गंगाधर ही शक्तिमान! बैकवर्ड में फॉरवर्ड ले रहे OBC रिजर्वेशन का मजा, 983 जातियों को आज तक नहीं मिला लाभ, जानें

पटना: 90 और 10 प्रतिशत को लेकर बिहार के मंत्री आलोक मेहता खूब बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसा लग रहा कि उन्हें किसी ने ‘मिशन’ पर लगा रखा है। आलोक मेहता खुद को 90 वाला मानते हैं यानी पछड़ी जाति। उनके मुताबिक 10 फीसदी आबादी वाली सवर्ण जातियां 90 फीसदी पिछड़ी जातियों का हक मार रहीं हैं। अब कथित तौर पर 90 फीसदी पिछड़ी जाति की आबादी वाली जातियों का भी स्टेटस भी जान लीजिए। रोहिणी आयोग () के रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 10 OBC जातियां करीब 25 फीसदी आरक्षण का लाभ लेतीं हैं। प्रतिशत में आंकड़ा निकालिएगा तो पता चलेगा कि 25 प्रतिशत OBC जातियां 97 फीसदी पिछड़ों के हक पर काबिज हैं। 2633 में 983 यानी 37 प्रतिशत पिछड़ी जातियों को आज तक आरक्षण का कोई लाभ ही नहीं मिला। ये पूरी तरह ‘बैकवर्ड में फॉरवर्ड’ मामला है।

‘बैकवर्ड में फॉरवर्ड’ की राजनीति

दरअसल, बिहार/यूपी में मोदी समर्थक हिन्दू वोटों को बांटने के लिए रामचरितमानस पर हमले की राजनीति शुरू हुई है। ये सब कुछ हिन्दू वोटबैंक में सेंधमारी के लिए किया जा रहा है। जातीय पहचान की राजनीति करने वाली लालू और अखिलेश यादव की पार्टी जमकर जातीय जहर फैलाने में जुटी है। ताकि हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण को रोका जा सके। बिहार आजकल 10% Vs 90% का नारा गूंज रहा है। कोशिश है कि बैकवर्ड-फॉरवर्ड जातियों के बीच जहर घोलकर कास्ट के नाम पर ध्रुवीकरण किया जाए। OBC की राजनीति करने वालों को रोहिणी आयोग की हकीकत तो पता होगी लेकिन आमलोगों को इससे वास्ता बहुत कम है। इसी का फायदा ‘बैकवर्ड में फॉरवर्ड’ राजनेता वोटबैंक को साधने में कर रहे हैं। जिस दिन वो 983 जातियां (जिन्हें अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला) अपनी हक के लिए खड़ी हो जाएंगी तो उन 10 जातियों की परेशानी बढ़ जाएगी। कथित पिछड़ी जाति के नाम पर मलाई खानेवाले गले को सहलाने लगेंगे।

रोहिणी आयोग की जिम्मेदारी क्या है?

केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के भीतर उप-वर्गीकरण (Sub-Classification) के मुद्दे (आरक्षण) की जांच के लिए 2 अक्टूबर 2017 को रोहिणी आयोग का गठन किया गया। ओबीसी जातियों में आरक्षण के असमान वितरण पर रिपोर्ट तैयार करना है। रोहिणी आयोग की जिम्मेदारी है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए साइंटिफिक लिहाज से पैरामीटर तैयार करे। ताकि आरक्षण का फायदा सभी जातियों को मिले। इसमें अन्य पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची से संबंधित वर्गों, समुदायों, उप-जातियों की पहचान करने और उन्हें संबंधित उप-श्रेणियों में कैटेगराइज करना है। चार सदस्यीय आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी. रोहिणी (मुख्य न्यायाधीश, सेवानिवृत्त, दिल्ली उच्च न्यायालय) हैं। आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी. रोहिणी ओबीसी समुदाय से आती हैं। इनके साथ अन्य तीन सदस्य भी हैं। जिनमें:-

  • डॉ जेके बजाज, निदेशक, सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज, नई दिल्ली
  • निदेशक, भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण, कोलकाता (पदेन सदस्य)
  • रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त, भारत (पदेन सदस्य)

