कभी गोबर उठाते थे… शिवपाल ने कह तो दिया ‘स्‍वागत है’ लेकिन क्‍या Varun Gandhi के ये बयान नहीं खटकेंगे

लखनऊ: () इस समय खूब चर्चा में हैं। अपनी पार्टी के खिलाफ बागी तेवर जैसे उनकी पहचान बन गए हैं। इन्‍हें देखते हुए राजनीतिक अटकलें लगी थीं कि वरुण गांधी कांग्रेस का रुख कर सकते हैं। लेकिन हाल में राहुल गांधी () के बयानों ने फिलहाल उस पर विराम लगा दिया है। इसके बाद उन्‍होंने ( ) की तारीफ कि एक समय में किसानों को लेकर बड़ी मदद की। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी कि ऐसा तो नहीं कि वरुण गांधी समाजवादी पार्टी में अपना नया ठिकाना खोज रहे हैं। मीडिया ने वरिष्‍ठ समाजवादी नेता से इस पर सवाल किया तो उन्‍होंने बिना किसी लागलपेट के कह दिया कि जो भी भाजपा को हटाने में हमारी मदद करेगा उसका स्‍वागत है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्‍या वाकई समाजवादी पार्टी वरुण गांधी का बाहें खोलकर स्‍वागत कर पाएगी। अतीत में वरुण गांधी ने कुछ ऐसे बयान दिए हैं जिनकी वजह से न केवल समाजवादी बल्कि कांग्रेस समेत दूसरे गैर भाजपा दल भी वरुण को आसानी से स्‍वीकार न कर सकें। एक बार वरुण ने सीधे-सीधे समाजवादी पार्टी के केंद्र सैफई के यादव परिवार को लेकर कहा था, ‘जो लोग सैफई में 15-20 साल पहले गोबर के कंडे उठाते थे, वे आज 5-5 करोड़ की गाड़ियों में घूम रहे हैं। ये पैसा जनता का है न कि इनके दादा का। ये लोग भ्रष्‍टाचारी हैं और सिर्फ देश का पैसा लूटते हैं।’ इतना ही नहीं वरुण ने एक बार तो सीधे समाजवादी पार्टी के संस्‍थापक, संरक्षक मुलायम सिंह यादव पर टिप्‍पणी करते हुए कहा, ‘अयोध्‍या में राम भक्‍तों को गोली किसने मारी, राम भक्‍तों का खून किसने बहाया, इसे हम लोग कैसे भूल सकते हैं। गठबंधन के लोग पाकिस्‍तानी हैं, खुद बताइए रामभक्‍तों के खून बहाने वाले और पाकिस्‍तानियों को वोट देकर जिताएंगे कि भारत माता के नाम पर वोट देंगे।’ यह तो बात रही मुलायम सिंह और यादव परिवार पर वरुण के जुबानी हमले। लेकिन वरुण बीजेपी में रहते हुए खुद को कट्टर हिंदू साबित करने से भी नहीं चूके। उन्‍होंने मार्च 2009 में पीलीभीत लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान कहा था, ‘ये हाथ नहीं है, ये कमल की ताकत है जो किसी का भी सिर कलम कर सकता है। अगर कोई हिंदुओं की ओर हाथ बढ़ाता है या फिर ये सोचता है कि हिंदू नेतृत्‍वविहीन हैं तो मैं गीता की कसम खाकर कहता हूं कि मैं उस हाथ को काट डालूंगा।’ एक बार को सपा अपने ऊपर किए हमले को नजरअंदाज कर सकती है लेकिन क्‍या वह वरुण गांधी के इस दक्षिणपंथी रूप को पचा पाएगी? सपा का भाजपा से इसी बात को लेकर तो मूल मतभेद है। ऐसे में वरुण गांधी का स्‍वागत कहने की बात महज राजनीतिक शिष्‍टाचार ज्‍यादा लगती है।