
कूटनीतिक जानकार मानते हैं कि यूएनएससी जैसे बड़े मंच पर बिलावल का ऐसा बयान उनकी और पाकिस्तान की छटपटाहट और अपरिपक्वता दर्शाता है। यह बयान चीन को खुश करने के लिए दिया गया लगता है। यह अपने यहां खस्ता माली मालत, बढ़ते आपसी विघटन के आसार से भी ध्यान हटाने के लिए दिया गया लगता है। इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा स्वीकार्य और सम्मानित माने जाने वाले मोदी जैसे नेता पर इस तरह के बोल के बाद बिलावल पाकिस्तान में अपना कद बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इमेज और खराब हो गई है।
देश में माहौल गरमबयान का असर इधर भारत में भी देर तक नजर आ सकता है। बिलावल के बयान पर विपक्ष के किसी शीर्ष नेता ने सुबह तक तो खुलकर कोई प्रतिक्रिया या निंदा का बयान नहीं दिया था। बीजेपी कहती रही है कि , कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सुर पाकिस्तान और चीन के नेताओं जैसे ही क्यों होते हैं? बीजेपी अब इस बयान को आगे आने वाले चुनावों में भी इस्तेमाल करेगी? विपक्षी नेताओं पर सवाल उठाएगी कि वह देश के पीएम के प्रति अपमानजनक भाषा पर चुप रहे? इसका एक संकेत कल दिल्ली में प्रदर्शन और आज देश भर में राज्यों की राजधानियों में हो रहे प्रदर्शनों में भी देखा जा सकता है।
यह सब राष्ट्रवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान और अपने यहां कांग्रेस आदि दलों को घेरने की काशिशों को बढ़ाएगा। इसी बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के प्रमुख जयभगवान गोयल ने निशाना साधा है। कहा है कि अपने हाथ से पूर्वी पाकिस्तान छिनने के दिन ऐसा बयान देने वाले बिलावल अब पाकिस्तान बंटने-छिनने की खैर मनाएं। गोयल ने यह भी पूछा है कि भारत का विपक्ष उस बयान पर क्यों चुप है?