सबसे ज्यादा बार पीएम मोदी बने हैं भगवान जगन्नाथ के प्रथम सेवक, जानिए क्या है पहिंद विधि

अहमदाबाद: भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथ यात्रा में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने पहिंद विधि में हिस्सा लिया। ने इस सोने की झाड़ू से भगवान जगान्नाथ के यात्रा के मार्ग को साफ किया और रथ को खींचा इसके बाद यात्रा नगर भ्रमण के लिए आगे बड़ी। पहिंद विधि समारोह सुबह चार बजे की मंगला आरती के बाद होती है। मंगला आरती के बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम रथ पर विराजमान होते हैं। गुजरात में पहिंद विधि में सिर्फ सीएम से क्यों कराई जाती है? इसके पीछे एक विशेष कारण है। 1989 में हुई थी शुरुआत अहमदाबाद में रथ यात्रा की शुरुआत 1878 में हुई थी। इसके बाद से सतत अषाढ़ महीने के दूसरे दिन रथ यात्रा निकलती है, लेकिन रथ यात्रा में पहिंद विधि की शुरुआत 1989 से हुई। ओड़िया भाषा में इसे अलग नाम से जाना जाता है। वहां पर इस विधि को पुरी के राजा करते हैं। इसी प्रकार से गुजरात में जब इसकी शुरुआत हुई तो गुजरात के मुख्यमंत्री को राजा माना गया। पहली पहिंद विधि करने का गौरव अमर सिंह चौधरी को है तो इसके बाद इस विवि को आगे चिमनभाई पटेल, केशुभाई पटेल, सुरेश मेहता, शंकर सिंह वाघेला ने यह विधि की। पहिंद विवि संस्कार में कहा गया है कि राजा ही परंपरा के अनुसार राजा भगवान का पहिंद संस्कार करता है। पहिंद संस्कार सोने की झाडू से किया जाता है। पहिंद समारोह में रथ को सोने की झाडू से साफ किया जाता है। रथ का मार्ग भी सोने की झाडू से झाड़ा जाता है। मुख्यमंत्री यानी की राजा भगवान के रक्ष को सोने के झाडृू से साफ करने के बाद मुख्यमंत्री सबसे पहले भगवान के रथ की डोरी खींचते हैं। 1990 से अहमदाबाद की रथ यात्रा में पहिंद समारोह किया जाता है। गुजरात में सर्वाधिक बाद इस विवि को करने का रिकॉर्ड के नाम पर दर्ज है। उन्होंने 2002 से 2013 तक लगातार 12 साल पहिंद विधि समारोह में हिस्सा लिया और फिर बतौर राजा पहिंद संस्कार की विधि पूरी की। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को दसरी बार पहिंद विधि करने का अवसर मिला। पहिंद विधि करने वाले को ही भगवान जगन्नाथ यात्रा का प्रथम सेवक माना जाता है। अहमदाबाद की रथ यात्रा लाखों लोग जुड़ते हैं।