कतर को सरकारी LNG पावर प्लांट बेचेगा पाकिस्तान, दिवालिया होने से बचने के लिए किया फैसला

इस्लामाबाद: पाकिस्तान अपने विदेशी कर्ज के कारण दिवालिया होने के कगार पर है। यही कारण है कि उसने कतर को अपने दो एलएनजी प्लांट बेचने का फैसला किया है। चार साल पहले पाकिस्तान सरकार ने इन पावर प्लांट्स को 1.5 बिलियन डॉलर के बदले प्राइवेट हाथों में सौंपने का फैसला किया था। अब इन्हें प्राइवेटाइजेशन वाली लिस्ट से हटा दिया गया है। इसका उद्देश्य कतर को एक सीधे सौदे में इन सरकारी संपत्तियों को बेचना है ताकि आने वाले डिफॉल्टर के खतरे से बचा जा सके। पाकिस्तान पर चीन, सऊदी अरब, यूएई और कतर का सबसे ज्यादा कर्जा है। पाकिस्तान सरकार वर्तमान में इन देशों के लिए गए कर्ज की किश्तों को चुकाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि पाकिस्तान कर्ज देने वाले देशों से अनुरोध कर और ज्यादा समय की मांग कर रहा है।

सरकारी संपत्ति बेचने वाली कमेटी बनने के बाद हुआ फैसला

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला फास्ट-ट्रैक के आधार पर सरकारी संपत्तियों को बेचने के उद्देश्य से एक नई कैबिनेट कमेटी के गठन के दो दिन बात किया गया है। 2460 मेगावाट क्षमता वाले एलएनजी से चलने वाले इन बिजली संयंत्रों को अब एक उपयुक्त विदेशी खरीदार राष्ट्र खोजने के लिए इस समिति को सौंप दिया जाएगा। रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन दोनों प्लांट्स को कतर को सौंपा जाएगा। इसका अनौपचारिक फैसला एक दिन पहले ही हुई बैठक में लिया जा चुका है।

सरकार ने फैसला छिपाने के लिए जारी नहीं किया बयान

सूत्रों ने बताया कि इन दोनों एलएनजी संयंत्रों को निजीकरण कार्यक्रम से हटाने के लिए गुरुवार को निजीकरण आयोग बोर्ड (प्राइवेटाइजेशन कमीशन बोर्ड) की बैठक बुलाई गई थी। निजीकरण मंत्री आबिद हुसैन भयो भी शामिल थे। वह निजीकरण बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। आमतौर पर, पीसीबी बोर्ड की बैठक के बाद एक प्रेस बयान जारी करता है। हालांकि, इस बार, जाहिर तौर पर मामले को गोपनीय रखने के लिए कोई बयान जारी नहीं किया गया था। न तो निजीकरण मंत्री और न ही निजीकरण सचिव ने टिप्पणियों के अनुरोधों का जवाब दिया।

सरकार ने इन प्लांट्स पर लिए हैं भारी कर्ज

पाकिस्तान के निजीकरण सूची में ये केवल दो मूल्यवान संपत्तियां थीं। उनके हटाए जाने के बाद निजीकरण मंत्रालय या निजीकरण आयोग का अस्तित्व सवालों के घेरे में आ जाएगा। पीटीआई की पिछली सरकार ने बजट वित्तपोषण के लिए लगभग 1.5 बिलियन डॉलर जुटाने के प्रयास में दोनों बिजली संयंत्रों को निजीकरण की सक्रिय सूची में डाल दिया था। हालांकि, पिछले चार वर्षों में सरकार इस मुद्दे को हल नहीं कर पाई और इनसे सरकारी इक्विटी को हटाने के लिए नए कर्ज के रूप में 103 अरब रुपये जुटाए गए।

चार साल से इन्हें खरीदने की कोशिश में है कतर

सितंबर 2022 में पीसीबी ने क्रेडिट सुइस सिंगापुर को अरबों डॉलर के एलएनजी से चलने वाले बिजली संयंत्रों की कीमत निर्धारित करने के लिए कहा था। इन प्लांट्स को कतर पिछले चार वर्षों से खरीदना चाहता था। हालांकि, क्रेडिट सुइस ने पाकिस्तान के प्रस्ताव को मानने से पहले लगभग 1.7 मिलियन डॉलर की अपनी बकाया राशि को चुकाने और तीन प्रमुख लंबित मुद्दों को हल करने की शर्त रखी है। इससे 2,560 मेगावॉट की संयुक्त उत्पादन क्षमता वाले दो LNG बिजली संयंत्रों के निजीकरण की प्रक्रिया बाधित हुई है।