मणिपुर में हालात पहले से बेहतर हुए हैं लेकिन अब भी कई जगह तनाव बना हुआ है और हिंसा की छिटपुट घटनाओं की खबरें आ रही हैं। इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस सप्ताह पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर रहे। असम को नया विधानसभा भवन मिला तो वहीं मिजोरम में विधानसभा चुनाव और अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों की तैयारी तेज हो गयी है। नगालैंड के मुख्यमंत्री ने इस सप्ताह दिल्ली का दौरा किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के दौरान अपने राज्य के हितों से संबंधित मुद्दों को उठाया। इसके अलावा अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से भी विभिन्न प्रकार के समाचार रहे। आइये डालते हैं एक नजर पूर्वोत्तर भारत से आये समाचारों पर। इस कड़ी में सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।मणिपुरमणिपुर से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने आम लोगों को आवश्यक सामान खरीदने की सुविधा देने के लिए इंफाल ईस्ट और वेस्ट जिलों में शुक्रवार को सुबह पांच बजे से सात घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद प्रशासन ने बृहस्पतिवार को पूर्व घोषित छूट को वापस लेते हुए एहतियात के तौर पर दोनों जिलों में पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया था। इंफाल ईस्ट और वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा जारी आदेशों में कहा गया है कि आम लोगों को दवाओं और खाद्य सामग्री सहित आवश्यक सामान खरीदने की सुविधा प्रदान करने के लिए शुक्रवार को सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। भीड़ जुटने पर लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद बृहस्पतिवार को बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ में शवों को दफनाए जाने वाले प्रस्तावित स्थल की ओर निकाले जा रहे जुलूस को रोकने के लिए सेना और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) के जवानों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान हुई इड़पों में 25 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि इंफाल वेस्ट जिले के सेंजाम चिरांग में बृहस्पतिवार को हुई गोलीबारी में मणिपुर राइफल्स के एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई, और एक व्यक्ति घायल हो गया था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बिष्णुपुर जिले के नारानसेना स्थित द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के मुख्यालय में घुसकर भीड़ ने हथियार और गोला-बारूद लूट लिए।इसके अलावा, मणिपुर में पुलिस शस्त्रागार से हथियार लूटे जाने की एक और घटना सामने आई है। ताजा मामले में भीड़ ने बिष्णुपुर जिले के नारानसीना स्थित द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के मुख्यालय में घुसकर एके और ‘घातक’ शृंखला की राइफल तथा विभिन्न बंदूक की 19 हजार से अधिक गोलियां लूट लीं। अधिकारियों ने बताया कि चुराचांदपुर की ओर मार्च करने के लिए बहुसंख्यक समुदाय एक भीड़ नारानसीना में इकट्ठा हुई थी, जहां आदिवासी राज्य में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा में मारे गए समुदाय के लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना बना रहे थे। अधिकारियों के मुताबिक, भीड़ ने विभिन्न बंदूक की 19,000 राउंड से अधिक गोलियां, एके श्रृंखला की एक असॉल्ट राइफल, तीन ‘घातक’ राइफल, 195 सेल्फ-लोडिंग राइफल, पांच एमपी-4 बंदूक, 16.9 एमएम की पिस्तौल, 25 बुलेटप्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन, 124 हथगोले सहित अन्य हथियार लूट लिए। आदिवासियों द्वारा जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना ने राज्य में नये सिरे से तनाव पैदा कर दिया है। बहुसंख्यक समुदाय इस योजना का विरोध कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि भीड़ जुटने पर लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद बृहस्पतिवार को बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ में शवों को दफनाए जाने वाले स्थल की ओर निकाले जा रहे जुलूस को रोकने के लिए सेना और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस दौरान हुई इड़पों में 25 से अधिक लोग घायल हो गए। बहुसंख्यक समुदाय ने इंफाल में दो अन्य शस्त्रागारों को भी लूटने का प्रयास किया, लेकिन उसे विफल कर दिया गया।इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi Exclusive: Manipur Violence के पीछे China का हाथ होने की बात आखिर किस आधार पर कही जा रही है?इसके अलावा, मणिपुर उच्च न्यायालय ने जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी समुदाय के लोगों के शव सामूहिक रूप से दफनाए जाने के निर्धारित समय से कुछ घंटों पहले चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया। इस बीच, कुकी-जोमी समुदाय के संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने भी कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुरोध के बाद अंत्येष्टि कार्यक्रम को सात दिन के लिए स्थगित कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि वहीं सभाओं पर प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए एक जुलूस को प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल की ओर बढ़ने से रोकने के लिए बृहस्पतिवार को बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाकों में सेना तथा आरएएफ (त्वरित कार्य बल) कर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। उन्होंने बताया कि इस दौरान झड़प में 25 लोग घायल हो गए। इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेट ने एहतियाती कदम के तौर पर पहले घोषित कर्फ्यू में ढील को वापस ले लिया। वहीं, समूची इंफाल घाटी में कर्फ्यू जारी है। इससे पहले आईटीएलएफ ने राज्य में जातीय हिंसा में मारे गए 35 लोगों के शव बृहस्पतिवार को हाओलाई खोपी गांव में एक स्थल पर दफनाने की योजना बनाई थी, जिससे मणिपुर के कई जिलों में तनाव पैदा हो गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम.