‘RJD के सत्ता में लौटते ही जहर घोलने का काम’
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने राजद के मंत्री का 10 प्रतिशत वाले बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि आरजेडी के लोगों ने सरकार में आते ही जातिवाद का जहर फैलाने का काम शुरू कर दिया हैं। आरजेडी अब फिर से समाज में उन्माद पैदा कर वोट की फसल काटने की मंसूबे से जातीय जहर की खेती करने की कुत्सित चाल में लगी हुई है। लालू प्रसाद यादव ने 15 साल तक बिहार में उन्माद फैलाकर जातियों के बीच बंटवारा करा नरसंहार कराया। 15 साल बाद दोबारा सत्ता में लौटने पर आरजेडी बिहार को उसी रास्ते पर ले जाना चाहती है।
’90 के दशक वाला हाल नहीं होने देगी बीजेपी’
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि राजद की कोशिश बिहार को फिर से 90 के दशक में वापस ले जाना है। लालू प्रसाद यादव के निर्देश पर आरजेडी 90 के दशक की तरह ही बिहार में जातीय उन्माद पैदा कर नरसंहार की झड़ी लगाना चाहती है। ताकि बिहार की जनता राष्ट्रीय जनता दल से भयभीत रहे और वे सत्ता में बने रहे। आरजेडी को नहीं भूलना चाहिए कि ये 90 का दौर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौर में बीजेपी कभी आरजेडी की जातीय जहर की लहर के कहर वाले मंसूबे को पूरा नहीं होने देगी। राजद की कुत्सित कारगुजारी उजागर हो चुकी है। बिहार को अब नब्बे के दशक में लौटाना कतई संभव नहीं है।
‘परिवारिक लिमिटेड कंपनी के जरिए सरकार’
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा की मानें तो आरजेडी के लोगों को आज भी सच्चाई स्वीकारने में दिक्कत हो रही है। सत्ता में रहकर इनका चरित्र शोषक का हो गया है। सत्ता को परिवार में सिमटा कर ये अब शोषक वर्ग में आ गई है। वास्तविकता यही है कि परिवार की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के जरिए सरकार चलाने वाले लोगों ने समाज के पिछड़े, अतिपिछड़े, वंचित, सवर्ण और अल्पसंख्यकों का अब तक शोषण ही किया है। राजद के लोगों को समाज के पीड़ित वर्गों से कोई मोह नहीं है, क्योंकि अगर उन्हें मोह होता तो के जगह अति पिछड़ा, दलित या अल्पसंख्यक का कोई व्यक्ति उपमुख्यमंत्री होता। लालू परिवार, परिवारवादी राजनीति का सबसे निष्कृष्ट नमूना है।
‘नीतीश कुमार ने भी अपने ही नेताओं से किया छल’
विजय कुमार सिन्हा के मुताबिक लालू यादव की तरह नीतीश कुमार ने भी शासन के शीर्ष पर दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा जैसे वर्ग से किसी व्यक्ति को बैठने नहीं दिया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये अलग बात है कि परिस्थितिवश जीतन राम मांझी को उन्होंने मात्र नौ महीने के लिए मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन फिर गद्दी से उन्हें जिस तरह बेआबरू कर बेदखल किया ऐसा उदाहरण भी विरले देखने को मिलता है। अहंकार, तानाशाही प्रवृति और जिद की वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी किसी सामंती शोषक से कम नहीं है। अब इस सच्चाई को उन्हें स्वीकार करना चाहिए।