क्रूड ऑयल पर रूस ने दी भारी छूट, तब भी भारत को क्यों हुआ सिर्फ दो डॉलर प्रति बैरल का फायदा

नई दिल्ली: रूस और भारत की दोस्ती काफी गहरी है। दोनों देशों ने हमेशा हर मौके पर एक-दूसरे का साथ दिया है। यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका द्वारा लगाई गई पाबंदियों के कारण कई देश रूस से क्रूड (Russian Crude Oil) खरीदने से बच रहे हैं, वहीं भारत की कोशिश है कि रूस से सस्ते दामों में ज्यादा से ज्यादा खरीदारी की जाए। मौजूदा समय में रूस कच्चे तेल की खरीद पर भारत को भारी छूट दे रहा है। लेकिन इस भारी छूट के बाद भी भारत को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है। रूसी कच्चे तेल (Russian Crude Oil) की रियायती खरीद में वृद्धि से चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में भारत (India) को लगभग 2.5 बिलियन डॉलर की बचत होने की संभावना है। यह अपेक्षा से काफी कम है। इंडिया ट्रेड के आंकड़ों के मुताबिक, सस्ते रूसी तेल ने कच्चे तेल के दुनिया के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता भारत के लिए आयातित कच्चे तेल की औसत कीमत नौ महीने के समय के दौरान करीब 2 डॉलर प्रति बैरल कम कर दी है। इससे भारत ने 163.66 रुपये प्रति 158.98 लीटर पर बचाए हैं। आखिर ऐसा क्यों है। क्यों क्रूड ऑयल (Crude Oil) पर रूस की ओर से मिल रही भारी छूट के बाद भी सिर्फ दो डॉलर प्रति बैरल का फायदा हुआ है? क्यों नहीं मिल रहा छूट का फायदा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध की वजह से मॉस्को को पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। रूसी तेल की ढुलाई काफी बढ़ गई है। इसलिए तेल की कीमत पर मिलने वाली छूट का उतना फायदा नहीं मिल पा रहा है। हालांकि संभावना है कि तेल पर मिलने वाली छूट और बढ़ सकती है। इससे पहले गोल्डमैन सैक्स ने 10 फरवरी को कहा था कि भारतीय रिफाइनरों ने रियायती रूसी कच्चे तेल को खरीदना शुरू कर दिया है। भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि कच्चे तेल (Crude Oil) के सबसे बड़े आयातकों में से एक के रूप में वह कहीं से भी तेल खरीदेगा, जहां से उसे अच्छा सौदा मिलेगा। व्यापार डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि अप्रैल-दिसंबर के दौरान रूसी कच्चे तेल पर प्रभावी छूट एक महीने से दूसरे महीने में काफी अलग होती है। छूट अप्रैल में सबसे कम 0.6 डॉलर प्रति बैरल थी और मई में उच्चतम 15.1 डॉलर प्रति बैरल थी, जो उन महीनों में दुनिया के बाकी हिस्सों से आयातित कच्चे तेल की औसत कीमत थी। उम्मीद से काफी कम मिली छूट बता दें कि अप्रैल-दिसंबर के लिए आयातित कच्चे तेल (Crude Oil) की औसत कीमत 99.2 डॉलर प्रति बैरल थी। अगर रूसी बैरल को इससे बाहर रखा जाए, तो औसत कीमत मामूली रूप से बढ़कर 101.2 डॉलर प्रति बीबीएल हो जाती है। विचाराधीन अवधि के लिए भारत के तेल आयात का कुल मूल्य 126.51 बिलियन डॉलर था। विश्लेषण से पता चलता है कि यदि भारतीय रिफाइनर रूसी तेल के लिए अन्य आपूर्तिकर्ताओं से कच्चे तेल के लिए भुगतान की गई औसत कीमत का भुगतान करते, तो तेल आयात बिल लगभग 129 बिलियन डॉलर या लगभग 2 प्रतिशत अधिक होता। इस अवधि के लिए रूस से तेल आयात का मूल्य लगभग 22 अरब डॉलर था। अप्रैल-दिसंबर में भारत के लिए रूसी कच्चे तेल की औसत कीमत 90.9 डॉलर प्रति बैरल थी। यह कीमत नॉन से करीब 10.3 डॉलर तक कम है। हालांकि यह छूट भारत और बाकी देशों की रिपोर्ट में जो दावा किया गया उससे काफी कम है। ग्रेड पर निर्भर होती है क्रूड ऑयल की कीमत भारत में अप्रैल-दिसंबर में कुल 173.93 मिलियन टन या 1.27 बिलियन बैरल के कुल तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की इसमें करीब 19 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। अप्रैल-दिसंबर में इराक के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया। बता दें कि सरकार कमोडिटी-वार और देश-वार व्यापार डेटा एक अंतराल के साथ जारी करती है। क्रूड ऑयल की कीमत तेल के ग्रेड पर निर्भर करती है और उनकी कीमतें काफी हद तक अलग-अलग हो सकती हैं।