वी. मुरलीधरन और न्यायमूर्ति ए. गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत के मद्देनजर सुबह छह बजे सुनवाई शुरू की और अंत्येष्टि के लिए निर्धारित भूमि को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारों और उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसी तथा आम लोगों को ‘‘यथास्थिति बनाए रखने’’ का आदेश दिया। न्यायमूर्ति मुरलीधरन ने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई नौ अगस्त को होगी। पीठ ने ‘‘उक्त जगह पर लोगों की भारी भीड़ एकत्र होने से हिंसा एवं रक्तपात फिर से भड़कने तथा कानून-व्यवस्था की पहले से अस्थिर स्थिति के और गंभीर होने की आशंका’’ पर भी गौर किया। पीठ ने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और पीड़ित पक्षों को मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के प्रयास करने का निर्देश भी दिया जाता है। पत्रकारों को जानकारी देते हुए मणिपुर के कानून एवं विधायी कार्य मंत्री टी. बसंतकुमार ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी “दोनों संघर्षरत समुदायों- कुकी और मेइती- से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की।” मंत्री ने केंद्रीय मंत्री के पत्र को उद्धृत करते हुए कहा, “भारत सरकार ने मणिपुर में जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के मुद्दे को भी उठाया और आश्वासन दिया कि वह सात दिनों की अवधि के भीतर सभी पक्षों की संतुष्टि के लिए इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।” आईटीएलएफ के एक प्रवक्ता ने बताया कि मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने भी यही अनुरोध किया है। आईटीएलएफ के मीडिया संयोजक गिंजा वुआलजोंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने एक नए घटनाक्रम के कारण कल रात से सुबह चार बजे तक बैठक की। एमएचए (गृह मंत्रालय) ने हमसे अंत्येष्टि कार्यक्रम को स्थगित करने का अनुरोध किया और यदि हम इस आग्रह को स्वीकार करते हैं तो हमें उसी स्थान पर (35 लोगों के) अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिल जाएगी तथा सरकार उस जमीन को इस कार्य के लिए वैध बना देगी। मिजोरम के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही अनुरोध किया था।’’ आईटीएलएफ पदाधिकारियों ने पहले दिन में कहा था कि उन्होंने योजना को पांच दिनों के लिए स्थगित कर दिया है, हालांकि बाद में उनकी तरफ से कहा गया कि उन्होंने केंद्र सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है तथा इसे दो दिनों के लिए और बढ़ा दिया है। वुआलजोंग ने कहा, ‘‘विभिन्न पक्षकारों के साथ देर रात लंबे विचार-विमर्श के बाद आईटीएलफ इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि हम गृह मंत्रालय के अनुरोध पर विचार करेंगे, बशर्ते वह हमारी पांच मांगों पर लिखित में आश्वासन दें।’’ चुराचांदपुर में एस. बोलजांग में अंत्येष्टि स्थल को वैध बनाना और मणिपुर के पहाड़ी जिलों से मेइती समुदाय के कर्मियों सहित राज्य बलों की वापसी कुकी-जोमी संगठन द्वारा की गई पांच मांगों में शामिल थी। इससे पहले, आईटीएलएफ की अंत्येष्टि संबंधी योजना के बाद बिष्णुपुर-चुराचांदपुर जिले में अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों को भेजा गया था। पुलिस ने बताया कि बृहस्पतिवार सुबह इंफाल पश्चिम जिले के सेनजम चिरांग में हुई गोलीबारी में मणिपुर राइफल्स के एक पुलिसकर्मी समेत दो लोग घायल हो गए। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एक अन्य घटनाक्रम में, बदमाशों ने बिष्णुपुर जिले के नारानसेना में दूसरी भारतीय रिजर्व बटालियन चौकी से हथियार और गोला-बारूद लूट लिये। उपद्रवियों के एक अन्य समूह ने इंफाल में द्वितीय मणिपुर राइफल्स परिसर से हथियार और गोला-बारूद लूटने का प्रयास किया, लेकिन उस शिविर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के कई गोले दागकर इस प्रयास को विफल कर दिया। इसके अलावा, मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 14,000 से अधिक स्कूली बच्चे विस्थापित हुए हैं। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्यसभा में दी। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इन विस्थापित बच्चों में से 93 प्रतिशत से अधिक का निकटतम स्कूल में दाखिला कराया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर की मौजूदा स्थिति के कारण स्कूल जाने वाले कुल 14,763 बच्चे विस्थापित हुए हैं। विस्थापित छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रत्येक राहत शिविर के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।’’ मंत्री ने कहा कि 93.5 प्रतिशत विस्थापित छात्रों का निकटतम संभव स्कूल में निशुल्क दाखिला कराया गया है।