‘यूपी बिहार से गुंडे लाकर नंदीग्राम में हमला’
यह सवाल हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि 2021 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने उत्तर भारतीयों पर उंगली उठाई थी। 29 मार्च 2021 को ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में कहा, ‘मुझ पर जो हमला हुआ वह नंदीग्राम के किसी व्यक्ति ने नहीं किया। आप उत्तर प्रदेश और बिहार से गुंडे लेकर आए। अगर वे (बीजेपी के कार्यकर्ता) आते हैं तो महिलाओं को उन्हें बर्तनों से पीटना चाहिए।’ इसके एक हफ्ते पहले पूर्वी मिदनापुर की रैली में ममता बनर्जी ने कहा, ‘बीजेपी यूपी से गुंडे ला रही है। वे मिदनापुर में घुसपैठ कर रहे हैं। 28 मार्च से मैं नंदीग्राम की सुरक्षा करूंगी। अगर गुंडे आपको निशाना बनाते हैं तो आपके हाथ जो भी लगे, वही लेकर उनको दौड़ा लें।’ दरअसल बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर हमला हुआ था। सियासी विश्लेषक मानते हैं कि भले ही हमला पूर्व नियोजित नहीं था लेकिन ममता ने पूरे चुनाव के दौरान पैर में प्लास्टर के साथ प्रचार किया। इसके जरिए कहीं न कहीं उन्होंने सहानुभूति जुटाने की कोशिश की थी।
प्रवासियों को पूरे चुनाव में निशाने पर लेती रहीं ममता
इसी विधानसभा चुनाव में बांकुरा के विष्णुपुर की रैली में ममता बनर्जी ने एक बार फिर प्रवासियों को निशाने पर लिया। ममता ने तब कहा था, ‘हम सालों से बंगाल में रह रहे दूसरे राज्यों के लोगों को बोहिरागोतो (बाहरी) नहीं कहते हैं। पान-मसाला खाने वाले, भगवा कपड़े पहनने वाले और तिलक लगाने वाले गुंडों को उत्तर प्रदेश से यहां भेजा गया है। ये लोग हमारे कल्चर को नुकसान पहुंचा रहे हैं।’
बीजेपी नेताओं के जमावड़े की बरगी घुसपैठ से तुलना
ममता बनर्जी ने बंगाल का चुनाव पास आने के साथ ही अक्टूबर-नवंबर 2020 से प्रवासी हिंदीभाषियों पर हमला तेज कर दिया था। टीएमसी और ममता बनर्जी ने बीजेपी के नेताओं के बंगाल में जमावड़े की तुलना बरगी घुसपैठ से की थी। दरअसल 18वीं शताब्दी में पेशवा साम्राज्य के दौरान बंगाल में घुसपैठ करने वाले हमलावरों को बांग्ला साहित्य में बरगी कहा जाता है। अब वंदे भारत एक्सप्रेस पर हुए पथराव के बाद ममता बनर्जी एक बार फिर उत्तर भारतीय समुदाय को निशाने पर ले रही हैं। पश्चिम बंगाल के मालदा में पहले वंदे भारत को निशाना बनाया गया और इसके 24 घंटे के अंदर ही सिलीगुड़ी में एक बार फिर वंदे भारत पर पथराव हुआ। ये दोनों ही इलाके पश्चिम बंगाल में हैं।
आरपीएफ की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
पीएम मोदी ने 30 दिसंबर को बंगाल से देश की छठी वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाई। रेलवे के मुताबिक पहली घटना सोमवार यानी 2 जनवरी को हुई। न्यू जलपाईगुड़ी से हावड़ा लौट रही वंदे भारत एक्सप्रेस पर पत्थर फेंके गए। मालदा जिले के कुमारगंज के पास यह घटना हुई। रेलवे की रिपोर्ट के मुताबिक पत्थर लगने से ट्रेन के C-13 कोच के गेट के शीशे में दरार आ गई। इसके अगले ही दिन यानी मंगलवार 3 जनवरी को सिलीगुड़ी के पास वंदे भारत एक्सप्रेस को दो कोचों पर पथराव हुआ। इस हमले में कोच का एक शीशा चटक गया। आरपीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक दार्जिलिंग जिले के फांसीदेवा में हुए इस हमले में वंदे भारत की दो खिड़कियां चटक गईं। आरपीएफ की रिलीज में बाकायदा देर रात 1 बजकर 20 मिनट का समय भी बताया गया है। रेलवे ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पहचान के बाद धरपकड़ भी शुरू कर दी है।
उत्तर भारतीयों पर बार-बार ठीकरा क्यों?
ऐसे में सवाल उठता है कि पहले विधानसभा चुनाव और फिर वंदे भारत पर पथराव के मामले में ममता बनर्जी क्यों प्रवासियों पर उंगली उठा रही हैं? मालदा और सिलीगुड़ी तो पश्चिम बंगाल के इलाके हैं और यह सीधे तौर पर राज्य की कानून-व्यवस्था का मामला है। ममता बनर्जी क्यों कह रही हैं कि बिहार के लोग वंदे भारत न मिलने की हताशा में यह हमला कर सकते हैं। वंदे भारत पर हमला तो बंगाल में हुआ फिर उसे बिहार में बताकर ममता क्यों तथ्यों से नाइंसाफी कर रही हैं? वंदे भारत पर चल रही सियासत के बीच एक आरोप तो यह भी है कि सीएए विरोधी प्रोटेस्ट में शामिल रहे लोगों की यह करतूत हो सकती है। यह आरोप पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने लगाए हैं। क्या ममता बनर्जी इस आरोप की जांच कराएंगी? ममता बनर्जी इस मामले में बिहार पर ठीकरा फोड़कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती हैं। सवाल बरकरार है कि ममता बनर्जी को उत्तर भारतीय प्रवासियों से आखिर दिक्कत क्या है?