शादी का वादा सच्चा है या झांसा, ये परखने के लिए एक साल काफी…और हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया रेप केस

नई दिल्ली : शादी का झांसा देकर रेप की खबरें अक्सर आती रहती हैं। ऐसे ही एक मामले में 3 बच्चों की मां एक महिला ने एक शख्स पर शादी का झांसा देकर रेप का आरोप लगाया था। मामला मध्य प्रदेश का है। महिला की शिकायत पर शख्स के खिलाफ रेप का केस दर्ज हुआ जिसे उसने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने इस मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि शादी का वादा सच्चा है या झांसा देने के लिए, ये परखने के लिए एक साल से ज्यादा का वक्त काफी है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ रेप का मुकदमा चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और उसने एफआईआर को रद्द कर दिया।मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि वादा करके पीछे हट जाने और शादी करने के लिए झूठा वादा करने में फर्क है। शादी करने के वादे को पूरा नहीं करना कानून के मुताबिक दंडनीय नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी महिला को धोखा देने के लिए शादी का झूठा वादा करके उससे संबंध बनाना अपराध है। दूसरी तरफ, वादा करके उसे पूरा नहीं करने को झूठा वादा नहीं कह सकते। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला लंबे समय तक आरोपी के साथ रिलेशनशिप में रही। यहां तक कि वह खुद उसके आवास पर गई थी। किसी भी समझदार महिला के लिए एक साल से ज्यादा का वक्त ये परखने के लिए काफी है कि शादी करने का वादा झूठा है या नहीं।हाई कोर्ट ने ये भी सवाल किया कि जब आरोपी ने शादी करने के अनुरोध को ठुकरा दिया, उसके बाद भी वह उससे अपना रिश्ता क्यों जारी रखा। इस मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, 2020 में आरोपी ने महिला से शादी का वादा किया था जिसके बाद दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए। महिला ने दावा किया कि जब बाद में उसने शादी का दबाव डाला तो वह नजरअंदाज करने लगा। इसके बाद भी दोनों एक दूसरे से फोन पर बात करना जारी रखे। महिला ने एफआईआर में ये भी कहा था कि एक बार आरोपी ने उस पर हमला भी किया था।इस मामले में आरोपी के वकील ने दलील दी कि महिला ने अपनी मर्जी से आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाए। दूसरी तरफ महिला के वकील ने काउंटर करते हुए कहा कि अगर कोई लड़की शादी के झूठे वादे पर यकीन करके संबंध बनाने के लिए सहमति देती है तो उसका कंसेंट बेमानी है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ये कहा जा सकता है कि आरोपी शादी के वादे से मुकर गया लेकिन उसने झूठा वादा किया, ये नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।