इसके अलावा, विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे आग्रह किया कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मणिपुर के मुद्दे पर संसद में वक्तव्य देने के लिए कहें। उन्होंने उनसे यह मांग भी की कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राज्य का दौरा करना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुलाकात के बाद बताया कि विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें हरियाणा में दंगों के बारे में भी अवगत कराया। राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में खरगे के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और कई अन्य दलों के नेता शामिल थे। इस मुलाकात के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। वहां घटने वाली घटनाओं, खासकर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के बारे में उन्हें अवगत कराया। हम राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित करने के लिए मिले।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को वहां का दौरा करना चाहिए था। 92 दिन हो गए, उसके बारे में वह कुछ नहीं बोले।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य मांग यही है कि प्रधानमंत्री वहां जाएं, बात करें। शांति स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए, वहां के लोगों को राहत देनी चाहिए।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा इस मामले में संसद के भीतर बयान दिए जाने की भी मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकसभा में जब अपनी बात रख-रखकर थक गए, तो अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। इस पर कल ही चर्चा होनी चाहिए थी।’’ खरगे के अनुसार, विपक्ष राज्यसभा में नियम 267 के तहत चर्चा चाहता है, लेकिन सरकार नहीं सुन रही है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार हमें सदन में बोलने नहीं दे रही। मेरे माइक को तुरंत बंद कर दिया जाता है। यह सरकार न संविधान को बचाना चाहती है और न ही संविधान के उसूलों पर चलना चाहती है। इसलिए हम एक होकर मजबूती के साथ लड़ेंगे। विपक्षी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति मुर्मू को एक ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें मणिपुर की स्थिति का विस्तृत उल्लेख करने के साथ ही उनके दखल की मांग की गई है। ज्ञापन में विपक्ष के 21 सांसदों के हालिया मणिपुर दौरे का उल्लेख करते हुए दावा किया गया है कि हिंसा का असर भयावह है तथा वहां 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में यह आरोप भी लगाया कि संसद में प्रासंगिक प्रावधानों के तहत नोटिस दिए जाने के बावजूद चर्चा नहीं कराई जाती, विपक्ष को चुप करा दिया जाता है और बीच में माइक बंद कर दिया जाता है। उन्होंने राष्ट्रपति से कहा, ‘‘हम मणिपुर में अविलंब शांति बहाली सुनिश्चित करने के लिए आपके दखल का आग्रह करते हैं। इस तबाही के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए। प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप प्रधानमंत्री पर दबाव बनाएं कि वह मणिपुर के हालात पर संसद में वक्तव्य दें और विस्तृत एवं समग्र चर्चा हो।’’इसके अलावा, मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न की बर्बर घटना की पृष्ठभूमि में तृणमूल कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा मणिपुर के दो समुदायों की दो बहादुर महिलाओं को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया जाना चाहिए ताकि एक मजबूत संदेश दिया जा सके। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के एक प्रतिनिधिमंडल की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात के दौरान सुष्मिता ने यह आग्रह किया। उनका कहना है कि मैइती और कुकी समुदाय की दो महिलाओं को उच्च सदन भेजा जाना चाहिए। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सुष्मिता देव ने ट्वीट किया, ”इंडिया के घटक दलों ने खरगे जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। मणिपुर की महिलाओं की अस्मिता का जो हनन हुआ है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन मणिपुर के दो समुदायों से दो बहादुर महिलाओं को राज्यसभा के लिए (राष्ट्रपति द्वारा) मनोनीत करने से एक मजबूत संदेश जाएगा।’’ उनके इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए टीमएसी के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘प्रभावशाली विचार है।’’इसके अलावा, मणिपुर की स्थिति से नाराज उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को टिप्पणी की कि वहां पर कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। शीर्ष अदालत ने राज्य पुलिस द्वारा हिंसा के मामलों की जांच को ‘सुस्त’ और ‘बहुत ही लचर’ करार दिया। मणिपुर में बेलगाम जातीय हिंसा से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के तौर तरीके की आलोचना करते हुए न्यायालय ने कहा कि पुलिस ने कानून व्यवस्था पर से नियंत्रण खो दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि सोमवार को जब वह राज्य मणिपुर से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करे तब वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने वाले वीडियो को ‘बहुत परेशान’ करने वाला करार दिया। इसके साथ ही पीठ ने सरकार से घटना, मामले में ‘जीरो एफआईआर’ और नियमित प्राथमिकी दर्ज करने की तारीख बताने को कहा। चार मई का यह वीडियो पिछले महीने सामने आया था। शीर्ष अदालत ने जानना चाहा कि अबतक दर्ज करीब 6000 प्राथमिकियों में कितने लोगों को नामजद किया गया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठाए गए। