नई दिल्ली: दुबई में रहने वाले एक शख्स ने खास तरह की तस्वीर बनाई है। यह अपने में अनूठी है। इसे वीलचेयर की मदद से बनाया गया है। इस तस्वीर को दुनिया की सबसे बड़ी जीपीएस ड्राइंग का दर्जा मिला है। इसे बनाने वाले कलाकार हैं सुजीत वर्गीज (Sujith Varghese)। जीपीएस टेक्नोलॉजी के जरिये बनी इस तस्वीर के लिए सुजीत ने 8.71 किलोमीटर वीलचेयर चलाई। एक दुर्घटना के बाद सुजीत की पूरी जिंदगी बदल गई थी। इस एक्सीडेंट में उन्हें लकवा मार गया था। वह वीलचेयर से बंध गए थे। लेकिन, उनकी सोच इस वीलचेयर से कतई नहीं बंधी थी। वीलचेयर पर भी उनके मन में कुछ करने का जज्बा बना रहा। फिर यह जुनून रिकॉर्ड तोड़ने तक पहुंच गया। सुजीत वर्गीज जिस वीलचेयर से जकड़े थे, उसी को आगे बढ़ने का जरिया बना लिया। बंधे रहना उन्हें बहुत खराब लग रहा था। फिर वह अपनी वीलचेयर पर बैठकर तस्वीर बनाने निकल पड़े। इसका एक बड़ा मकसद था। मकसद था एक सशक्त संदेश देना। जीपीएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सुजीत ने वीलचेयर में 8.71 किलोमीटर चलकर इस तस्वीर को बनाया। उन्होंने यह तस्वीर दुबई के पास बनाई। इसे दुनिया की सबसे बड़ी जीपीएस ड्राइंग का खिताब मिला है। इस तरह सुजीत ने रचा इतिहास12 मार्च को सुजीत ने यह रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 8.71 किमी की दूरी लगभग 77 मिनट में तय करके यह ड्राइंग बनाने का इतिहास रचा। सुजीत ने बताया कि इसके पीछे दिव्यांगों को मैसेज देना था। मैसेज यह है कि वे किसी तरह से कमजोर नहीं हैं। जो चाहे कर सकते हैं। सुजीत जब 20 साल के थे तब उनका बाइक एक्सीडेंट हुआ था। इस दुर्घटना में छाती के नीचे से वह पैरालाइज हो गए थे। उनकी 18 सर्जरी हुईं। लेकिन, ये सर्जरी और एक्सीडेंट उनका हौंसला तोड़ पाने में कामयाब नहीं हो सकीं। लोगों को क्या है सुजीत का संदेश? रिकॉर्ड बनाते वक्त सुजीत के इर्दगिर्द दुबई पुलिस के पैट्रोलिंग वाहन थे। किसी अनहोनी स्थिति में मदद मुहैया कराने के लिए पुलिस लगाई गई थी। विश्व रिकॉर्ड के लिए प्रयास करते हुए उन्हें अपनी शारीरिक सीमाओं के पार जाना था। तब उनके कानों में सिर्फ मां के वे शब्द याद आ रहे थे। वह कहती थीं कि असंभव को संभव करना ही इंसान की मंजिल होनी चाहिए। अगर कोई दिल से इसके लिए काम करने लगता है तो वह अपने हर लक्ष्य को पा लेता है। फिर वह लक्ष्य कितना भी मुश्किल क्यों न दिखता हो। सुजीत कहते हैं कि यह उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है। यह हर उस शख्स की जीत है जो शारीरिक विषमता से संघर्ष कर रहा है। यह उन्हें प्रेरणा देगा कि अगर वे चाहें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। मुश्किलों से पार पाने का मौका सबको नहीं मिलता है। यह सिर्फ उन्हें मिलता है जो इसके लायक होते हैं।