‘होश ठिकाने आ गए…’ एक्सीडेंट के बाद ऋषभ पंत का पहला इंटरव्यू, कहा- पूरी जिंदगी ही बदल गई

नई दिल्ली: देश नए साल की तैयारी में जुटा था। ऋषभ पंत के घर में भी न्यू ईयर मनाया जाता, क्योंकि यह क्रिकेटर अपनी मां को सरप्राइज देने जा रहा था, लेकिन 30 दिसंबर, 2022 की सुबह लगभग 5.30 बजे उनका मौत से सामना हो गया। 25 वर्षीय ऋषभ पंत एक भयानक एक्सीडेंट में बाल-बाल बचे, जब उनकी कार दिल्ली-देहरादून नेशनल हाइवे पर डिवाइडर से टकरा गई और उसमें आग लग गई थी। हादसा हरिद्वार जिले के मंगलौर और नरसन के बीच हुआ था। इस एक्सिडेंट के बाद ऋषभ पंत ने मीडिया से पहली बार बातचीत की।जिंदगी के लिए नजरिया बदल गयान्यूज एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में ऋषभ पंत ने कहा कि वह तेजी से ठीक हो रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी में साथ देने वालों का शुक्रिया अदा किया। साथ ही कहा कि वह इस यात्रा में आगे की चुनौतियों के लिए तैयार हैं। भगवान का शुक्रिया अदा करना नहीं भूले। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे अब जिंदगी को देखने का नया नजरिया मिल गया है। छोटी-छोटी चीजों में आनंद लेता हूंबकौल पंत, ‘आज मैं जीवन का पूरी तरह से आनंद लेने पर विश्वास करने लगा हूं, इसमें वो छोटी-छोटी चीजें शामिल हैं, जिन्हें हम अपनी दिनचर्या में नजरअंदाज कर देते हैं। आज हर कोई कुछ खास हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, लेकिन हम उन छोटी-छोटी चीजों का आनंद लेना भूल गए हैं जो हमें हर दिन खुशी देती हैं। हादसे के बाद, मुझे हर दिन अपने दांतों को ब्रश करने के साथ-साथ धूप में बैठने में भी खुशी मिलती है। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते समय, ऐसा लगता है जैसे हमने जीवन में नियमित चीजों को महत्व नहीं दिया है। यह मेरे लिए एक सीख है।’क्रिकेट को कितना मिस कर रहे?इस सवाल के जवाब में ऋषभ पंत कहते हैं कि, ‘बता पाना मुश्किल है, क्योंकि मेरा जीवन क्रिकेट के लिए है, लेकिन मैं अब दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने पर फोकस कर रहा हूं। मैं सुबह उठता हूं और फिर मैं अपने फिजियोथेरेपिस्ट के साथ दिन का पहला फिजियोथेरेपी सत्र लेता हूं। इसके बाद, मैं दूसरे सत्र के लिए खुद को तरोताजा करने के लिए थोड़ा आराम और समय लेता हूं। मैं अपना दूसरा सत्र जल्द ही शुरू करता हूं। मैं कितना दर्द सह सकता हूं, इसके अनुसार ट्रेनिंग लेता हूं। शाम को फिजियोथेरेपी का तीसरा सत्र लेता हूं। मैं धूप में भी बैठने की कोशिश करता हूं। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक मैं फिर से ठीक से चलने लायक नहीं हो जाता।’