एनडीपीपी को 25 और बीजेपी को 12 सीटों के साथ मतदाताओं ने गठबंधन को सरकार बनाने के लिए स्पष्ट जनादेश भी दे दिया था। जाहिर है, चुनाव पश्चात किसी नए गठबंधन या ध्रुवीकरण की कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं थी। इसके बावजूद अप्रत्याशित रूप से 7 सीटें जीत कर नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने की स्थिति में पहुंच चुकी शरद पवार की एनसीपी से लेकर एक विधायक वाली जेडीयू तक तमाम विपक्षी पार्टियां सरकार को बिना शर्त समर्थन का एलान करते हुए सत्ता पक्ष के पाले में जा खड़ी हुईं। दिलचस्प है कि जिस सरकार के विरुद्ध चुनाव लड़कर जीते, उसी के पाले में खड़े होने को भी इन स्वनामधन्य निर्वाचित जन प्रतिनिधियों ने नगालैंड के हित में करार दिया। इस फैसले से जुड़े कुछ अहम पहलुओं पर नजर डाल लेना ठीक रहेगा।