OBC आरक्षण को बांटने का प्रस्ताव

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Backward Classes Commission) ने ओबीसी कोटा को आबादी के हिसाब से चार कैटेगरी में बांटने का प्रस्ताव दिया है। ताकि जिन जातियों को रिजर्वेशन का लाभ नहीं मिला है, उन्हें भी फायदा मिल सके। इसी के लिए रोहिणी आयोग का गठन किया गया। जिसके तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27% कोटा के डिविजन के लिए चार कैटेगरी का फॉर्मूला प्रस्तावित किया है। खास बात ये कि 983 जातियों को आज तक आरक्षण का कोई लाभ ही नहीं मिला। ओबीसी कोटा आरक्षण को विभाजित करने के लिए केंद्रीय सूची में 2633 ओबीसी जातियों को चार उप-श्रेणियों (1,2,3 और 4) में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया है।

  • कैटेगरी 1: 2% आरक्षण प्राप्त करने वाले सबसे वंचित समूह में 1674 जातियां शामिल हैं।
  • कैटेगरी 2: 6% कोटा आरक्षण के साथ 534 जातियों का ग्रुप है।
  • कैटेगरी 3: 9% रिजर्वेशन में 328 जाति समूह शामिल हैं।
  • कैटेगरी 4: 10% आरक्षण के साथ 97 जाति समूह शामिल हैं।

रोहिणी आयोग को रिसर्च में क्या मिला

2018 में रोहिणी आयोग ने ओबीसी कोटा के तहत केंद्र सरकार की एक लाख 30 हजार नौकरियों और केंद्र सरकार के संस्थानों (IIT IIM, AIIMS जैसे संस्थान) में एडमिशन के आंकड़ों का विश्लेषण किया। जिसके आंकड़े चौंकानेवाले रहे।

  • केंद्रीय स्तर पर 97% नौकरियां और दाखिले में ओबीसी के तहत 25% उप-जातियां काबिज हैं।
  • इनमें से 24.95% सीटों पर सिर्फ 10 ओबीसी जातियों ने कब्जा किया है। (हालांकि उन 10 जातियों का नाम उजागर नहीं किया गया)
  • 37% ओबीसी जाति यानी 983 जातियों (कुल 37%) का नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिला।
  • देश की 994 उप-जातियों का सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन का प्रतिनिधित्व केवल 2.68% है।

रोहिणी आयोग की रिपोर्ट लगभग तैयार

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2 अक्टूबर 2017 को गठित रोहिणी आयोग के कार्यकाल को 14वां विस्तार दिया है। कहा जा रहा है कि ये आयोग अपनी रिपोर्ट जनवरी 2023 के अंत में केंद्र सरकार को सौंपने के लिए तैयार था, मगर छह महीने (31 जुलाई 2023) का नया विस्तार दिया गया। द हिंदू अखबार से बातचीत में रोहिणी आयोग के एक सदस्य ने बताया कि ‘पैनल के पास करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। अब हम केवल आवश्यकतानुसार अटैचमेंट कर रहे हैं और रिपोर्ट को कम्पाइलेशन को अंतिम रूप दे रहे हैं।’ राष्ट्रपति के यहां से 25 जनवरी को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 31 जुलाई 2023 तक आयोग अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। हालांकि पैनल के सदस्य ने कहा कि वे नई समय सीमा से पहले ही इसे पूरा कर सकते हैं। जाहिर-सी बात है अगर OBC आरक्षण में ‘बैकवर्ड में फॉरवर्ड’ उन 10 जातियों के बारे में डिटेल रिपोर्ट दिया तो कई पिछड़ी दबंग जातियों के कथित तारणहार छाती पीटने लगेंगे।

देश की सियासत में तहलका मचा देगा रिपोर्ट

2023 में देश के कुल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है। माना जा रहा है कि इससे 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जनता के मूड का पता चलेगा। ऐसे में पहले से ही 90 और 10 को लेकर हाय-तौबा मचाया जा रहा है। ताकि हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण का काट खोजा जा सके। केंद्र सरकार के लिए भी रोहिणी आयोग की रिपोर्ट गले की फांस बन सकती है। ऐसे में इसे लागू करने या सार्वजनिक करने को लेकर मोदी सरकार सावधानियां बरतेगी। चुनाव की तराजू पर आयोग की रिपोर्ट को तौला जाएगा, इसमें कोई दो मत नहीं है।