पाकिस्तान में आतंकवाद का लंबा इतिहास
पाकिस्तान में आतंकवाद कोई नया नहीं है। अमेरिका में 9/11 हमले से पहले भी यहां आतंकवादी घटनाएं देखने को मिलती थी। 2008 में जनरल मुशर्रफ के कार्यकाल में यह अपने चरम पर था। बातचीत और लगातार ऑपरेशन के बावजूद पाकिस्तान में रोजाना 2013 तक आतंकवाद की घटनाएं हुईं। हालांकि 2014 से 2020 तक इन घटनाओं में कमी देखने को मिली। 2021 में 2014 की ही तरह आतंकवाद में एक बार फिर वृद्धि देखने को मिली। 2014 में TTP ने पेशावर के आर्मी स्कूल पर आतंकी हमला किया था, जिसमें 122 मासूम छात्र और 22 शिक्षक मारे गए थे। इसी घटना के बाद सरकार ने सख्ती की, जिससे इसमें गिरावट देखने को मिली।
आतंकवाद को रोक नहीं सका पाकिस्तान
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज की 2015 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल एक्शन प्लान के लागू होने के बाद आतंकवाद के मामले में कमी देखी गई है। 2014 में 600 आतंकी घटनाएं देखी गई थीं। 2016 में यह 441 तक पहुंच गया। 2007 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि चाहे जितने प्लान पाकिस्तान ने लागू किए हों, उससे आतंकवाद में सिर्फ कमी हुई है। लेकिन उसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 370, 2018 में 262 और 2019 में 229 आतंकी घटनाएं हुईं।
इमरान ने की थी तालिबान की तारीफ
2020 में आतंकी घटनाएं कम होते-होते 146 तक पहुंच गईं। लेकिन 2021 में आतंकी मामलों में फिर बढ़ोतरी दिखी। यह वही साल था जब अमेरिका अफगानिस्तान से बाहर निकला था। पाकिस्तान ने इसी साल आतंकियों से बातचीत शुरू की थी। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार आतंकियों को उसकी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देगी। अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान का समर्थन किया था। वह अपने भाषणों में कहते रहे कि तालिबान ने नाटो और अमेरिका को हरा दिया। अफगान तालिबान हो या TTP दोनों की विचारधारा एक ही है। इमरान जिस तालिबान को लेकर खुशी जाहिर कर रहे थे, अब उसने अपने धमाकों से पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है।