तीन पुश्तों की दोस्ती में दरार… राजा भैया की पत्नी भानवी ने आखिर क्यों किया MLC अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ केस

प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी भानवी कुमारी सिंह ने कुछ ऐसा किया है, जिसने प्रदेश के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। उन्होंने अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। दर्ज कराई गई प्राथमिकी में फर्जी सिग्नेचर के जरिए शेयर हथियाने का आरोप लगाया है। उन्होंने श्री दा प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया है। उन्होंने अक्षय प्रताप को आदतन और अभ्यस्त अपराधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि श्री दा प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड की एक निदेशक और बहुसंख्यक शेयरधारक हूं। यह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है। 7 नवंबर, 2007 को कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के तहत इसका रजिस्ट्रेशन हो रहा है। अक्षय प्रताप पर लगे आरोपों ने प्रतापगढ़ से लेकर लखनऊ तक की राजनीति को गरमा दिया है। अक्षय प्रताप को राजा भैया का करीबी नेता माना जाता रहा है। दोनों निकट संबंधी भी हैं। ऐसे में अमेठी जिला के जामो निवासी अक्षय प्रताप सिंह को आदतन अपराधी बताते हुए भानवी सिंह ने 1997 में आईपीसी की धारा 420, 468 और 471 के तहत दर्ज मामलों को भी उठा दिया है। ऐसे में राजा भैया और अक्षय प्रताप के बीच के संबंधों में दरार की बात होने लगी है। दोनों परिवारों के बीच तीन पुश्तों की दोस्ती चली आ रही है। भानवी सिंह ने अपने एफआईआर में अक्षय प्रताप सिंह को प्रमुख अभियुक्त बनाया है। इसके अलावा दूसरे स्थान पर अनिल कुमार सिंह, तीसरे स्थान पर इंद्र देव पटेल, चौथे स्थान पर उमेश कुमार सिंह, पांचवें स्थान पर हरिओम शंकर श्रीवास्तव, छठे स्थान पर अरुण कुमार रस्तोगी, सातवें स्थान पर रामदेव यादव को रखा गया है। इसके अलावा एफआरआई में अन्य आरोपियों का भी जिक्र किया गया है।प्राथमिकी में भानवी ने लगाए हैं गंभीर आरोपभानवी सिंह ने दिल्ली में दर्ज कराए गए एफआईआर में अक्षय प्रताप पर इंद्र देव पटेल, उमेश कुमार निगम, हरिओम शंकर श्रीवास्तव और अन्य की मदद से कंपनी के दस्तावेजों का पता लगाया गया है। इसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट से भी मदद लेने की बात कही गई है। उन्होंने दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया है कि अक्षय प्रताप ने कंपनी श्री दा प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित एवं स्वामित्व वाली अचल और चल संपत्तियों को हड़पने के इरादे से कार्य किए। अक्षय प्रताप ने सहयोगियों को कंपनी के निदेशक के रूप में गलत तरीके से, धोखे से और दुर्भावनापूर्ण इरादे से नियुक्त किया। इसके लिए मेरे जाली हस्ताक्षर और फर्जी दस्तावेजों को प्रयोग में लाया गया। इन लोगों ने मिलकर मुझे कंपनी से बेदखल करने का प्रयास किया। निदेशक के रूप में नियुक्तियों को प्रभावी बनाने के लिए प्रयास किए। कंपनी के मामलों से मुझे बेदखल करने, धोखा देने और पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के उद्देश्य से यह साजिश रची गई।अक्षय प्रताप को बताया आदतन अपराधीदर्ज कराए गए विस्तृत एफआईआर में भानवी कुमारी सिंह ने अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल भैया को आदतन अपराधी करार दिया। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि अक्षय प्रताप सिंह पहले से एक आदतन अपराधी है। उसका लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। उस पर कई गंभीर अपराधों का आरोप लगाया गया है। उसके खिलाफ धारा 34, 120बी, 147, 148, 149,201, 286, 303, 306, 307, 308, 323, 324, के तहत पहले से केस दर्ज है। इसके अलावा आईपीसी की धारा 328, 342,364,379,395, 397, 447,448, 504, 506 और यूपी गैंगस्टर एक्ट आदि के तहत भी मामले दर्ज हैं। भानवी सिंह की शिकायत पर ईओडब्लू थाने में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 109 और 120बी के तहत आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।चार्टर्ड एकाउंटेंट पर भी आरोपभानवी सिंह ने कंपनी के चार्टर्ड एकाउंटेंट पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दर्ज प्राथमिकी में कहा है कि अरुण कुमार रस्तोगी एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। वे कंपनी के वैधानिक लेखा परीक्षक भी हैं। केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में उन्होंने जाली, मनगढ़ंत और झूठे दस्तावेज दाखिल करके अवैध और धोखाधड़ी की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साजिश रची हैं। अक्षय प्रताप और उनके सहयोगियों ने अन्य अज्ञात की मदद से खुद को कंपनी का निदेशक बता दिया। मेरी कंपनी के शेयरधारकों के रूप में खुद को पेश किया। झूठे और मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर सक्षम प्राधिकारी के कानूनी और वास्तविक अनुमोदन के बिना अचल और अन्य संपत्तियों की बिक्री की।