Opinion : नीतीश कुमार को मीडिया से अचानक ‘लव’ क्यों हो गया? अंदर की खबर तो ये है

पटना: मुख्यमंत्री की राजनीति का पूरा ध्यान मीडिया को अपनी ओर केंद्रित करने का रहा है। वो चाहते हैं कि विपक्षी एकता के विरुद्ध जो भी खबरें प्राथमिकता में बनी हुई हैं। उसे एन केन प्रकारेण स्क्रीन से उतार दिया जाए। इसके बदले कुछ ऐसी खबर दी जाए, कि मीडिया उसी में उलझ कर रह जाए। अब जब बिहार में अमित शाह और जेपी नड्डा जैसे भाजपा के रणनीतिकारों का कार्यक्रम बना है तो एक बार फिर नीतीश मीडिया के सामने भविष्यवक्ता बन गए। वो अपनी पुरानी ही बात नए प्रसंग में कह रहे हैं कि केंद्र सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव करा सकती है। कुल मिलाकर सवाल ये कि जिस मीडिया पर नीतीश अपनी खबरों को दबाने का आरोप लगाते थे, उसी मीडिया से अचानक उन्हें लव क्यों हो गया है?क्या कहा नीतीश कुमार ने?मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को रत्नेश सदा को मंत्री पद की शपथ दिला कर लौट रहे थे। उन्होंने मीडिया के सामने एक बार फिर कहा कि ‘भाजपा समय से पहले चुनाव करा लेगी। बहुमत की सरकार केंद्र में है न। इस सरकार को ताकत है कि वह कभी भी चुनाव करा सकती है। अटल जी के समय में भी कुछ आज के भाजपा नेताओं ने समय से पहले चुनाव करा डाला। अटल जी चुनाव नहीं चाहते थे। पर उनकी बातों का मान रखा गया। लेकिन हुआ क्या, वो तो चुनाव हार गए।’ नीतीश कुमार ने इस बयान के जरिए एक तरह से हड़काया कि समय से पहले चुनाव कराया तो पीएम मोदी का भी वही हाल होगा जो अटल बिहारी वाजपेयी जी का हुआ था। अब मांझी के बहाने भी न्यूज मेंइसके बाद खबरों की दुनिया में टिके रहने का एक और तरीका भी नीतीश ने ढूंढ लिया। उन्होंने अपने सहयोगी रहे और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर बड़ा आरोप लगा डाला। उन्होंने कहा कि ‘जीतन राम मांझी भाजपा के लिए जासूसी कर रहे थे। वो महागठबंधन में थे लेकिन वे हमारी तमाम बातों को भाजपा तक पहुंचाते थे। उसके बाद हमारे यहां भी आकर कह रहे थे कि यह हुआ वह हुआ। यह सब बात हम तो जानते ही थे। इसलिए हमने उनसे साफ कह दिया कि हमने आपको बनाया है या तो आप अपनी पार्टी को मर्ज कीजिए और नहीं होना है तो अलग हो जाइए। दरअसल मांझी चाहते थे कि 23 जून को विपक्ष की मीटिंग वो भी रहें। और उस मीटिंग में अंदर जो कुछ भी बोला जाता वह सब बीजेपी को खबर करते। उनकी मनोदशा समझ गए थे इसीलिए हमने कहा कि या तो आप मर्ज करिए या अलग हो जाइए।’ नीतीश को इस रणनीति से कितना फायदा?दरअसल नीतीश खबरों में बने रहने के साथ साथ अपनी पार्टी को चुनावी रूप से सक्रिय भी करना चाहते हैं। वो जनता दल यूनाइटेड के साथ महागठबंधन के अन्य साथियों को भी संदेश दे रहे हैं। मकसद यही है कि उनके कार्यकर्ता और संगठन से जुड़े पदाधिकारी चुनावी मंशा के साथ अपने-अपने स्तर पर तैयार रहें और अपनी सक्रियता आम जनता के बीच बढ़ा सकें। साथ ही अधिकारियों को भी संदेश दे डाला कि जल्दी से जल्दी काम को पूरा करें ताकि ज्यादा से ज्यादा उद्घाटन और शिलन्यास का काम हो और जनता के बीच मौजूदगी का अधिक अवसर मिल सके।