सुब्रमण्यन स्वामी का दावा- खत्म हो रहा है उपासना स्थल कानून
भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने एक ट्वीट में लिखा, ‘मुझे अधिकारियों से पता चला है कि उपासना स्थल कानून हटाया जा रहा है। मोदी सरकार विधेयक लाकर इस कानून को खत्म करेगी। मेरे रिट पिटिशन (आज्ञापत्र) पर सुनवाई अब पूरी होने वाली थी। मैं यह केस जीत भी लेता- कम से कम कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए।’
क्या है उपासना स्थल कानून, जानिए
पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 18 सितंबर, 1991 को संसद से पारित हुआ। यह कानून कहता है कि 15 अगस्त, 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थलों में नहीं बदला जा सकता है। यानी, उसका जो धार्मिक स्वरूप 15 अगस्त, 1947 को था, वही आगे भी रहेगा। इस कानून का विरोध करने वाले संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हैं। उनका कहना है कि पिछली तारीख से कानून लागू करना संवैधानिक नहीं हो सकता। दूसरी बात, भारत पर सदियों से अलग-अलग धर्म से संबंधित आक्रमणकारियों ने आक्रमण किए और यहां के मंदिरों को तोड़ा जो बर्बर और अत्याचारी प्रवृत्ति के द्योतक हैं। इतिहास में हुए अन्याय के लिए न्याय पाने का रास्ता भी बंद कर दिया जाए, ऐसा दुनिया में कहीं और उदाहरण देखने को नहीं मिलता है।
मथुरा, काशी जैसे मुद्दों से दबाव में केंद्र सरकार
बहरहाल, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और काशी में ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू पक्ष दावा ठोंक रहा है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर बने मंदिर जबकि काशी में भी काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद का मामला अदालत में है और अदालत के आदेश पर ही मस्जिद का सर्वे भी हो चुका है। हिंदू पक्ष मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा कर रहा है। इन परिस्थितियों में केंद्र सरकार पर उपासना स्थल कानून को संसद से निरस्त करवाने का काफी दबाव है।