इस्लामाबाद: जिस थाली में खाना उसी में छेद करना कोई पाकिस्तान से सीखे। रूस ने पाकिस्तान के लोगों को गेहूं दिया और सस्ता कच्चा तेल दिया। लेकिन बदले में पाकिस्तान रूस के दुश्मन के साथ ही दोस्ती करने लगा। बीबीसी उर्दू ने मंगलवार को एक खबर में कहा कि पाकिस्तान ने पिछले साल दो निजी अमेरिकी कंपनियों के साथ 36.4 करोड़ डॉलर का हथियार बिक्री समझौता किया था। ये हथियार कथित तौर पर रूस के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए यूक्रेन भेजे गए थे। पिछले साल 24 फरवरी से रूस-यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ था।पाकिस्तान की चोरी जब दुनिया के सामने आ गई तो वह खुद को बचाने में लग गया है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने यूक्रेन को हथियारों और गोला-बारूद की किसी भी बिक्री से इनकार किया है। इसके साथ ही कहा कि दोनों देशों के बीच पाकिस्तान ‘सख्त तटस्थता’ की नीति बनाए हुए है। हालांकि पहले भी कई संगठन हैं, जो यह दावा करते रहे हैं कि पाकिस्तान यूक्रेन को हथियार बेच रहा है। हालांकि अभी तक किसी भी तरह के सबूत मुहैया नहीं कराए गए हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने इस खबर में इस बात का जिक्र किया कि जिस समय हथियार देने की बात हो रही है उस समय PDM पार्टी सत्ता में थी, जिसने इमरान को हटाया था।कौन से हथियार बेचे गएपाकिस्तान के अंतरिम पीएम कहते रहे हैं कि अगर यूक्रेन में कोई भी पाकिस्तानी हथियार मिलता है तो यह सिर्फ ब्लैक मार्केट से पुहंचा होगा। हालांकि इस खुलासे ने पाकिस्तान के न्यूट्रल रहने के दावे की पोल खोल दी है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की दो प्राइवेट कंपनियों ग्लोबल मिलिट्री और नॉर्थरोप ग्रुम्मन ने 155 एमएम तोप के गोले खरीदने के लिए पाकिस्तान से समझौता किया। 23.2 करोड़ डॉलर का समझौता ग्लोबल मिलिट्री और 13.1 करोड़ डॉलर का समझौता दूसरी कंपनी ने किया था। यह समझौता पिछले महीने रद्द हो गया।ब्रिटिश मिलिट्री के विमान से भेजे गए हथियारअमेरिकी फेडरल प्रोक्योरमेंट डेटा सिस्टम से कॉन्ट्रैक्ट की डिटेल का हवाला देते हुए रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि ये हथियार पाकिस्तान से खरीदे गए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन हथियारों को ब्रिटिश मिलिट्री के कार्गो प्लेन के जरिए नूर खान एयर बेस से डिलीवर किया गया। यह प्लेन पांच बार रावलपिंडी में उतरा था। ऐसा सबसे पहला विमान तब रावलपिंडी में उतरा जब पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा यूके में रॉयल मिलिट्री की पासिग आउट परेड को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान-ब्रिटेन के संबंधों को ऊंचाई पर ले जाने की कसम खाई थी।