प्रिंस विक्रमादित्य या ‘क्वीन’ कंगना, जानिए मंडी लोकसभा सीट पर कौन है भारी

शिमला: हिमाचल प्रदेश की पर शाही परिवार के विक्रमादित्य और सेलिब्रिटी के बीच चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अपने पिता वीरभद्र के उत्तराधिकारी के तौर पर उतरे हैं तो कंगना भी हिमाचल की बेटी बनकर चुनाव प्रचार कर रही है। दोनों के बीच चुनावी डायलॉगबाजी भी जोरदार हो रही है। विक्रमादित्य अपने प्रतिद्वंद्वी को सीजनल टूरिस्ट बता रहे हैं तो कंगना बिगड़ा हुआ शहजादा, पलटू और छोटा पप्पू जैसे जुमलों के साथ हमले कर रही हैं। वादों और आरोपों का सिलसिला भी चल रहा है। विक्रमादित्य और कंगना में खूब हुई जुबानी जंग ने मंडी लोकसभा सीट से फिल्म एक्ट्रेस कंगना रनौत को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस की तरफ से राजघराने के राजकुमार विक्रमादित्य सिंह चुनाव मैदान में हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान नाराज रहे विक्रमादित्य प्रचार में देर से उतरे, मगर कंगना पर जोरदार सियासी हमले किए। चुनाव में उतरते ही विक्रमादित्य ने कंगना से मंडी निर्वाचन क्षेत्र के विकास के बारे में उनका दृष्टिकोण पूछ लिया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि कंगना एक महीने के राजनीतिक पर्यटन पर हैं और चार जून के बाद अपना बोरिया-बिस्तारा बांधकर बॉलीवुड लौट जाएंगी। इसके जवाब में कंगना ने विक्रमादित्य को हिमाचल का छोटा पप्पू बताकर हमला किया।कंगना ने पूछे विकास पर सवाल, फिर वादों का दौरकंगना रनौत भी मंझे हुए राजनेता की तरह विक्रमादित्य से मंडी के विकास से जुड़े रोके गए विकास परियोजनाओं पर घेर लिया। कंगना ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 250 करोड़ रुपये की शिव धन परियोजना को रोका और मंडी विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र को कम कर दिया। सुंदरनगर हवाई क्षेत्र परियोजना को दबाने जैसे फैसले लिए, तब विक्रमादित्य चुप क्यों रहे?इसके बाद मंडी में वादों का दौर शुरू हुआ। विक्रमादित्य सिंह ने मंडी को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया। इसके अलावा उन्होंने रोहतांग सुरंग की तर्ज पर जलोड़ी जोत सुरंग का निर्माण, ब्यास नदी के किनारों के निर्माण और चंबा के दूरस्थ पांगी क्षेत्र को तीसा से जोड़ने का चुनावी वादा किया। मंडी में समर्थन और विरोध का खेल भी खूब चला मंडी के चुनाव में सियासी समर्थन और विरोध का दौर भी चल रहा है। किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनौत की टिप्पणी से नाराज संयुक्त किसान मंच ने विक्रमादित्य को समर्थन देने का ऐलान किया है। दूसरी ओर, कंगना के समर्थन में पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के पोते आश्रय शर्मा और 2021 के उपचुनाव में बीजेपी कैंडिडेट रहे ब्रिगेडियर खुशाल सिंह आगे आए हैं। कंगना अपने स्टारडम, पीएम नरेंद्र मोदी की छवि और राम मंदिर के दम पर जीत का दावा कर रही हैं, तो विक्रमादित्य सिंह को अपनी विरासत पर भरोसा है।मंडी लोकसभा सीट का ट्रैक रेकॉर्ड जान लीजिए अभी तक मंडी लोकसभा क्षेत्र में 19 बार संसदीय चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 13 बार कांग्रेस के नेताओं को संसद पहुंचने का मौका मिला है। विक्रमादित्य सिंह के पिता वीरभद्र सिंह और मां प्रतिभा सिंह भी 3-3 बार जीत चुकी हैं। इस सीट से 6 बार गैर कांग्रेसी नेता भी जीत चुके हैं। 1977 में गंगा सिंह पहली बार जनता पार्टी के टिकट से जीते। फिर राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1989 में भी उन्हें सफलता मिली। 1998 और 1999 में भी वह फिर बीजेपी के टिकट पर जीते। 2014 और 2019 में बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा ने कांग्रेस को लगातार हराकर परचम बुलंद रखा। 2021 के उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने यह सीट बीजेपी से छीन ली। मंडी लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या 13,77,173 है, जिनमें 6,98,666 पुरुष, 6,78,504 महिलाएं और तीन ट्रांसजेंडर शामिल हैं। 2024 के चुनाव में जीतेगा कौन, इसका फैसला 4 जून को होगा। (भाषा इनपुट के साथ)