
जनवरी में होने हैं चुनाव
जनवरी 2025 में होने वाले सीमा समायोजन में नियमित प्रक्रिया के अलावा कई और बातों पर नजर दौड़ाने की जरूरत है। कुछ सांसद इस बात से वाकिफ हैं कि कुछ सांसदों को काफी खराब नतीजों से गुजरना पड़ सकता है। वो अब मानने लगे हैं कि चुनावी नतीजें उनके लिए काफी जटिल हो सकते हैं। वो यह भी मानते हैं कि हो सकता है कि उनकी पार्टी को पहले की तुलना में काफी कम सीटें हासिल हों। सांसदों की तरफ से अपनी इमेज बचाने के लिए कई तरह के तरीके अपनाए जाते हैं और यह भी काफी विवाद का विषय रहा है।
कई साल बाद यह स्थिति
इस तरह की स्थिति सन् 1990 के दशक में देखने को मिली थी। उस समय जॉन मेजर के कार्यकाल के खत्म होते समय लेबर पार्टी के टोनी ब्लेयर और विपक्ष के बाकी सांसदों ने कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद अपनी सीट बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस प्रक्रिया को ब्रिटेन में ‘चिकन रन’ के तौर पर जाना जाता है। ऐसे सांसद जो अपनी सीटों की अदला-बदली करते हैं और सीमायोजन, जनसांख्यिकीय और जनसंख्या परिवर्तन के कारण निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं में किए गए बदलाव का तर्क देते हैं, उसे ही चिकन रन कहते हैं। हालांकि आलोचकों का मानना है कि चिकन रन वह चाल है जो बाकी राजनेताओं को दहशत में ला सकती है।
जो ओपिनियन पोल्स आ रहे हैं उनके मुताबिक जनता इस बार पुराने सांसदों को गुडबाय कर सकती है। ऐसे में सांसद ऐसी जगह से चुनाव लड़ना चाहते हैं जो अपनी छवि की रक्षा कर सकें। साल 2019 में जब चुनाव हुए तो उस समय कंजर्वेटिव पार्टी की सांसद मिम्स डेविस ने अपनी हैंपशायर ईस्टले की सीट छोड़ दी थी। वह पारंपरिक तौर पर एक डेमोक्रेट थीं।
कमजोर होती पार्टी
कंजर्वेटिव पार्टी की पॉपुलैरिटी कमजोर हो रही है। साफ है कि खराब अर्थव्यवस्था का जो बोझ पीएम सुनक को विरासत में मिला था, वह उनके लिए मुश्किल की वजह बन सकता है। कंजर्वेटिव पार्टी साल 2010 से ब्रिटेन की सत्ता में है और चार बार आम चुनावों में जीत हासिल कर चुकी है। कई ओपिनियन पोल में अभी से बताया जाने लगा है कि अगला चुनाव कौन जीत सकता है। हाल ही में जो पोल आए हैं वो सुनक के लिए बुरी खबर हैं। कंजर्वेटिव पार्टी, विपक्षी लेबर पार्टी की तुलना में 14 प्वाइंट्स पीछे हो गई है। यह अंतर दोगुना है और पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन, ट्रस ने पार्टी की छवि सबसे ज्यादा खराब की।