हिमाचल का सीएम बनने की रेस में सबसे आगे थीं प्रतिभा फिर सुक्‍खू ने कैसे मार ली बाजी, समझिए

नई दिल्‍ली: हिमाचल प्रदेश के अगला सीएम कौन होगा, यह सस्‍पेंस अब खत्‍म हो गया है। कांग्रेस आलाकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्‍खू को प्रदेश () की कमान सौंपने का फैसला लिया है। पार्टी के लिए यह निर्णय किसी भी तरह से आसान नहीं था। मुख्‍यमंत्री पद के लिए दौड़ में कई बड़े नाम थे। इसमें सबसे आगे थीं कांग्रेस की प्रदेश अध्‍यक्ष और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्‍नी प्रतिभा सिंह। वीरभद्र सिंह और उनके परिवार का प्रदेश में खासा प्रभाव है। ऐसे में प्रतिभा सिंह के बजाय सुक्‍खू के नाम पर मुहर लगाना () मुश्किल था। आखिर ऐसा क्‍या हुआ कि सुक्‍खू ने आखिरी समय में बाजी पलट दी? क्‍यों कांग्रेस हाईकमान ने चार बार के विधायक पर भरोसा जताया? आइए, यहां इस पहलू समझने की कोशिश करते हैं।

सुखविंदर सिंह सुक्‍खू कांग्रेस के वफादार सिपाही हैं। वह लंबे समय से पार्टी से जुड़े हैं। 1998 से 2008 तक वह युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष रहे। उन्‍होंने वकालत कर रखी है। उनकी पढ़ाई-लिखाई शिमला से हुई है। नादौन विधानसभा क्षेत्र से वह 2022 में चौथी बार विधायक चुने गए। यही उनकी जन्‍मस्‍थली भी है। नादौन जिले के सेरा गांव में उनका 26 मार्च 1964 में जन्‍म हुआ था। वह प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष और महासचिव भी रह चुके हैं।

उपचुनाव के चक्‍करों में पड़ जाती पार्टी
अगर प्रतिभा के ऊपर सुक्‍खू को चुना गया तो उसके पीछे कई कारण थे। सबसे बड़ा तो यही था कि कांग्रेस ने इसके जरिये उपचुनाव को टाल दिया। अगर पार्टी प्रतिभा सिंह के साथ आगे बढ़ती तो उसे दो उपचुनाव का सामना करना पड़ता। एक विधानसभा और दूसरा मंडी लोकसभा सीट पर। सुक्‍खू विधायक चुने जा चुके हैं। इसके उलट प्रतिभा सिंह सांसद हैं। उन्‍होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। उन्‍हें चुनाव नहीं लड़ाने की एक वजह भी थी। इसके जरिये कांग्रेस संदेश देना चाहती थी कि वह मुख्‍यमंत्री पद की रेस में नहीं हैं। उनकी भूमिका प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष तक सीमित है। वह लीडरशिप मेकिंग में रहेंगी। कांग्रेस नहीं चाहती थी क‍ि अभी उपचुनाव हों। खासतौर से यह भी देखते हुए कि इस चुनाव में मंडी लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली 17 में से 12 विधानसभा सीटें बीजेपी जीती है। प्रतिभा सिंह मंडी लोकसभा सीट का ही प्रतिनिधित्‍व करती हैं। वह बेटे विक्रमादित्‍य सिंह के साथ ‘राजा साहेब’ (वीरभद्र) की विरासत संभाल रही हैं।

परिवारवाद पर सख्‍त मैसेज
वीरभद्र सिंह प्रदेश में छह बार सीएम रहे। बेटा विधायक और पत्‍नी सांसद हैं। प्रतिभा पहले से ही प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष हैं। ऐसे में उन्‍हें अगर कांग्रेस सीएम बनाती तो परिवारवाद के आरोपों को बल मिलता। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) उसे घेरती रही है। पार्टी इस इमेज को तोड़ना चाहती है। यही कारण है कि उसने हाल में शीर्ष स्‍तर पर भी बदलाव किया है। सालों बाद पार्टी की बागडोर गांधी परिवार से बाहर के किसी व्‍यक्ति के हाथों में दी गई है। मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी अध्‍यक्ष बनाया गया है। सुक्‍खू को सीएम बनाकर पार्टी ने मैसेज दिया है कि वह परिवारवाद से ऊपर उठ रही है। उसकी पार्टी में सभी के लिए भविष्‍य है।

प्रियंका और सुक्‍खू की केमिस्‍ट्री प्रियंका गांधी हिमाचल प्रदेश चुनाव के दौरान प्रचार करने में काफी सक्रिय रहीं। प्रदेश में उन्‍होंने ताबड़तोड़ रैलियां कीं। इसमें सुक्‍खू ने प्रियंका का भरपूर साथ दिया था। दोनों ने मिलकर तमाम एजेंडे सेट किए। इसके चलते प्रियंका और सुक्‍खू के बीच काम में एक केमिस्‍ट्री बनी। बेशक, कांग्रेस के अध्‍यक्ष खरगे हैं। लेकिन, पार्टी पर गांधी परिवार का प्रभाव कायम है। कोई सोच भी नहीं सकता कि पार्टी के बड़े निर्णयों में परिवार की भूमिका नहीं होगी। सुखविंदर सिंह सुक्‍खू के बयान से इस बात को समझा जा सकता है। जैसे ही उन्‍हें विधायक दल का नेता चुना गया, उन्‍होंने सबसे पहले गांधी परिवार का शुक्रिया अदा किया। इसमें खरगे का नाम तक नहीं आया। वह बोले – ‘मैं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रदेश की जनता का शुक्रगुजार हूं। हमने हिमाचल प्रदेश की जनता से जो वादे किए हैं, उन्हें पूरा करना मेरी जिम्मेदारी है। राज्य के विकास के लिए हमें काम करना है।’