बोर्ड की बैठक न होने की कही बातअक्षय प्रताप और उनके सहयोगियों को 26 जुलाई 2017 से अवैध रूप से कंपनी के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, इस तारीख को कंपनी में केवल दो निदेशक थे। आवेदक और बड़ी बेटी राघवी कुमारी में से किसी ने भी कंपनी के निदेशकों में से किसी की नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी थी। वास्तव में, इसको लेकर कोई कंपनी की बैठक नहीं हुई। बोर्ड की बैठक की कोई प्रोसिडिंग नहीं है। हालांकि, कंपनी के रिकॉर्ड की जांच के दौरान मैं यह देखकर दंग रह गई कि परफॉर्मा और संबंधित दस्तावेज (26 जुलाई 2017 सदस्यों की बैठक की प्रमाणित प्रति के साथ) दायर किया। अभियुक्त संख्या 7 की ओर से अक्षय प्रताप सिंह, अनिल कुमार सिंह और राम देव यादव की अवैध नियुक्ति को प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया। इसमें मेरे जाली हस्ताक्षर थे। अवैध रूप से मेरे डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करके इस प्रकार की कोशिश की गई।30 हजार शेयर किए खुद को आवंटितभानवी सिंह ने अपनी शिकायत में कहा है कि वर्ष 2017-18 के वार्षिक रिटर्न और फॉर्म पीएएस-3 का विश्लेषण करने के बाद मुझे झटका लगा। जांच के दौरान पएए गए दस्तावेजों की जांच से मुझे पता चला कि आरोपियों ने अवैध रूप से और धोखाधड़ी कर खुद को कुल 30,000 शेयर आवंटित किए थे। 30 जुलाई 2017 के संकल्प पर मेरे जाली हस्ताक्षर किए गए। यह फॉर्म पीएएस-3 के साथ संलग्न थे। उक्त फॉर्म और दस्तावेजों को फाइल करने के लिए मेरे डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग किया गया। जाली दस्तावेजों की जांच में साफ हुआ है कि आवेदक भानवी सिंह ने कथित तौर पर कंपनी के 27 हजार इक्विटी शेयरों को छोड़ा है। अक्षय प्रताप और उनके सहयोगियों को ये शेयर आवंटित किए गए हैं। शिकायत में उन्होंने कहा कि 3 अगस्त 2017 के एक संकल्प, 3 अगस्त 2017 के त्याग पत्र और 3 अगस्त 2017 के एक प्रस्ताव पत्र पर मेरे जाली सिग्नेचर किए गए।18 अगस्त 2017 को एक संकल्प जारी करा मेरे शेयरों के कथित तौर पर छोड़े जाने को प्रभावी किया गया। अक्षय प्रताप और उनके सहयोगियों नामित व्यक्तियों को किए गए शेयरों की पेशकश को रिकॉर्ड में रखा। जाहिर तौर पर उक्त जाली दस्तावेजों के अनुसार जिस प्रकार से शेयरों की हेरफेर हुई, वह फर्जी है। यह साफ है कि मैंने किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।किसी को नहीं बनाया निदेशकश्री दा प्रॉपर्टीज में नए निदेशकों की नियुक्ति के संबंध में उन्होंने अपनी शिकायत में साफ किया है कि मेरा किसी अन्य को कंपनी के निदेशकों के रूप में नियुक्त करने का कोई इरादा नहं था। इसके अलावा मेरी ओर से अक्षय प्रताप सिंह, रामदेव यादव और अनिल कुमार सिंह को हमारे हिस्से के इक्विटी शेयरों में से 27,000 शेयर आवंटित करने का कोई आदेश जारी नहीं हुआ। इससे संबंधित दस्तावेज पूरी तरह से जाली और मनगढ़ंत हैं। अभियुक्त व्यक्तियों की ओर से मुझे कंपनी के मामलों से बेदखल करने और कंपनी में मेरी शेयरधारिता को कमजोर करने की कोशिश की गई। उनकी मंशा कंपनी के धन का उपयोग अपने हित में करने की है। मेरी कंपनी श्री दा प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित एवं स्वामित्व वाली अचल- चल संपत्ति और अन्य एसेट को हड़पने के इरादे से इस प्रकार का प्रयास किया गया। कंपनी के निदेशक के रूप में अक्षय प्रताप सिंह, अनिल कुमार सिंह और रामदेव यादव की अवैध नियुक्ति के बाद कई मामले इस प्रकार के आए हैं।कंपनी के रिटर्न की अवैध फाइलिंग का आरोपभानवी सिंह ने कंपनी में अवैध तरीके से बने निदेशकों पर गलत गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी के पंजीकृत पते का अवैध परिवर्तन किया गया। कंपनी के वैधानिक लेखा परीक्षक की अवैध पुनर्नियुक्ति की गई। प्रपत्रों और वार्षिक रिटर्न की अवैध फाइलिंग की गई। आरोपियों की ओर से शिकायत को साबित करने के लिए उनके ओर से दर्ज किए गए जाली दस्तावेजों के सत्यापन के लिए एक फोरेंसिक विशेषज्ञ से संपर्क किया। फोरेंसिक विश्लेषण ने भी 28 अक्टूबर 2021 को दी गई रिपोर्ट में सत्यापित किया कि उनके द्वारा दायर किए गए उपरोक्त फॉर्म और दस्तावेज वास्तव में नकली हैं। आवेदक के जाली हस्ताक्षर हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आरोपियों कई ज्ञात और अज्ञात दस्तावेजों को जाली तरीके से पेश किया है। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने गंभीर साजिश रची। इस कारण कंपनी को गंभीर वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा है।भानवी सिंह ने कहा कि कंपनी के पैसों का गलत प्रयोग और जाली हस्ताक्षर का उपयोग ये लोग आगे भी जारी रख सकते हैं। इससे हमारा गंभीर नुकसान हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अक्षय प्रताप सिंह और अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में एक संगठित गिरोह बनाकर कई अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। जामो और आसपास के इलाकों में कई अन्य लोगों को जान से मारने की धमकी देकर उनकी संपत्ति और पैसा छीना गया है। दिल्ली सहित एनसीआर क्षेत्र में भी वे अपने निर्विरोध अवैध बेनामी संपत्तियों के कारोबार कर रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने पुलिस से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया।