हिन्दूओं के पवित्र ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ को बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने समाज को बांटने वाली किताब बताया है. अपने बयान के बाद नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री विवादों में घिर गए हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर और कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि धार्मिक ग्रंथ नफरत नहीं फैला सकता. उन्हें माफी मांगनी चाहिए…माफी नहीं मांगते हैं तो मुख्यमंत्री से कहूंगा की उन्हेंं पद से हटा देना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि वो गलत काम कर रहे हैं, वो वही काम कर रहे हैं, जो देश में दूसरी नफरत फैलाने वाले वर्ग कर रहे हैं. किसी भी मजहब के बारे में… किसी भी समाज के बारे में इस तरह का काम नहीं करना चाहिए. कोई भी धार्मिक ग्रंथ गलत नहीं हो सकता. आपको बता दें कि बीते दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस की एक चौपाई अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए का वर्णन करते हुए इसे नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था. जिसके बाद नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री विवादों से घिर गए. हिन्दू और मुस्लिम समाज के लोगों के साथ ही राजनीतिक दलों में भी जमकर मंत्री के बयान की आलोचना हो रही है.
शिक्षा मंत्री बोले- तीन किताबों ने फैलाई नफरत
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि तीन किताबों ने नफरत फैलाई है. उन्होंने कहा कि मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस नफरत फैलाने वाली किताब है. विवादों में घिरने के बाद भी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने बयान पर कायम हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी पड़े.
सीएम बोले- मुझे नहीं पता
राज्य के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि वो इस वक्त समाधान यात्रा पर है. इस मामले में मंत्री से वो खुद बात करेंगे. एक तरफ नीतीश सरकार के मंत्री के बयान से राजनीति गरमाई हुई नजर आ रही है. वहीं, सीएम नीतीश कुमार के जानकारी न होने वाले बयान से विपक्षी दल इसपर बयानबाजी से चूकने वाले नहीं हैं.