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ”जांच बहुत ही सुस्त है, प्राथमिकियां बहुत देरी से दर्ज की गईं और गिरफ्तारियां नहीं की गईं, बयान दर्ज नहीं किये गये …राज्य में कानून व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।’’ जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में उस समय तनाव और बढ़ गया था जब चार मई का वह वीडियो सामने आया जिसमें एक समुदाय के कुछ लोगों की भीड़ दूसरे समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाती नजर आई थी। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘‘एक चीज बहुत स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई।’’ सुनवाई शुरू होने पर मणिपुर सरकार ने पीठ को बताया कि उसने मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद 6,523 प्राथमिकियां दर्ज कीं। केंद्र तथा मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में राज्य पुलिस ने ‘जीरो’ प्राथमिकी दर्ज की थी। ‘जीरो एफआईआर’ न्यायाधिकार क्षेत्र से परे कहीं पर भी दर्ज कराई जा सकती है और उसे बाद में उस पुलिस थाने में जांच के लिए स्थानांतरित कर दिया जाता है जहां पर अपराध घटित हुआ था। मेहता ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि मणिपुर पुलिस ने वीडियो मामले में एक नाबालिग समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। मेहता ने पीठ को बताया कि प्रतीत होता है कि राज्य पुलिस ने वीडियो सामने आने के बाद महिलाओं के बयान दर्ज किये।असमअसम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि असम विधानसभा को स्थायी भवन मिल गया, जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पारंपरिक डिजाइन और आधुनिक तकनीक के संयोजन से बने नए परिसर का उद्घाटन किया। विधानसभा की कार्यवाही का संचालन पहले एक पुराने चाय गोदाम से हो रहा था, जिसमें 1972 में दिसपुर के असम की राजधानी बनने पर बैठकों के लिए बदलाव किया गया था। बिरला ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हर गंभीर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन राज्य विधानसभाओं और संसद में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए क्योंकि लोगों को इन “लोकतंत्र के मंदिरों” से बहुत उम्मीदें हैं। बिरला की यह टिप्पणी मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि में आयी है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर सहमति और असहमति भारत के लोकतंत्र की विशेषता है। बिरला ने कहा, ‘‘लोकतंत्र के मंदिर में हर गंभीर मुद्दे पर बहस, चर्चा, संवाद और बातचीत होनी चाहिए लेकिन राज्य विधानसभाओं और लोकसभा में कोई व्यवधान या गतिरोध नहीं होना चाहिए।’’ अधिकारियों ने कहा कि नया विधानसभा परिसर 10 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और इसमें मुख्य भवन है, जिसमें प्रशासनिक और अन्य वर्गों के लिए सदन और उपभवन भवन होंगे। उन्होंने कहा कि नये परिसर की परिकल्पना 2009 में की गई थी और इसकी शुरुआती लागत 234.84 करोड़ रुपये आंकी गई थी। उन्होंने कहा कि निर्माण में देरी और परिसर में नये घटक जुड़ने के कारण, संशोधित अनुमान 351 करोड़ रुपये रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह कागज रहित होगा और सितंबर में होने वाली सदन की अगली बैठक नये भवन में होगी। नये सदन में 180 से अधिक सदस्यों के बैठने की क्षमता है। विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या 126 है। बिरला ने कहा, ‘‘लोगों को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा से बहुत उम्मीदें हैं। लोग आपको बहुत उम्मीद के साथ यहां भेजते हैं।’’ उन्होंने कहा, “यह मेरा अनुरोध है।” उन्होंने कहा कि सदन में विधेयकों सहित हर मुद्दे पर गहन बहस और चर्चा लोगों के सर्वोत्तम हित में बेहतर परिणाम ला सकती है। इस मौके पर मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि देश की सबसे पुरानी विधानसभाओं में से एक असम विधानसभा को नयी इमारत मिलना एक मील का पत्थर है। शर्मा ने उम्मीद जतायी कि विधायक लोगों और राज्य के लिए काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा ने दशकों में कई महत्वपूर्ण कानून बनाए हैं। शर्मा ने कहा, ‘‘असम विधानसभा देश की सबसे पुरानी और सबसे प्रतिष्ठित विधानसभाओं में से एक है। लोकतंत्र के मंदिर के रूप में इसने असम के लिए एक नया भाग्य लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा में सभी विधायकों का स्वस्थ आचरण असम के लोगों को प्रेरित करेगा। मुझे विश्वास है कि मेरे सभी सहयोगी लोकतंत्र की भावना को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।’’ शर्मा ने कहा कि हालांकि इस इमारत को पूरा होने में समय लगा, लेकिन सरकार ने राज्य की विरासत को प्रतिबिंबित करते हुए इसे नवीनतम तकनीक से लैस करने की पूरी कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा असम की सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करती है। कांच की छत, लकड़ी, वृंदावनी वस्त्र और ऐसी अन्य सामग्रियों से सुसज्जित, यह लोकतंत्र के एक मील के पत्थर के रूप में खड़ा है।’’ ‘वृंदावनी वस्त्र’ असमिया बुनकरों द्वारा बुना गया एक कपड़ा होता है और यह असमिया संस्कृति का हिस्सा है। शर्मा ने कहा कि यह ई-विधान सुविधा, उन्नत एवी प्रणाली, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्रियों के लिए कक्ष और सभी दलों के लिए पर्याप्त जगह, उन्नत केंद्रीय हॉल आदि से सुसज्जित है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसे केंद्र की सेंट्रल विस्टा परियोजना के अनुरूप सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित किया है।’’ शर्मा ने पिछले कुछ वर्षों में विधानसभा द्वारा पारित विभिन्न कानूनों का भी उल्लेख किया जिनमें शैक्षणिक संस्थानों के लिए मार्ग प्रशस्त करना, व्यापार में सुगमता और राज्य के लोगों के हितों की सुरक्षा से संबंधित अन्य कानून शामिल हैं। गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून का उल्लेख करते हुए, जो उनके पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद पारित किया गया था, शर्मा ने गांधीजी द्वारा कही गई बात का उल्लेख किया कि ‘‘मेरे लिए गाय का तात्पर्य सम्पूर्ण उपमानव संसार से है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि हम गांधीजी के सपनों को आगे बढ़ाते हुए इस प्रतिष्ठित विधानसभा से गोहत्या पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर सके।’’ केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अपने भाषण में लोगों की समस्याओं पर चर्चा करने और उन्हें हल करने में विधानसभाओं और संसद की भूमिका पर जोर दिया। असम विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने स्वतंत्रता-पूर्व दिनों से लेकर वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र वाले असम के गठन के बाद राज्य विधानसभा की उत्पत्ति और इसके वर्तमान स्वरूप पर बात की।इसके अलावा, असम के दरांग जिले में कथित तौर पर हथियार चलाने का प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के आरोप में बुधवार को राष्ट्रीय बजरंग दल के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। दरांग के पुलिस अधीक्षक प्रकाश सोनोवाल ने बताया कि संगठन के दो सदस्यों बिजय घोष और गोपाल बोरो को मंगलदोई स्थित महर्षि विद्या मंदिर स्कूल परिसर में हथियार प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया, ‘‘दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हमारी जांच जारी है और स्कूल में अवैध हथियार प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने में संलिप्त अन्य लोगों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है।’’ सोनोवाल ने बताया कि मंगलवार को स्कूल के प्रधानाचार्य हिमंत पायेंग और स्कूल के प्रशासक रतन दास को हथियार प्रशिक्षण में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। पुलिस अधीक्षक ने बताया, ‘‘पायेंग और दास को जमानत पर रिहा किया गया है। हम संगठन के अन्य सदस्यों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं।’’ हाल में हथियार प्रशिक्षण शिविर का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें युवक पिस्तौल और बंदूक चलाने का प्रशिक्षण लेते हुए देखे जा सकते थे। वीडियो सामने आने के बाद पूरे राज्य में इसकी आलोचना हुई और नाराजगी व्यक्त की गई। राष्ट्रीय बजरंग दल ने दावा किया कि महर्षि विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित चार दिवसीय शिविर में 350 युवकों ने कला, राजनीति और अध्यात्म का पाठ पढ़ने के अलावा हथियार चलाने और युद्ध कला (मार्शल आर्ट) का प्रशिक्षण लिया। दरांग जिला पुलिस ने सोमवार को ट्वीट कर बताया था कि मामले में मंगलदोई पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा- 153ए (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) और धारा-34 (कई व्यक्तियों द्वारा समान मंशा से आपराधिक कृत्य करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। इस बीच, रायजोर दल के अध्यक्ष एवं विधायक अखिल गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को पत्र लिखकर सवाल किया कि क्या प्रशिक्षण शिविर राज्य में ”सांप्रदायिक दंगे करने की तैयारी’’ थी। उन्होंने कहा, ‘‘क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कोई अशांति होगी? गृह विभाग जो आपके (मुख्यमंत्री के) अधीन है और असम पुलिस ने राज्य के लोगों को चिंतित कर दिया है।’’ असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिविर के आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई और जिला प्रशासन की भूमिका की जांच की मांग की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के असम राज्य सचिव सुप्रकाश तालुकदार ने कहा, ‘‘राज्य में शांति और सौहार्द्र को खतरा चिंता का विषय है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्यमंत्री के आने के बाद से ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं जो अकसर विपक्षी पार्टियों के विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन राष्ट्रीय बजरंग दल की ऐसी सांप्रदायिक गतिविधियों पर चुप्पी साध लेते हैं।’’ असम के जल संसाधन मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया है और जरूरी कदम उठा रही है। राज्य के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि यह घटना चिंता का विषय है और कानून अपना काम करेगा। राज्य के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने कहा कि शिविर में आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’’इसके अलावा, गुवाहाटी उच्च न्यायालय में मंगलवार को दो महिला न्यायाधीश समेत पांच नए न्यायाधीश नियुक्त हुए। इन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति काकहेतो सीमा, न्यायमूर्ति देवाशीष बरुआ, न्यायमूर्ति मलासरी नंदी, न्यायमूर्ति मर्ली वानकुंग और न्यायमूर्ति अरुण देव चौधरी शामिल हैं। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया,’गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संदीप मेहता ने इन न्यायाधीशों को शपथ दिलाई।’ नई नियुक्तियों से उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश समेत कुल 24 न्यायाधीश हो गए हैं।इसके अलावा, तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि अगले साल लोकसभा चुनाव में अपनी नैया पार लगाने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ध्रुवीकरण कर भावनाएं भड़का रही है। बोरा ने दर्रांग जिले में बजरंग दल के शिविर में हथियारों के प्रशिक्षण पर शुरुआती चुप्पी को लेकर पुलिस एवं सरकारी मशीनरी पर भी निशाना साधा। इस घटना से राज्य में विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘देश में भाजपा का यही तौर-तरीका है। इस बार यहां बजरंग दल है, लेकिन वे इसे संघ परिवार कहते हैं। वे सभी समान विचारधारा के संगठन हैं।’’ दर्रांग जिले के मंगलादाई शहर में आयोजित इस शिविर का उल्लेख करते हुए बोरा ने कहा, ‘‘वे कहते हैं कि एयरगन का इस्तेमाल आत्मरक्षा के लिये था, लेकिन यह है तो हथियार ही। एक जुलूस निकाला गया जिसमें ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के नारे लगाये गये तथा इन बंदूकों से हवा में फायरिंग की गयी। पुलिस मूकदर्शक होकर खड़ी रही। परोक्ष रूप से सरकार इसे बढ़ावा दे रही है।’’ सोमवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें मंगलादाई के एक विद्यालय में बजरंग दल के सदस्य कथित रूप से हथियारों का प्रशिक्षण देते हुए नजर आ रहे हैं। असम पुलिस ने इस शिविर के आयोजन को लेकर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है । विपक्षी कांग्रेस एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आयोजकों तथा जिला प्रशासन की भूमिका के खिलाफ जांच की मांग की है। राज्यों की भाजपा सरकारों को निशाने पर लेते हुए राज्यसभा सदस्य बोरा ने कहा, ”जहां कहीं भी भाजपा की ‘डबल इंजन’ सरकार है, चाहे मणिपुर हो या हरियाणा, समुदायों के बीच संघर्ष शुरू हो गया है। 2024 के लोकसभा चुनाव पर नजर गड़ायी भाजपा लोगों का ध्रुवीकरण करने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक धर्म, हिंदू राष्ट्र’ के नारे में लगी हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे भावनात्मक कार्ड से हिंदुओं को लामबंद करना और चुनाव जीतना चाहते हैं क्योंकि उनके पास दिखाने के लिए विकास के काम नहीं हैं।”इसके अलावा, असम में पहली बार दूरदराज के एक इलाके के 10वीं कक्षा के किसी छात्र को एक दिन के लिए शिवसागर का जिला आयुक्त बनाया गया। शिवसागर के जिला आयुक्त आदित्य विक्रम यादव ने एक योजना के तहत ‘बोकोटा नेमुगुरी ड्यूरिटिंग टी गार्डन’ के भाग्यदीप राजगढ़ को चुना। जिला आयुक्त भाग्यदीप के घर गए और उसे यहां लेकर आए, जहां उसने सोमवार को जिला विकास समिति (डीडीसी) की दिनभर की बैठक में भाग लिया। यादव ने संवाददाताओं को बताया कि बोकोटा बोरबम हाई स्कूल के 16 वर्षीय छात्र भाग्यदीप को ‘आरोहण’ कार्यक्रम के तहत चुना गया। इस पहल के तहत दूरदराज के ग्रामीण और गरीब परिवारों के प्रतिभाशाली छात्रों को पहचानकर उनके शैक्षणिक करियर में उन्हें मदद दी जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम छात्रों को आकांक्षा रखने और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं ताकि वे पेशेवर पाठ्यक्रम अपना सकें और डॉक्टर, इंजीनियर और सिविल सेवकों सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपना कॅरियर बना सकें।’’ यादव ने कहा कि भाग्यदीप एक प्रतिभाशाली लड़का है, जो जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि एक दिन के लिए जिला आयुक्त की भूमिका निभाने के लिए उसका चयन न केवल उसे, बल्कि अन्य छात्रों को भी पढ़ाई जारी रखने की प्रेरणा देगा।’’ भाग्यदीप ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी बनना उसका सपना है।इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि वह सामाजिक बुनियादी ढांचे की कमी और विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन के स्तर को समझने के लिए मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के साथ 15 दिनों की अवधि में राज्य के 25,501 गांवों का दौरा करेंगे। शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार शासन को सीधे लोगों तक ले जाने के लिए ‘सार्वजनिक समाधान’ नामक एक व्यापक कार्यक्रम के जरिये लोगों की नब्ज को समझने की एक पहल शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़े एकत्र करने और उनकी पहुंच का आकलन करने के लिए मंत्रिस्तरीय दौरे से पहले हर गांव में जाएंगे। इन गांवों का मंत्रिस्तरीय दौरा एक से 15 अक्टूबर के बीच होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य व्यापक स्तर पर आंकड़े संग्रह करके सभी योजनाओं के लाभार्थियों की संतृप्ति सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कोई कमी है तो उसे दूर करने के लिए अधिकारी ग्रामीण स्तर पर सामाजिक बुनियादी ढांचे का निरीक्षण करेंगे।इसके अलावा, असम में कृष्णा कांत हांडिक राजकीय मुक्त विश्वविद्यालय (केकेएचएसओयू) चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम शुरू करने वाला देश का एकमात्र मुक्त विश्वविद्यालय बन गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार स्नातक पाठ्यक्रम व सभी शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का यूजीसी क्रेडिट व्यव्था के अनुसार पुनर्गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों और प्रवेश प्रक्रिया की समीक्षा के लिए एक बैठक की। पेगु ने संवाददाताओं से कहा कि विश्वविद्यालय में एक लाख से अधिक छात्र नामांकित हैं और इस साल पहले ही 14,000 छात्र दाखिला ले चुके हैं। उन्होंने कहा, “मुक्त विश्वविद्यालय की डिग्री और डिप्लोमा नियमित पाठ्यक्रम पेश करने वाले अन्य विश्वविद्यालयों के समान हैं और हमारी सरकार दाखिले के मामले में इसे मान्यता दे रही है।” पेगु ने उन छात्रों से राजकीय मुक्त विश्वविद्यालय के लिए आवेदन करने का आह्वान किया, जिन्हें नियमित स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिला नहीं मिला है। विश्वविद्यालय के 276 अध्ययन केंद्र और जोरहाट में एक क्षेत्रीय केंद्र है। अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल विश्वविद्यालय में 44 पाठ्यक्रम पेश किए जाते हैं।इसके अलावा, असम सरकार ने आयुर्वेदिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संस्कृत का ज्ञान अनिवार्य करने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है। यह निर्णय बुधवार रात मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। राज्य सरकार ‘बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी’ (बीएएमएस) में प्रवेश के लिए “संस्कृत को अनिवार्य मानदंड” बनाने के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) को प्रस्ताव देगी। शर्मा द्वारा ट्विटर पर साझा की गई एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रस्ताव में यह शामिल होगा कि अभ्यर्थियों को संस्कृत विषय के साथ 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालय या बोर्ड द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं में 10वीं कक्षा की संस्कृत परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी और “संस्कृत के साथ 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले” अभ्यर्थियों को शुरू में पांच साल के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है। दस्तावेज में कहा गया है कि असम आयुर्वेदिक शिक्षा सेवा नियम, 2023 को सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल के शिक्षण कर्मचारियों, चिकित्सा अधिकारियों के लिए सेवा नीतियों के समान कार्यान्वयन के लिए तैयार किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने असम में विभिन्न स्थानों पर पांच परियोजनाओं के लिए कुल 2,963.15 करोड़ रुपये के निवेश को भी मंजूरी दी। संबंधित कैबिनेट नोट में कहा गया, “प्रस्तावित परियोजनाएं 4,700 लोगों (1,220 प्रत्यक्ष और 3,480 अप्रत्यक्ष रूप से) के लिए रोजगार पैदा करेंगी। मेगा परियोजनाएं नौकरी के अवसर पैदा करके, स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने और निवेश लाने के अलावा बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करके आर्थिक प्रगति को गति देंगी।” मंत्रिमंडल ने उत्तरी गुवाहाटी में बैडमिंटन के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए भी अपनी मंजूरी दे दी।मेघालयमेघालय से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मणिपुर में शांति का आह्वान करते हुए कहा कि तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में जो घटनाएं हुई हैं, वे ‘‘पीड़ादायक’’ हैं। बिरला ने शिलांग में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए), भारत क्षेत्र के 20वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केवल शांति ही राज्य और क्षेत्र में समृद्धि ला सकती है। इस सम्मेलन का आयोजन मेघालय विधानसभा परिसर में किया गया। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मेघालय विधानसभा अध्यक्ष थॉमस ए संगमा और अरुणाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पी डी सोना चार दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में शामिल हैं। बिरला ने कहा, ‘‘हाल के दिनों में जो भी अमानवीय घटनाएं घटी हैं, उससे मुझे दुख हुआ है। हम सभी उससे आहत हैं। पूरे समाज, राज्यों और पूरे देश को शांति के रास्ते पर चलना चाहिए। हम सभी को शांति की बहाली के लिए प्रयास करने चाहिए।’’ मणिपुर की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘ये घटनाएं बहुत दुखद हैं और हम सभी को पीड़ा पहुंचाती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे व्यवहार से किसी को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए। यही हमारा प्रयास होना चाहिए। एक समाज के तौर पर यह हमारा नैतिक कर्तव्य है।’’ बिरला ने कहा कि देश और सभी राज्यों के साथ-साथ सभी सामाजिक समूहों को शांति के रास्ते पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को शांति बहाली के लिए प्रयास करना चाहिए। इसलिए, हम मानवता के दृष्टिकोण से शांति का आह्वान करते हैं।’’ मिजोरममिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में बुधवार को प्रकाशित मतदाता सूची के मसौदे के अनुसार राज्य में 4.31 लाख महिला मतदाताओं समेत 8.38 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से 24,545 ज्यादा है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य निर्वाचन विभाग द्वारा प्रकाशित मतदाता सूची के मसौदे के अनुसार कुल 8,38,039 मतदाताओं में 4,06,747 पुरुष और 4,31,292 महिला वोटर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में 89 महिलाओं समेत 5,021 ‘सर्विस वोटर’ हैं। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं। वर्तमान विधानसभा में सत्तारुढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के 27, मुख्य विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के छह, कांग्रेस के पांच और भाजपा का एक सदस्य है।