के बाद उनके बेटों की दोस्ती अतीक के बेटे उमर और अली से हो गई थी। अफरोज विदेशों में श्रमिकों को भेजने का धंधा करता था। उसकी मौत के बाद बेटे भी यही काम करने लगे। दिल्ली पुलिस की जांच में ऐसे और कई तथ्य सामने आए हैं, जिसके अतीक के नेटवर्क का खुलासा हुआ है। दिल्ली में माफिया अतीक की बेनामी संपत्ति के रखवाली उसके खास गुर्गों के करने की भी बात सामने आई है। जांच एजेंसी अब इस मामले की छानबीन में जुट गई है।