नेताओं का क्या है, उनके पास तो कई प्रकार के इवेंट हैं। इस पार्टी के पास ये वाला है तो दूसरी पार्टी के पास वो वाला। किसी के पास गायक हैं तो किसी के पास अभिनेता। कोई पूर्वांचल से पकड़कर लाया गया है तो कोई उत्तरांचल से। किसी ने मैथिल लोगों के साथ बंद कमरों में मीटिंग की है तो कोई बंगालियों से बोल रहा है आमी तोमाके भालोबाशी। पर दिल्ली वालों, कल आपको ध्यान यह रखना है कि आपकी कॉलोनी, मोहल्ले और गली की दिक्कतों को दूर करने के लिए जरूरी क्या है। जाति, भाषा, क्षेत्र या धर्म या फिर प्रत्याशी का ईमान, नीयत और अच्छी समझ।