इसके अलावा, मिजोरम सरकार जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के 12,600 से अधिक विस्थापित लोगों के लिए केंद्र से आर्थिक सहायता मिलने का इंतजार कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। मिजोरम के गृह आयुक्त एवं सचिव एच लालेंगमाविया ने बताया कि मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने मई में उन विस्थापित लोगों के लिए तत्काल राहत पैकेज के रूप में 10 करोड़ रुपये की मांग की थी। लालेंगमाविया ने कहा, ‘‘हमें अब तक केंद्र से कोई सहायता नहीं मिली है। राज्य सरकार ने मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए स्वयं धन जुटाया है।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र जल्द ही इन लोगों के लिए धन मंजूर करेगा, जिन्होंने तीन मई को पड़ोसी राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद मिजोरम में शरण ली है। मिजोरम गृह विभाग के अनुसार, शुक्रवार तक मणिपुर से कुल मिलाकर 12,611 लोग मिजोरम में प्रवेश कर चुके हैं। बयान में कहा गया है कि उनमें से 4,440 ने मिजोरम के कोलासिब जिले में, 4,265 ने आइजोल में और 2,951 ने सैतुअल में शरण ली।इसके अलावा, मिजोरम की सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद म्यांमा के नागरिकों का बायोमैट्रिक विवरण एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। म्यांमा में सेना के तख्तापलट करने के बाद फरवरी 2021 से म्यांमा के लगभग 30 हजार से ज्यादा नागरिक मिजोरम में शरण ले चुके हैं। राज्य के गृह विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी-संयुक्त सचिव डेविड एच. ललथांगलियाना ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि बीते सप्ताह सभी 11 जिलों में म्यांमा के नागरिकों का बायोमैट्रिक विवरण दर्ज करने के लिए पायलट परियोजना शुरू की गई थी। अप्रैल में गृह मंत्रालय ने मिजोरम और मणिपुर को अवैध प्रवासियों का बायोमैट्रिक विवरण दर्ज करने का निर्देश दिया था।नागालैंडनागालैंड से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि नागालैंड सरकार ने ‘नॉन प्रैक्टिसिंग’ भत्ता ले रहे सरकारी डॉक्टरों को मंगलवार को एक महीने के अंदर निजी प्रैक्टिस बंद करने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव वाई किखेतो सेमा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नगालैंड चिकित्सा परिषद के साथ विभिन्न स्तरों पर विभाग की कई बैठकों के बाद तथा मार्च में विभाग को लोकायुक्त की ओर से जारी किये गये निर्देश के मद्देनजर यह फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि कई बार इन निर्देशों का अक्षरश: पालन नहीं किया जा रहा है। सेमा ने कहा कि इस संबंध में सरकार ने कार्यालय परिपत्र के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदाताओं तथा निजी अस्पतालों एवं क्लीनिकों को भी निर्देश जारी किया है जो सरकारी डॉक्टरों की सेवा लेते हैं। उन्होंने कहा कि जो सरकारी डॉक्टर एनपीए ले रहे हैं और निजी अस्पतालों/क्लीनिकों में भी निजी प्रैक्टिस करते हैं, उन्हें एक महीने के अंदर निजी प्रैक्टिस बंद कर देने या एनपीए छोड़ देने का निर्देश दिया गया है।अरुणाचल प्रदेशअरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश में 720.75 किलोमीटर लंबी 91 सड़कों और 30 लंबे पुलों की मरम्मत और सौंदर्यीकरण को मंजूरी प्रदान कर दी है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री रीजीजू ने एक बयान में कहा कि इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत 757.58 करोड़ रुपये है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा स्वीकृत इन परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इस विकास कार्य से चांगलांग, दिबांग घाटी, पूर्वी कामेंग, पूर्वी सियांग, कामले, क्रा दादी, कुरुंग कुमेय, लेपा राडा, लोहित, लोंगडिंग और निचली दिबांग घाटी जैसे विभिन्न जिलों की 500 बस्तियों में ग्रामीण सड़क संपर्क (कनेक्टिविटी) में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि निचले सियांग, निचले सुबानसिरी, नामसाई, पक्के केसांग, पापुम पारे, सियांग, तवांग, तिरप, अपर सियांग, ऊपरी सुबानसिरी, पश्चिम कामेंग और पश्चिम सियांग जिलों के लोगों को इन परियोजनाओं से लाभ मिलेगा। रीजीजू ने कहा, ‘‘अगले पांच वर्षों में और अधिक विकास परियोजनाएं सामने आएंगी।”इसके अलावा, आम आदमी पार्टी अगले साल अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव लड़ेगी। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव (संगठन) डॉ. संदीप पाठक ने नयी दिल्ली में यह कहा। आप की अरुणाचल प्रदेश इकाई की बैठक की अध्यक्षता करते हुए पाठक ने पार्टी संगठन को मजबूत करने और जनता से जुड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से गरीबों और वंचितों के लिए काम करने का आग्रह किया। आप की अरुणाचल इकाई के महासचिव टोको निकम के अनुरोध का जवाब देते हुए पाठक ने कहा कि पार्टी राज्य में एक रैली आयोजित करेगी। आप की अरुणाचल इकाई के अध्यक्ष यमरा ताया ने राज्य की मौजूदा स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने पार्टी की प्रमुख नीतियों को रेखांकित किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (एपीयूएपीए) को निरस्त करना, अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (एपीपीएससी) पेपर लीक मुद्दे का समाधान, सभी को मुफ्त पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना शामिल है।